Guruwar Ke Upay: गुरुवार को पूजा के दौरान जरूर करें ये काम, पुण्य और मोक्ष की होगी प्राप्ति
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Guruwar Ke Upay: गुरुवार को पूजा के दौरान जरूर करें ये काम, पुण्य और मोक्ष की होगी प्राप्ति

Guruwar Ke Upay: गुरुवार को श्री हरि शरणाष्टकम् और कुछ मंत्रों का जाप कर विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं. ऐसा करने से आपको पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होगी. 

Guruwar Ke Upay

Guruwar Ke Upay: आज मार्गशीष (अगहन) मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. आज दिन गुरुवार है. हिंदू धर्म में यह दिन भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को समर्पित होता है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान विष्णु को जगत का पालनहार कहा जाता है. मान्यता है कि उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में सब मंगल होता है. आप भी गुरुवार को श्री हरि शरणाष्टकम् और कुछ मंत्रों का जाप कर विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं. ऐसा करने से आपको पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होगी. 

॥ श्री हरि शरणाष्टकम् ॥
ध्येयं वदन्ति शिवमेव हि केचिदन्येशक्तिं गणेशमपरे तु दिवाकरं वै।
रूपैस्तु तैरपि विभासि यतस्त्वमेवतस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥1॥
नो सोदरो न जनको जननी न जायानैवात्मजो न च कुलं विपुलं बलं वा।
संदृष्यते न किल कोऽपि सहायको मेतस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥2॥
नोपासिता मदमपास्य मया महान्तस्तीर्थानिचास्तिकधिया न हि सेवितानि।
देवार्चनं च विधिवन्न कृतं कदापितस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥3॥
दुर्वासना मम सदा परिकर्षयन्तिचित्तं शरीरमपि रोगगणा दहन्ति।
सञ्जीवनं च परहस्तगतं सदैवतस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥4॥
पूर्वं कृतानि दुरितानि मया तु यानिस्मृत्वाखिलानि ह्रदयं परिकम्पते मे।
ख्याता च ते पतितपावनता तु यस्मात्तस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥5॥
दुःखं जराजननजं विविधाश्च रोगा:काकश्वसूकरजनिर्निरय च पात:।
त्वद्विस्मॄतेः फलमिदं विततं हि लोकेतस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥6॥
नीचोऽपि पापवलितोऽपि विनिन्दितोऽपिब्रूयात्तवाहमिति यस्तु किलैकवारम्।
तं यच्छसीश निजलोकमिति व्रतं तेतस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥7॥
वेदेषु धर्मवचनेषु तथागमेषुरामायणेऽपि च पुराणकदम्बके वा।
सर्वत्र सर्वविधिना गदितस्त्वमेवतस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥8॥
॥ इति श्रीमत्परमहंसस्वामिब्रह्मानन्दविरचितं श्रीहरिशरणाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

इन मंत्रों का करें जाप
1. विष्णु मूल मंत्र 
ॐ नमोः नारायणाय॥

2. विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

3. विष्णु शांताकारम मंत्र 
शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

4. मङ्गलम् भगवान विष्णु मंत्र
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

5. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

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