Baghpat: जिस उम्र में लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं, उम्र के उस पड़ाव पर बागपत जिले के 'मिल्खा सिंह' कहे जाने वाले इलम चंद तोमर लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. उनको दौड़ता देख युवा भी दांतों तले उंगली दबा लेते हैं.
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कुलदीप चौहान/बागपत: उम्र के जिस पड़ाव पर लोग जिंदगी से हार मान लेते हैं, उस पड़ाव से अपने करियर की शुरुआत करने वाले एथलीट खिलाड़ी इलमचन्द तोमर लोगों के लिए जिंदादिली की अनोखी मिसाल बने हैं. ये उम्रदराज खिलाड़ी आज फलक का सितारा है. जिन्हें खेल जगत की सौ हस्तियों में वृद्ध अचीवर्स का अवॉर्ड मिला है.
90 की उम्र में भी गजब का जज्बा
बागपत के रंछाड़ गांव के रहने वाले 90 वर्षीय रिटायर्ड प्रधानाचार्य इलमचन्द तोमर में अलग ही हौसला है, जिस उम्र में इंसान खुद दुसरों पर निर्भर हो जाता है, ऐसे में ये रियल हीरो उम्र के आखिरी पड़ाव में लोगों के लिए मिशाल बने हैं जब ये दौड़ लगाते है तो अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं और लोग दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाते हैं.
जीते हैं 3 सौ से ज्यादा पदक
इस उम्र में इन्होंने दौड़ की राह पकड़कर देश के लिए करीब तीन सौ से भी ज्यादा मेडल जीतकर जनपद बागपत का ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन किया है. वह योग में भी निपुण हैं. जिन्हें देख हर कोई हैरान हो जाता है. बागपत के इस मिल्खा की इतनी उम्र नहीं, जिससे ज्यादा ये तमगे जीत चुके हैं. पिछले 23 वर्षों में इन्होंने 150 स्वर्ण, 70 रजत सहित 450 पदक जीत जीते हैं.
हासिल की उपलब्धियां
वर्ष 2002 में पहली बार पंडिचेरी में वेटर्न खेलों में भाग लिया था. तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है. इलमचंद आज फर्राटा दौड़ में अच्छे अच्छों को मात देते हुए नज़र आते हैं और एथलीट और योग में अब तक 450 मेडल जीत चुके हैं, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है.
उपराष्ट्रपति कर चुके हैं सम्मानित
हाल ही में 27 अप्रैल से 1 मई 2023 को चेन्नई के जवाहरलाल स्टेडियम में हुई मास्टर्स एथलेटिक्स चेपिनशिप में 2 स्वर्ण सहित 4 पदक हासिल किए. इतना ही नहीं इलमचंद को तत्कालीन उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा स्पोर्ट्समेन एडवेंचर में व्योवृद्ध सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.