Budhaditya Yog :इस बार नागमंचमी पर बुधादित्य योग, कालसर्प योग दूर करने के लिए करें ये उपाय
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Budhaditya Yog :इस बार नागमंचमी पर बुधादित्य योग, कालसर्प योग दूर करने के लिए करें ये उपाय

Budhaditya Yog Nag Panchami: इस बार सावन मास की शुक्ल पंचमी तिथि संपूर्ण दिन और रात को नौ बजकर 54 मिनट तक है. इस दिन चित्रा नक्षत्र भी संपूर्ण दिन और रात्रि तक है. यह एक शुभ योग है. चंद्रमा की स्थिति कन्या और तुला दोनों राशियों पर रहेगी. सूर्योदय के समय बुधादित्य या बुधित्व योग बन रहा है. आइए जानते हैं इसका हमारे जीवन में क्या प्रभाव पड़ेगा.

Budhaditya Yog :इस बार नागमंचमी पर बुधादित्य योग, कालसर्प योग दूर करने के लिए करें ये उपाय

Budhaditya Yog Nag Panchami: सावन का महीना कई त्योहारों के लिए जाना जाता है. इसी महीने नाग पंचमी भी आती है. इस बार नाग देवता की उपासना का पर्व नाग पंचमी 21 अगस्त को मनाई जाएगी. इस अवसर पर महानगर के सभी हर छोटे बड़े शिवालयों में भक्त विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भगवान शिव और नाग देवता को प्रसन्न करेंगे.

वाराणसी से प्रकाशित हृषिकेश पंचांग के मुताबिक इस बार सावन मास की शुक्ल पंचमी तिथि संपूर्ण दिन और रात को नौ बजकर 54 मिनट तक है. इस दिन चित्रा नक्षत्र भी संपूर्ण दिन और रात्रि तक है. यह एक शुभ योग है. चंद्रमा की स्थिति कन्या और तुला दोनों राशियों पर रहेगी. सूर्योदय के समय बुधादित्य या बुधित्व योग बन रहा है. बुधित्व योग सूर्य और बुध के उच्च स्थिति पर बनता है. इस योग में पूजन-अर्चन से विद्यार्थियों को विद्या की प्राप्ति होगी. वहीं बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होने के साथ ही व्यापार भी अच्छा होगा.

दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है. इसके साथ ही भगवान शिव के मस्तक पर भी चंद्रमा विराजमान हैं. बताया कि ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह बताया गया है. मन को शिव के प्रति समर्पण के उद्देश्य से भी नागपंचमी पर नाग को दूध पिलाया जाता है. ज्योतिषाचार्य अच्युत्य रामानुचार्य के मुताबिक हिंदू धर्म में नाग को भगवान शिव के गले का हार और भगवान विष्णु की शैय्या कहा गया है. ऐसे में माना जाता है कि नाग की पूजा करने से भगवान शिव और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.  

ऐसे करें पूजन
इस व्रत के एक दिन पूर्व यानि चतुर्थी को एक समय भोजन कर पंचमी तिथि को उपवास रखें. गरुड़ पुराण में कहा गया है कि इस दिन व्रती अपने घर के दोनों ओर नागों को चित्रित करके उनकी विधि पूर्वक पूजा करें. ज्योतिष शास्त्र के जानकार यह भी कहते हैं कि पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं. इसलिए मनोयोग के साथ गंध, पुष्प, धूप, कच्चा दूध, खीर, भीगा हुआ बाजरा और घी से नाग देवता की पूजा करें. उन्हें लावा और दूध चढ़ाएं. बुधादित्य मुहुर्त में नागपंचमी पूजन करने से काल सर्पयोग दोष भी दूर होता है.

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