Rudrabhishek and Jalabhishek : सावन माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक भी किया जाता है. रुद्राभिषेक शिव के जलाभिषेक से अलग होता है.
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Rudrabhishek and Jalabhishek : सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है. इस बार सावन का महीना कुल 29 दिनों का है. पूरे सावन माह लोग शिवलिंग पर जलाभिषेक या रुद्राभिषेक करते हैं. सावन में रुद्राभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. वहीं, जलाभिषेक करने की भी मान्यता है. रुद्राभिषेक, जलाभिषेक से अलग है. इन दोनों को एक ही समझने की गलती न करें. रुद्राभिषेक नियमपूर्वक की जाती है, तभी भगवान भोलेनाथ फल देते हैं.
इसलिए कराएं रुद्राभिषेक
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, नवग्रह शांति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक कराया जाता है. जैसी मनोकामना वैसा रुद्राभिषेक होता है. उसमें अलग-अलग सामग्री का उपयोग होता है. सावन माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक भी किया जाता है. रुद्राभिषेक शिव के जलाभिषेक से अलग होता है.
रुद्राभिषेक और जलाभिषेक में अंतर
दरअसल, रुद्र का अर्थ होता है भगवान शिव, जब भगवान शंकर पर भक्ति और भाव से केवल जल अर्पण किया जाता है तो इसे जलाभिषेक कहते हैं. वहीं, रुद्राभिषेक में विधिवत तरीके से पंच अमृत के द्वारा महादेव को स्नान करवाया जाता है. ये पांच अमृत दूध, दही, घी, शहद और बूरा हैं. इन्हीं पांच अमृतों से अलग-अलग तरीके से अभिषेक किया जाता है. स्नान के बाद ब्राह्मणों के द्वारा वेद-मंत्रों के साथ जल से अभिषेक करवाया जाता है, तब इसे रुद्राभिषेक कहा जाता है. भगवान शिव के भक्त उन्हें उनकी प्रिय चीज जैसे जल, दूध, दही, घी, शहद, गन्ना रस और कई तरह के अन्य चीजों से अभिषेक करते हैं.
कब कराया जाता है रुद्राभिषेक
रुद्राभिषेक हर कोई शख्स नहीं कराता. जब आपकी कुंडली में सूर्य दोष, सूर्य से संबंधित कष्ट होते हैं तो रुद्राभिषेक कराया जाता है. साथ ही नवग्रहों की शांति के लिए रुद्राभिषेक कराया जाता है. पुत्र प्राप्ति से लेकर रोग से छुटकारा और आर्थिक संकट से निजात दिलाने में भी रुद्राभिषेक कराया जाता है. रुद्राभिषेक में भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा की जाती है. रुद्राभिषेक कर बाधाओं को दूर किया जा सकता है.
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