Ashada Month 2023 Start and End Date: हिंदू धर्म में आषाढ़ मास का खास महत्व होता है. इस माह में भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है. इस महीने में कई व्रत-त्योहार पड़ते हैं.
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Ashada Month Start Date: 4 जून को पूर्णिमा के साथ ज्येष्ठ माह खत्म हो जाएगा. इसके साथ ही आषाढ़ माह लग जाएगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह चौथा महीना होता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में जून/जुलाई से मेल खाता है. ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा 3 जून 2023 को सुबह 11 बजकर 16 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 4 जून 2023 को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर इसका समापन होगा. इसके बाद आषाढ़ महीना शुरू हो जाएगा, लेकिन उदया तिथि के अनुसार आषाढ़ मास की शुरुआत 5 जून से मानी जाएगी. मान्यताओं के अनुसार, इस माह में सभी देवी देवता विश्राम करते हैं. इसी महीने में भगवान विष्णु की योगनिद्रा में चले जाते हैं. जिसके चलते अगले 4 महीनों तक मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. हालांकि, इस माह में कई सारे व्रत-त्योहार पड़ते हैं.
आषाढ़ मास के व्रत-त्योहार
5 जून 2023, सोमवार- आषाढ़ मास आरम्भ
7 जून 2023, बुधवार- कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी
9 जून 2023, शुक्रवार- पंचक प्रारंभ
10 जून 2023, शनिवार- कालाष्टमी
11 जून 2023, रविवार - शीतलाष्टमी
13 जून 2023, मंगलवार- पंचक समाप्त
14 जून 2023, बुधवार- योगिनी एकादशी व्रत
15 जून 2023, गुरुवार- मिथुन संक्रांति, प्रदोष व्रत
16 जून 2023, शुक्रवार- मासिक शिवरात्रि
17 जून 2023, शनिवार- रोहिणी व्रत
18 जून 2023, रविवार- आषाढ़ अमावस्या
19 जून 2023, सोमवार- गुप्त नवरात्रि प्रारंभ, चंद्र दर्शन
20 जून 2023, मंगलवार - जगन्ननाथ रथयात्रा.
22 जून 2023, गुरुवार- विनायक चतुर्थी
25 जून 2023, रविवार- भानू सप्तमी
26 जून 2023, सोमवार - मासिक दुर्गाष्टमी
29 जून 2023, गुरुवार- देवशयनी एकादशी
03 जुलाई 2023, सोमवार- गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा, आषाढ़ पूर्णिमा, अन्वधन
आषाढ़ मास का महत्व
हिंदू धर्म में आषाढ़ के महीने का खास महत्व होता है. इस महीने में सबसे ज्यादा भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस महीने में शिवजी और विष्णु जी की पूजा-आराधना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पुण्यलाभ मिलता है. इसके अलावा इस महीने में मंगल और सूर्य की पूजा करना शुभ माना गया है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, इस माह में मंगल की पूजा करने से कुंडली में बैठा मंगल अशुभ के बजाय शुभ प्रभाव देने लगता है. आषाढ़ माह से ही चातुर्मास की शुरुआत होती है, जो कार्तिक शुक्ल की एकादशी तक चलता है. यही कारण है कि हिंदू धर्म में आषाढ़ माह का विशेष महत्व होता है. यह माह कामना पूर्ति के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होता है. आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है.
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