Utpanna Ekadashi 2023: उत्पन्ना एकादशी पर भगवान विष्णु का इस विधि से करें जलाभिषेक, जीवन के सारे कष्ट होंगे नष्ट
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Utpanna Ekadashi 2023: उत्पन्ना एकादशी पर भगवान विष्णु का इस विधि से करें जलाभिषेक, जीवन के सारे कष्ट होंगे नष्ट

Utpanna Ekadashi 2023: उत्पन्ना एकादशी का दिन अति शुभ माना गया है. अगर इस दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान से पूजा की जाए तो मोक्ष का रास्ता खुलता है.

Utpanna Ekadashi Vrat

lord Vishnu Jalabhishek Vidhi: उत्पन्ना एकादशी का बहुत महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है और व्रत का संकल्प किया जाता है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि पर अगर भगवान विष्णु और एकादशी देवी की विधिवत पूजा किया जाए तो अनेक लाभ होते हैं. उत्पन्ना एकादशी इस बार दो दिन पड़ रहा है. मान्यता है कि इसी तिथि पर देवी एकादशी उत्पन्न हुईं जिसके कारण इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. 

वैदिक पंचांग के अनुसार 08 दिसंबर 2023, दिन शुक्रवार को इस साल सुबह 05 बजकर 06 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 9 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 31 मिनट तक एकादशी तिथि रहने वाली है. उदया तिथि पर एकादशी का व्रत 8 दिसंबर को रखा जाएगा. उत्पन्ना एकादशी के दिन अगर भगवान विष्णु का जलाभिषेक करना एक विशेष विधि से किया जाए तो अति शुभ होता है.

भगवान विष्णु का जलाभिषेक करने की विधि 
ब्रह्म मुहूर्त में जगकर स्नान करें और व्रत संकल्प करें. भगवान विष्णु का अभिषेक गाय के कच्चे दूध में केसर मिलाकर करें और फिर भगवान को पीली मिठाई का भोग चढ़ाएं. माता लक्ष्मी की विष्णु जी के साथ पूजा करें. 
इस तिथि पर दक्षिणावर्ती  शंख में गंगाजल भर लें और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी (माता लक्ष्मी मंत्र) का एक साथ अभिषेक करें.
पीपल के पेड़ में अगर इस दिन जल चढ़ाएं तो सभी देवी-देवताओं के आशीर्वाद पा सकते हैं और जीवन में कई शुभ परिणाम मिलने लगेंगे. 
भगवान विष्णु का जलाभिषेक करके अपनी क्षमता अनुसार अन्न का दान करें. सूर्यास्त के बाद शालिग्राम संग तुलसी माता को शुद्ध घी का दीया जलाएं. 
भगवान विष्णु को जब जलाभिषेक कर दे तो इसके बाद उनको पीले वस्त्र अर्पित करें. भगवान प्रसन्न होंगे और कृपा करेंगे. उन्हें इत्र भी जरूर लगाएं. 
भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) की पूजा व जलाभिषेक करते हुए कुछ विशेष मंत्रों के जाप भी करें. शुभ फलों की इससे जरूर प्राप्ति होगी. 
यह मंत्र है- त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देवा देवा। 5. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है. एक्सपर्ट से सलाह लें.
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