SC decision on Bulldozer Action: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कोई आरोपी है इसलिए सजा के तौर पर घर नहीं तोड़ा जा सकता है. कार्यपालिका कोर्ट की जगह नहीं ले सकती है.
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SC Bulldozer action Hearing Update: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने साफ कहा है कि कार्यपालक अधिकारी जज नहीं बन सकते हैं. आरोपी को दोषी करार नहीं दे सकते और उसका घर नहीं गिरा सकते हैं. कोर्ट ने कहा मनमाने तरीके से बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता है. अपराध की सजा घर तोड़ना नहीं है. सरकार की ऐसी कार्रवाई अवैध होगी. जस्टिस बीआर गवई ने कवि प्रदीप की एक कविता 'घर एक सपना है जो कभी ना टूटे' के जरिए फैसला शुरू किया. जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच फैसला सुना रही है. कोर्ट ने कहा केवल आरोपी होने पर किसी का घर नहीं गिराया जा सकता है. न्यायिक काम कोर्ट को मिले हैं. कार्यपालिका कोर्ट की जगह नहीं ले सकती है. राज्यों को कानून का पालन करना होगा.
कोर्ट ने यह भी कहा कि अफसर कानून हाथ में नहीं ले सकते हैं.अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए. साथ दी दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की भी बात कही. बुलडोजर एक्शन आर्टिकल 21 का उल्लंघन है. दोषियो के खिलाफ भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. ऐसा करने पर सरकार कानून को हाथ में लेने की दोषी होगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई और विकल्प न होने पर ही ऐसा किया जा सकता है. बुलडोजर कार्रवाई को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद समेत के अलावा कई याचिका दाखिल की गई थीं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. आज कोर्ट के फैसले के बाद ही बुलडोजर एक्शन को लेकर तस्वीर साफ हो पाएगी. बीते कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई से जुड़े एक मामले में यूपी सरकार को फटकार लगाई थी. साथ ही सरकार को अंतरिम उपाय के तौर पर याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, लोगों की आवाज उनकी संपत्ति को नष्ट करने की धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता है. कानून के शासन में 'बुलडोजर न्याय' पूरी तरह अस्वीकार्य है.पीठ ने कहा कि बुलडोजर के जरिए न्याय करना किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था का हिस्सा नहीं हो सकता. राज्य को अवैध अतिक्रमणों या गैरकानूनी रूप से निर्मित संरचनाओं को हटाने के लिए कार्रवाई करने से पहले कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए.
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