Mangla Gauri Vrat 2023: सावन का आखिरी मंगला गौरी व्रत है...इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य कामना से व्रत रखती हैं...इस व्रत को रखने से माता पार्वती सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद अपने भक्तों को देती हैं...इस दिन विधि विधान से की गई पूजा का शुभ फल मिलता है और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं...
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Mangla Gauri Vrat 2023: हिंदू धर्म में सावन माह बहुत ही पवित्र माना गया है और इस महीने भगवान शिव की अराधना-पूजा की जाती है.सावन के महीने में भगवान शिव प्रसन्न हो जाएं तो अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. अब सावन का महीना समाप्त होने की कगार पर है और आज यानि 29 अगस्त को इस महीने का आखिरी मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा. मंगला गौरी व्रत सावन के हर मंगलवार को रखा जाता है और आज सावन का 9वां यानी कि आखिरी मंगलवार है. मां गौरी की पूजा की जाती है.इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं दोनों करती हैं. आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत के दिन की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त...
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पति की लंबी उम्र और संतान सुख के लिए व्रत
मंगला गौरी व्रत सुहागिनें पति की लंबी उम्र और संतान सुख के लिए रखती हैं. कुंवारी लड़कियां इस व्रत को रखकर मनचाहे और योग्य वर का वरदान माता गौरी से मांगती हैं.
पूजा सामग्री
मंगला गौरी व्रत के लिए पूजा चौकी, सफेद और लाल रंग का कपड़ा,आटे का चौमुखा दीपक, कलश, धूपबत्ती, कपूर, गेहूं, चावल, स्वच्छ मिट्टी चाहिए, जिससे मां गौरी की प्रतिमा का निर्माण किया जा सके. आप बाजार से बनी बनाई प्रतिमा भी खरीद सकते हैं. अभिषेक के लिए चाहिए दूध, साफ जल, पंचामृत, कुमकुम, चावल, अबीर, हल्दी, मां गौरी के लिए नए वस्त्र, माला, फल, आटे के लड्डू, पत्ते, सात तरह के अनाज, 16 सुपारी, पान और लौंग.
कैसे रखें मंगला गौरी व्रत और इसकी पूजा विधि?
मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें. उसके बाद हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें. मंदिर को साफ करें और गंगाजल छिड़कें. इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा दें और मां गौरी और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें. माता गौरी को लाल रंग के कपड़े या लाल चुनरी पहनाएं. इसके बाद सिंदूर का तिलक करें और घी का दीपक जलाएं. विधि-विधान से शिव और पार्वती की पूजा करें. पूजा में रोली,चावल, मिठाई, फल, फूल, धूप, दीप, पान, लौंग और सुहाग का सामान जरूर रखें. मंगला गौरी व्रत के दौरान ऊं गौरी शंकराय मंत्र का जाप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से शिव और पार्वती दोनों प्रसन्न होते हैं.
उद्यापन जरूरी
सुख और सौभाग्य के लिए रखा जाने वाला मंगला गौरी व्रत बिना उद्यापन के अधूरा माना जाता है. इस व्रत का उद्यापन भी सावन के महीने में ही किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मंगला गौरी माता के 16 व्रत रखने के बाद 17वें व्रत या फिर 21वें व्रत पर उद्यापन किया जा सकता है. सावन महीने में शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार को मंगला गौरी व्रत का उद्यापन किया जा सकता है.
आज करें ये उपाय
अगर विवाह में किसी वजह से नहीं हो रहा है या देरी हो रही है तो मंगला गौरी व्रत के दिन मां गौरी को 16 श्रृंगार के सामान चढ़ाएं. इससे शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं. इसके साथ ही आज मिट्टी का घड़ा बहते नदी में प्रवाहित कर दें. इस उपाय को करने से विवाह में आने वाली सारी बाधाएं दूर हो जाती है.
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