Govardhan Puja 2024: हर साल बड़े ही धूमधाम से दीपोत्सव मनाया जाता है. इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और पांच दिनों दिवाली मनाई जाती है. इसके ठीक बाद गोवर्धन पूजा करने की परंपरा है, लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं? यहां पढ़िए
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Govardhan Puja 2024: वैसे तो सनातन धर्म में हर त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन दीपों के उत्सव दीपावली की अलग ही रौनक होती है. ये त्योहार धनतेरस से शुरू होकर पांच दिनों तक मनाया जाता है. जैसे ही ये त्योहार खत्म होता है, उसके ठीक बाद गोवर्धन की पूजा की जाती है. इसके पीछे की वजह भी बेहद खास है. दरअसल, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा होती है. इस दौरान घर के बाहर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा में गायों की पूजा का भी खास महत्व है.
क्यों मनाया जाता है ये पर्व?
गोवर्धन पूजा भागवत पुराण में बताई गई पौराणिक कथाओं पर आधारित है. मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने वृंदावन वासियों से इंद्रदेव को प्रसाद चढ़ाने के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा था. जब इस बात की जानकारी वर्षा के देवता इंद्रदेव को हुई तब वो क्रोधित होकर वृंदावन पर मूसलाधार बारिश करने लगे. इस बारिश ने देखते ही देखते भयावह रूप ले लिया. जिससे वृंदावन वासियों और जानवरों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया.
इंद्रदेव ने मांगी श्रीकृष्ण से माफी
सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत के नीचे ही वृंदावन वासियों ने शरण ली. इसके बाद ब्रह्मजी ने इंद्रदेव को बताया कि भगवान विष्णु ने ही पृथ्वी लोक पर श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया है. उनसे बैर लेना ठीक नहीं है. जब ये बात इंद्रदेव को पता चली तो उन्होंने श्रीकृष्ण से माफी मांगी. इसके बाद भगवान ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रख दिया. फिर हर साल गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा श्रीकृष्ण ने दी. जिसके बाद गोवर्धन पूजा का उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा. इस दिन घरों में अन्नकूट का भोग बनाया जाता है. हर घर में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाकर पूरे परिवार के साथ पूजा अर्चना की जाती है.
डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का Zeeupuk हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.
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