Vat Savitri Vrat 2023: हर साल वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है. इस बार 19 मई 2023, दिन यानी आज यह व्रत रखा जा रहा है. आज हम आपको इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा के पीछे की वजह बताने जा रहे हैं.
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Vat Savitri Vrat 2023: आज वट सावित्री व्रत है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को यह व्रत होता है. सुहागिनें इस दिन पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं. साथ ही वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा और और परिक्रमा करती हैं. क्या आप जानते हैं कि महिलाएं इस व्रत में वट(बरगद) वृक्ष की ही पूजा क्यों करती हैं? अगर आपको नहीं पता तो आइए जानते हैं इस व्रत का पौराणिक महत्व और वट वृक्ष की पूजा करने की वजह...
वट सावित्री व्रत 2023 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि रात 9 बजकर 42 मिनट से लेकर 19 मई शुक्रवार रात 9 बजकर 42 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार ये व्रत 19 मई को रखा जाएगा. 19 मई को सुबह 7 बजकर 19 मिनट से लेकर 10 बजकर 42 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा.
वट वृक्ष का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट वृक्ष के छाल में विष्णु, जड़ों में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव जी विराजमान होते हैं. ब्रह्मा-विष्णु-महेश के वास के चलते इसे देव वृक्ष कहा जाता है. वहीं, जैन धर्म में भी मान्यता है कि तीर्थंकर ऋषभदेव ने अक्षय वट के नीचे ही तपस्या की थी. यही वजह है कि इस वृक्ष को ज्ञान, निर्वाण व दीर्घायु का पूरक माना गया है. इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा आदि सुनने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. बता दें कि बरगद भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है. यह धार्मिक के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.
क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा?
पौराणिक कथा के मुताबिक, वट वृक्ष के नीचे ही सावित्री ने सास-ससुर को दिव्य ज्योति, छिना हुआ राज्य और मृत पति के शरीर में प्राण वापस आए थे. यही वजह है कि महिलाएं इसी दिन बरगद के पेड़ के नीचे पूजा-पाठ कर अपने पति की लंबी आयु की मनोकामना करती हैं. वट वृक्ष का पूजन और सावित्री-सत्यवान की कथा का स्मरण करने के विधान के कारण ही यह व्रत वट सावित्री के नाम से जाना जाता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं-धार्मिक जानकारियों और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है. यहां यह बताना जरूरी है कि ZEE UPUK किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.
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