What is MSP Gurantee Law: क्या है एमएसपी गारंटी कानून, मोदी सरकार मीनी तो कितने लाख करोड़ का आएगा खर्च
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What is MSP Gurantee Law: क्या है एमएसपी गारंटी कानून, मोदी सरकार मीनी तो कितने लाख करोड़ का आएगा खर्च

What is MSP Gurantee Law: किसान संगठन इस बार अपनी 12 मांगों को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है. इन मांगों में न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी MSP की मांग प्रमुख है. तो आइये जानते हैं क्‍या है न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य एक्‍ट. 

फाइल फोटो

What is MSP Gurantee Law: किसान संगठन एक बार फ‍िर दिल्‍ली की ओर कूच कर रहे हैं. दिल्‍ली सीमाओं पर उन्‍हें रोकने के लिए तमाम तरह की प्रयास किए जा रहे हैं. मंगलवार को कुछ जगहों पर किसान उग्र हो गए तो पुलिस को उन्‍हें जबरन रोकना पड़ा. कुल मिलाकर दिल्‍ली किसानों के दिल्‍ली कूच को लेकर अलर्ट पर है. इन सबके बीच यह जानना जरूरी है कि आखि‍र किसानों की मांग क्‍या है, जो वह दिल्‍ली की ओर आ रहे हैं. तो आइये जानते हैं. 

क्‍या है MSP?
दरअसल, किसान संगठन इस बार अपनी 12 मांगों को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है. इन मांगों में न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी MSP की मांग प्रमुख है. दरअसल न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी एमएसपी किसानों को दी जाने वाली एक तरह की गारंटी होती है, जिसमें तय किया जाता है कि बाजार में किसानों की फसल किस कीमत पर बेची जाएगी. अब सवाल उठता है कि कीमत कब तय करनी होती है. 

किसानों को नुकसान से बचाना मुख्‍य उद्देश्‍य 
दरअसल, फसल की बोआई के दौरान ही फसलों की कीमत तय कर दी जाती है. यह तय कीमत से कम दाम में बाजार में फसल नहीं बिकती है. वहीं, अगर फसल की कीमत बाजार में कम होती है तो सरकार को उस स्थिति में भी सरकार किसानों को तय कीमत पर ही फसल खरीदती है. कुल मिलाकर एमएसपी का उद्देश्य फसल की कीमत में उतार-चढ़ाव के बीच किसानों को नुकसान से बचाना है. 

किन फसलों पर कितना MSP?
अब एक और सवाल उठता है कि किन फसलों पर कितना एमएसपी तय होता है. तो जानकारी के लिए बता दूं कि कृषि मंत्रालय खरीफ, रबी सीजन समेत अन्य सीजन की फसलों के साथ ही कमर्शियल फसलों पर एमएसपी लागू करता है. इस समय देश में किसानों से 23 फसलों पर एमएसपी लागू की गई है. इनमें से 7 अनाज ज्वार, बाजरा, धान, मक्का, गेहूं, जौ और रागी शामिल हैं. वहीं, 5 दालें, मूंग, अरहर, चना, उड़द और मसूर शामिल हैं. इसके अलावा 7 तिलहन, सोयाबीन, कुसुम, मूंगफली, तोरिया-सरसों, तिल, सूरजमुखी, और नाइजर बीज होती है. चार कमर्शियल फसलें, कपास, खोपरा, गन्ना और कच्चा जूट होता है. बताया गया कि अगर सरकार इसे लागू करती है तो उसे हर साल करीब 10 करोड़ रुपये का वहन करना पड़ेगा. 

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