World Brain Day 2024: रात को मोबाइल फोन का देर तक इस्तेमाल, कहीं दिमाग पर तो नहीं पड़ रहा बुरा असर?
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World Brain Day 2024: रात को मोबाइल फोन का देर तक इस्तेमाल, कहीं दिमाग पर तो नहीं पड़ रहा बुरा असर?

Side Effects Of Using Phone At Night: कई लोगों को रात में मोबाइल फोन देर तक इस्तेमाल करने की आदत होती है. इसका दिमाग पर क्या असर पड़ता है और कैसे यह खतरनाक है, आइए इस विश्व मस्तिष्क दिवस (World Brain Day 2024) इस बारे में विस्तार से जानें.

World Brain Day 2024

World Brain Day 2024: मोबाइल हमारी जिंदगी का एक अभिन्न भाग बन चुका है जिसके बिना मिनटभर गुजारना भी दूभर होता है. ऑफिस हो या कोई पर्सनल काम या पढ़ाई संबंधी कोई और काम  मोबाइल की जरूरत हमें ज्यादातर बार पड़ जाती है. आज के समय में मोबाइल (Mobile Phone Radiations Impact) का इस्तेमाल कुछ ज्यादा बढ़ गया है. 22 जुलाई को विश्व मस्तिष्क दिवस है, आइए इस विश्व मस्तिष्क दिवस (World Brain Day 2024) विस्तार से से जानते हैं कि मोबाइल का इस्तेमाल दिमाग पर कैसे कैसे असर जानता है. 

आंखों और मस्तिष्क पर असर (Side Effects Of Using Phone At Night)
मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल शरीर पर कई साइड इफेक्ट छोड़ते हैं. ज्यादा से ज्यादा समय अगर मोबाइल के साथ गुजारा गया तो मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन का हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. हमारी सेहत और आंखों को नुकसान हो सकता है. आज के समय में फोन जरूरी है लेकिन इसके ज्यादा इस्तेमाल जल्दी ही हर समय फोन चलाने की लत लग जाती है. कई लोग रात ऐसे भी है जो सोने से पहले घंटों फोन का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा करना इंसान के आंखों और मस्तिष्क दोनों को खराब कर सकता है.

क्या हो सकती है समस्या
दिनभर के भाग दौड़ के बाद रात के समय मोबाइल पर देर तक गेम ही खेलना, रिल्स देखना और फिर सो जाना कई गंभीर समस्याओं को न्योता दे सकता है. खासकर अंधेरे कमरे में मोबाइल का लगातार इस्तेमाल करना तो और भी बुरा है. 
फोन के ज्यादा उपयोग से क्या हो सकती है समस्या
सिरदर्द की समस्या हो सकती है
अनिंद्रा की समस्या हो सकती है
मानसिक अस्थिरता की समस्या हो सकती है
सर्वाइकल की प्रॉब्लम हो सकती है
स्ट्रेस और एंग्जाइटी हो सकती है
डार्क सर्कल आंखों को घेर सकती हैं.

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क्या कहता है रिसर्च 
एम्स और एन्वायरोनिक ने अपनी एक स्टडी की कि मोबाइल रेडिएशन मानव शरीर को कैसे असर डालती है. मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडिएशन के बारे में स्टडी में शामिल प्रतिभागियों को बताया गया. स्टडी में पाया गया है कि कैसे मोबाइल की रेडिएशन मस्तिष्क के वेव पैटर्न में बदलती है.स्टडी के लिए इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम का मूल्यांकन हुआ जो मस्तिष्क में विद्युत गतिविधि पर नजर रखता है. चार तरंगें अल्फा, बीटा, थीटा और डेल्टा ये चार तरंगे मस्तिष्क से मूल रूप से निकलती हैं जो मस्तिष्क की अलग अलग गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करती हैं. अल्फा और थीटा तरंगें जो आराम का एहसास कराती हैं. स्टडी में दोनों में उतार-चढ़ाव पाया गया. ये उतार-चढ़ाव शरीर के लिए तनावपूर्ण रहा.

अस्वीकरण: यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. zeeupuk इस जानकारी के लिए सलाह या ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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