Sheetala Ashtami 2024:होली के आठ दिन बाद होती है मां शीतला की पूजा, बनता है बासी भोजन, जानें कब है बसौड़ा?
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Sheetala Ashtami 2024:होली के आठ दिन बाद होती है मां शीतला की पूजा, बनता है बासी भोजन, जानें कब है बसौड़ा?

Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी के दिन स्वच्छता और आरोग्यता की देवी मां शीतला की पूजा और व्रत करने का विधान है. धार्मिक मान्यता कि शीतला अष्टमी पर्व के मौके पर पूजा और व्रत करने से लोगों को कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है और लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है. शीतला अष्टमी जिसे बसोड़ा पूजा के नाम से भी जाना जाता है. 

Sheetala Ashtami 2024

Sheetala Ashtami 2024: हिन्दू धर्म में शीतला अष्टमी का व्रत हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है.  हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यह त्योहार मनाया जाता है. इस त्योहार को बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. शीतला अष्टमी की पूजा हर साल चैत्र मास की अष्टमी तिथि के दिन की जाती है.  ऐसी मान्यता है कि, माता शीतला की आराधना से व्यक्ति को बीमारियों से मुक्ति मिलती है. इस दिन शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है. इस व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से ही हो जाती है. इस लेख में जानते हैं शीतला अष्टमी कब है और इसका हिंदू धर्म में क्या महत्व है?

कब है शीतला अष्टमी 2024? (Sheetala Ashtami 2024 Date)
शीतला अष्टमी: 2 अप्रैल 2023
शीतला सप्तमी: 1 अप्रैल 2023
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ: 1 अप्रैल को रात 9 बजकर 9 मिनट से शुरू
अष्टमी तिथि समापन: 2 अप्रैल को रात 8 बजकर 8 मिनट पर

शीतला अष्टमी के दिन की पूजा विधि
शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान कर मां का ध्यान करें. फिर इसके बाद एक थाली में एक दिन पहले बनाए गए पकवान जैसे मीठे चावल, रोटी आदि रख लें. इस दिन एक दिन पहले बनाया हुआ भोजन रखा जाता है. पूजा के लिए एक थाली में आटे के दीपक, रोली, हल्दी, अक्षत,  मेहंदी, वस्त्र बड़कुले की माला, सिक्के आदि रखें. फिर इसके बाद शीतला माता की पूजा विधि विधान से करें. मां शीतला के आगे दीपक जलाएं और उन्हें जल अर्पित करें.  वहां से थोड़ा जल घर के लिए भी लाएं और घर आकर उसे छिड़क दें.  परिवार के सभी लोगों को रोली या हल्दी का टीका लगाएं.

घर में नहीं जलता चूल्हा
शीतला अष्टमी के दिन ताजा भोजन नहीं पकाया जाता है अष्टमी के दिन गैस या चुल्हा घर में नहीं जलता है.  इसलिए आप सोमवार में ही शीतला अष्टमी की पूजा के लिए भोजन तैयार कर सकते हैं.  एक दिन पहले ही आप मीठे चावल, राबड़ी, पुए, हलवा, रोटी आदि पकवान तैयार किए जाते हैं. जिनका भोग अगले दिन यानी शीतला अष्टमी के दिन देवी को चढ़ाया जाता है. परिवार के लोग इस दिन बासी भोजन को ही ग्रहण करते हैं.

शीतला अष्टमी का महत्व (Sheetala Ashtami 2024 Significance)
शीतला अष्टमी के दिन व्रत रखने के साथ विधिवत रूप से मां शीतला की पूजा की जाती है.ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां शीतला की पूजा करने से वह हर तरह के रोगों से मुक्ति दिला देती हैं. माना जाता है कि जो भी व्यक्ति शीतला अष्टमी का व्रत रखता है इसे कभी भी चेचक, छोटी माता आदि नहीं होती है. माता शीतला की आराधना से व्यक्ति को बीमारियों से मुक्ति मिलती है. इस दिन शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है. एक दिन पहले ही मीठे चावल, राबड़ी, पुए, हलवा, रोटी आदि पकवान तैयार किए जाते हैं. जिनका भोग अगले दिन यानी शीतला अष्टमी के दिन देवी को चढ़ाया जाता है. जिसका अपना अलग महत्व है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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