Guruwar ke Upay: बृहस्पतिवार पूजा के दौरान जरूर करें ये काम, विष्णु जी प्रसन्न होकर देंगे मनचाहा फल
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Guruwar ke Upay: बृहस्पतिवार पूजा के दौरान जरूर करें ये काम, विष्णु जी प्रसन्न होकर देंगे मनचाहा फल

Guruwar ke Upay: हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवता से संबंधित माना जाता है. गुरुवार का संबंध भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है. ऐसे में आइये जानते हैं श्रीविष्णु को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है. 

Guruwar ke Upay

Guruwar ke Upay: आज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है. आज दिन गुरुवार है. हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित होता है. मान्यता है कि बृहस्पतिवार को श्रीविष्णु की पूजा-अराधना करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. जगत के पालनहार को प्रसन्न करने के लिए लोग गुरुवार का व्रत रखते हैं. अगर आप भी आज के दिन व्रत रखते हैं तो पूजा के बाद धूप-दीप से आरती जरूर करें. आज इस आर्टिकल में हम आपको श्रीविष्णु की प्रसिद्ध आरती लेकर आए हैं. 

ॐ जय जगदीश हरे आरती (Aarti: Om Jai Jagdish Hare)

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप (कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥

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