Prayagraj Mahakumbh: महाकुंभ मेले से पहले गंगा और यमुना में सीवेज बह रहा है. जिसकी वजह से गंगा का पानी श्रद्धालुओं के नहाने और आचमन करने के लिए ठीक नहीं है.
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प्रयागराज: हिन्दू धर्म में कुंभ मेले का अपना ही एक अलग महत्व है, लोग ब्रेसबरी से इस मेले का इंतजार करते है. इस बार का महाकुंभ मेला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 2025 में होने वाला है. लेकिन इन सब के बीच हैरान करने वाली बात यह है कि गंगा और यमुना में सीवेज बह रहा है. हालांकि, गंगा का पानी श्रद्धालुओं के नहाने और आचमन करने के लिए ठीक नहीं है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा कि कुंभ मेला में आने वाले लोग न सिर्फ गंगा और यमुना में डुबकी लगाते हैं, बल्कि जल का इस्तेमाल पीने के लिए भी करते हैं, इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार को सीवेज को नियंत्रित करने के लिए तत्काल प्रयास करने चाहिए.
एनजीटी के निर्देश
प्रयागराज एनजीटी ने प्रयागराज प्रशासन को निर्देश दिया है कि महाकुम्भ के दौरान गंगा और यमुना का जल पीने लायक होना चाहिए. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए है. गंदे नालों के पानी को गंगा और यमुना में जाने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने के भी दिए निर्देश.
एमएलडी सीवेज
प्रयागराज शहर में 81 नालों से 289.97 मिलियन लीटर प्रतिदिन सीवेज निकलता है, लेकिन सिर्फ 178.31 एमएलडी सीवेज 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में सीवेज नेटवर्क में पहुंचता है, इसलिए 128.28 एमएलडी सीवेज का उपचार नहीं किया जा रहा है. 1 जुलाई को एनजीटी चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि आगामी महाकुंभ को लेकर कोई प्रभावी प्रयास नहीं किया जा रहा है. 81 में से 44 नाल अभी भी अनछुए हैं, जिससे 73.80 एमएलडी गैर शोधित सीवेज सीधे गंगा में गिर रहा है.
तीन एसटीपी बनाए जा रहे हैं
इस मामले में उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता ने कहा कि 44 में से 17 नालों को नवंबर 2024 तक टैप किया जाएगा और एसटीपी से जोड़ा जाएगा, जिससे 11.61 एमएलडी सीवेज को रोका जाएगा. इसके अलावा, 44 नालों के सीवेज उपचार में कमी को पूरा करने के लिए तीन एसटीपी बनाए जा रहे हैं. इन तीनों एसटीपी 90, 43, और 50 एमएलडी की क्षमता है.
सरकार की दलील से असंतुष्ट पीठ
पीठ ने कहा कि यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि उपचार के लिए सीवेज को मौजूदा एसटीपी पर या प्रस्तावित एसटीपी पर भेजा जाएगा क्योंकि 1,66,456 घरों को अभी सीवेज नेटवर्क से जोड़ा जाना है. पीठ ने सीवेज डिस्चार्ज को नियंत्रित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से प्रगति रिपोर्ट भी मांगी है और मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त, 2024 के लिए निर्धारित की है. पीठ ने कहा कि गंगा-यमुना में सीवेज निकासी को पूरी तरह से रोकना चाहिए और नदी का पानी पीने योग्य बनाना चाहिए. पीठ ने कहा कि स्नानघाट पर आने वाले श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों को डिस्पले में नदी के पानी की गुणवत्ता दिखाई और बताई जानी चाहिए.