50-50 पैसे जोड़ 150 साल पहले बनी यूपी की ये यूनिवर्सिटी, ब्रिटिश भारत के पहले वायसराय के नाम पर बनाई गई
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50-50 पैसे जोड़ 150 साल पहले बनी यूपी की ये यूनिवर्सिटी, ब्रिटिश भारत के पहले वायसराय के नाम पर बनाई गई

Lucknow University ka itihas: लखनऊ यूनिवर्सिटी का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है. इस यूनिवर्सिटी को शुरू करने के लिए तालुकेदारों ने 50 -50 पैसे जोड़े थे. तंग गलियों के दो कमरों से शुरू हुई ये यूनिवर्सिटी आज भारत भर में अपनी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए जानी जाती है.

lucknow university

Lucknow University History: लखनऊ यूनिवर्सिटी भारत में उच्च शिक्षा के सबसे पुराने संस्थानों में से एक है. यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा राज्य विश्वविद्यालय भी है. इस समय लखनऊ यूनिवर्सिटी के अंतर्गत 556 कॉलेज और 17 अन्य संस्थान आते हैं. लखनऊ और उसके आस पास जिलों जैसे रायबरेली, हरदोई, सीतापुर और लखीमपुर खीरी के कॉलेज भी इस यूनिवर्सिटी के के अंतर्गत आते हैं. इस यूनिवर्सिटी को यूजीसी द्वारा "श्रेणी-I" विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है और यह सूबे का पहला सार्वजनिक विश्वविद्यालय है जिसे कि NAAC ने A++ दर्जा दिया है. आइए आपको बताते हैं कि इस विश्वविद्यालय का क्या इतिहास रहा है और कैसे इसकी शुरुआत हुई.

पहले वायसराय से नाता: ब्रिटिश भारत के पहले वायसराय चार्ल्स जॉन कैनिंग ने जब इस दुनिया को अलविदा कह दिया तो उनकी याद में उनके वफादार तालुकदारों ने एक शैक्षणिक संस्थान शुरू करने की सोची. इसके लिए उन्होंने अपनी सालाना आमदनी से आठ आना (आज के 50 पैसे) दान करने का फैसला किया था. इसके ठीक दो साल बाद, 1864 में, कैनिंग हाई स्कूल की शुरुआत हुई.

दो कमरों में हुई शुरुआत: इस स्कूल की शुरुआत अमीनाबाद के ख्यालीगंज की संकरी गलियों में एक हवेली के दो कमरों में हुई. जहां 200 छात्र पढ़ा करते थे. कैनिंग कॉलेज शुरु की स्थापना का विचार सबसे पहले महाराजा मान सिंह को आया था. जिसके बाद कॉलेज का नाम लॉर्ड कैनिंग के नाम पर रखा गया.

कैनिंग कॉलेज से निकला है लखनऊ विश्वविद्यालय: आज जो लखनऊ विश्वविद्यालय है वह इसी कैनिंग कॉलेज से निकला है. कॉलेज जिस जमीन पर बना वह अंग्रेजों ने कपूरथला के राजा सर रणधीर सिंह को दी थी. शुरुआती दिनों में, कैनिंग कॉलेज के पास अपनी कोई जगह नहीं थी. पहले बारह साल, कॉलेज अमीनुद्दौला पैलेस से लाल बारादरी सहित कई जगहों पर रहा. आखिरकार, इसे कैसर बाग में जगह मिली.

कपूरथला के महाराज ने 3 रुपए किराए पर दी जमीन: 1905 में, सरकार ने कैनिंग कॉलेज को गोमती नदी के उत्तर में स्थित लगभग 90 एकड़ का बादशाह बाग सौंप दिया. इसे कपूरथला के महाराजा ने ब्रिटिश सरकार से नीलामी में खरीदा था. बाद में महाराजा ने इस 90 एकड़ ज़मीन को कैनिंग कॉलेज को सिर्फ़ ₹3 वार्षिक किराए पर दे दिया.

इस यूनिवर्सिटी का पहला अकादमिक वर्ष 1921 में शुरू हुआ. इसके बाद यूनिवर्सिटी के लिए नई इमारत बनाने के बारे में सोचा गया. नई इमारत सरकार से मिल रहे विशेष अनुदान, कैसरबाग में पुरानी इमारत को बेचने और बलरामपुर के महाराजा सर भगवती सिंह की मदद से बनाई गई.

विश्वस्तरीय यूनिवर्सिटी का विचार: लखनऊ में एक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय शुरू करने का विचार सबसे पहले राजा सर मोहम्मद अली मोहम्मद खान, खान बहादुर, के.सी.आई.ई. महमूदाबाद को आया था. यूनिवर्सिटी को लेकर 10 नवंबर, 1919 को गवर्नमेंट हाउस, लखनऊ में एक मीटिंग रखी गई. बाद में महमूदाबाद और जहांगीराबाद के राजा की ओर से यूनिवर्सिटी बनाने के लिए एक-एक लाख रुपये के दान का ऐलान किया गया.

लखनऊ विश्वविद्यालय अधिनियम: अप्रैल 1920 के महीने में लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए एक मसौदा तैयार किया जिसे 12 अगस्त 1920 को विधान परिषद में पेश किया गया. यह विधेयक 8 अक्टूबर 1920 को परिषद द्वारा पारित किया गया. लखनऊ विश्वविद्यालय अधिनियम, संख्या V, 1920 को 1 नवंबर को लेफ्टिनेंट-गवर्नर ने और 25 नवंबर 1920 को गवर्नर-जनरल ने सहमति दी. जिससे लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना हुई.

आगे चलकर कैनिंग कॉलेज को विश्वविद्यालय में मिला दिया गया. इसके अतिरिक्त, किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज और अस्पताल को 1 मार्च, 1921 को विश्वविद्यालय में शामिल किया गया. 

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