Cloud Bursting :क्या गुब्बारे की तरह फटता है बादल, जानिये क्या होता है बादलों का फटना
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Cloud Bursting :क्या गुब्बारे की तरह फटता है बादल, जानिये क्या होता है बादलों का फटना

Cloud Bursting : आपने पहाड़ी इलाकों में अक्सर बादल फटने की खबर सुनी होगी. आपके मन में बादल फटने की एक तस्वीर पानी के गुब्बारों के जैसे जरुर बनी होगी. आपको लगता होगा कि पानी से भरे गुब्बारों की तरह ही बादल फटता होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. हम आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि बादल फटने का सही मतलब क्या होता है और बदल किस वजह से फटता है और वैज्ञानिक भाषा में क्या सिर्फ बारिश होने को ही बादल का फटना कहते हैं?

What is cloud bursting

What is Cloud Bursting : हिमाचल प्रदेश के सोलन में अचानक आई बाढ़ में करीब 51 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. इस बाढ़ का कारण बादल फटना (cloudburst in Solan) है. पिछले 72 घंटों से लगातार जारी भारी बारिश ने तबाही मचा दी है. सावन के सोमवार को भारी बारिश के रेड अलर्ट के बीच राज्य में जगह-जगह बादल फटने और भूस्खलन से 51 लोगों की मौत गई. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर क्या होता बादल फटना (What is cloud bursting), क्या किसी गुब्बारे की तरह बादल फट जाते हैं, आखिर किस स्थिति को मानते हैं बादल फटना.

क्या होता है बादल फटने का मतलब? 
आम तौर पर बादल फटने के नाम से हर किसी के मन में एक पानी भरे गुब्बारे की तस्वीर सबसे पहले उभर कर आती है, जो अचानक से फट जाता है और उसके अंदर सारा पानी बाहर आ जाता है. वैज्ञानिक भाषा में समझें तो बादल फटना एक टेक्निकल टर्म है, जिसका मतलब होता है ‘अचानक बहुत ज्यादा बारिश होना’ IMD की माने, तो एक घंटे में 100 MM बारिश होती है तो इसे बादल फटना (cloudburst meaning) कहा जाता है. सामान्य तौर पर जमीन की सतह से 12 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होने वाली भारी बारिश को ही बादल का फटना माना जाता है. इसी को बादल फटना कहा गया है. 

कैसे फटते हैं बादल
बादल फटने की घटना तब होती है जब नमी से भरे बादल एक निश्चित स्थान पर रुक जाते हैं और उनके भीतर मौजूद पानी की बूंदें एक साथ आ जाती हैं. इनके भार के कारण बादलों का घनत्व बढ़ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप भारी वर्षा होती है. ऐसा माना जाता है कि जहां बादल फटता है वहां 100 लीटर प्रति घंटे की दर से बारिश हो सकती है.

आखिर क्यों फटता है बादल?
इसे प्राकृतिक घटना को क्‍लाउडबर्स्‍ट या फ्लैश फ्लड भी कहा जाता है. मौसम विज्ञानियों के अनुसार जब बादल भारी मात्रा में नमी यानी पानी लेकर चलते हैं और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है तब वे अचानक फट पड़ते हैं. आसमान से किसी एक जगह पर तेज बारिश हो जाने को ही बादल फटना कहते हैं. बादल फटने से उस इलाके में बाढ़ सी स्थिति बन जाती है.कहीं भी बादल फटने की घटना उस समय होती है जब ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह रुक जाते हैं और वहां मौजूद पानी की बूंदे आपस में मिल जाती हैं. इनके भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है और तेज बारिश होने लगती है. 

क्या पहाड़ों पर फटते हैं बादल?
पहले ऐसा माना जाता था कि बादल फटने की घटना सिर्फ पहाड़ों पर ही होती है, कहा जाता है कि पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों में फंस जाते हैं और आगे नहीं बढ़ पाते हैं. फिर एक ही स्थान पर तेज गति से पानी गिरने लगता है. लेकिन मुंबई में 26 जुलाई साल 2005 के बादल फटने की घटना ने इस धारणा को बदल कर रख दिया.

बादल फटने के प्रमुख कारण
1. बादलों के रास्ते में अवरोध पहाड़ और गर्म हवा.
2. हरित पट्टी का लगातार घटना.
3. पेड़ों को काटा जाना. 
4. शहरीकरण का बढ़ना
5. ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के लिए जंगलों पर दबाव.
6. जब कई बादल आपस में टकरा जाते हैं, तब भी ऐसी घटना होती है.

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