UP Lok Sabha Chunav 2024: सीतापुर में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोट, BJP के लिए सपा-कांग्रेस को हराकर हैट्रिक लगाना आसान नहीं
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UP Lok Sabha Chunav 2024: सीतापुर में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोट, BJP के लिए सपा-कांग्रेस को हराकर हैट्रिक लगाना आसान नहीं

Sitapur Lok Sabha Chunav 2024: सीतापुर लोकसभा सीट एक समय कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी. 2014 से यह भारतीय जनता पार्टी के पास है. आइए जानते हैं  इस सीट का इतिहास, सियासी समीकरण और 2024 को लेकर क्या चुनावी माहौल है. 

UP Lok Sabha Chunav 2024: सीतापुर में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोट, BJP के लिए सपा-कांग्रेस को हराकर हैट्रिक लगाना आसान नहीं

Sitapur Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में अब कुछ दिन ही बाकी रह गए हैं. तमाम राजनीतिक दलों ने तैयारी तेज कर दी हैं. सीतापुर लोकसभा सीट की बात करें तो यह एक समय कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी. नेहरू पंडित जवाहरलाल नेहरू के चचेरे भाई की पत्नी यहां से पहली सांसद बनी थीं. आइए जानते हैं  इस सीट का इतिहास, सियासी समीकरण और 2024 को लेकर क्या चुनावी माहौल है. 

2024 लोकसभा चुनाव में कौन प्रत्याशी (Sitapur Lok Sabha Chunav 2024 Candidate)
बीजेपी -  राजेश वर्मा
सपा-कांग्रेस गठबंधन - नकुल दुबे
बसपा - घोषित नहीं  

सीतापुर क्षेत्र में हैं 5 विधानसभा सीटें 
सीतापुर लोकसभा सीट में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें बिसवां विधानसभा, सीतापुर, लहरपुर महमूदाबाद, सेवता विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.

10 साल से बीजेपी का सीट पर कब्जा
मोदी लहर में सीतापुर सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने परचम लहराया था. 1996 में बसपा से सियासी पारी शुरू करने वाले राजेश वर्मा 2014 में यहां से सांसद बने. इसके बार 2019 लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत का परचम लहाराया. पहली बार 13वीं लोकसभा के लिए सांसद चुने गए थे. 

दो बार सांसद बनीं उमा नेहरू
बता दें कि सीतापुर लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए पहले चुनाव में कांग्रेस की उमा नेहरू ने जीत कर पहली सांसद बनी. उमा नेहरू पंडित जवाहरलाल नेहरू के चचेरे भाई की पत्नी थीं. उमा नेहरू  1957 के चुनाव में लगातार दूसरी बार सांसद चुनी गईं. 1962 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान यह सीट जनसंघ के खाते में चली गई. 1967 में जनसंघ से शारदानंद दीक्षित  चुनाव जीते. 

कांग्रेस के राजेंद्र कुमारी वाजपेई ने लगाई हैट्रिक
1971 में कांग्रेस के जगदीश चंद्र दीक्षित चुनाव जीते. 1977 में भारतीय लोक दल के हरगोविंद वर्मा जीते. 1980, 1984 और 1989 तीन बार लगातार कांग्रेस की राजेंद्र कुमारी वाजपेई चुनाव जीतीं. 1991 में भारतीय जनता पार्टी के जनार्दन मिश्रा, 1996 में समाजवादी पार्टी के मुख्तार अनीस चुनाव जीते. 1998 में भाजपा के जनार्दन मिश्रा चुनाव जीते. 1999 व 2004 में बसपा से राजेश वर्मा, 2009 में बसपा की कैसर जहां चुनाव जीतीं.

टिकट की जुगत में जुटे नेता
मौजूदा समय में इस सीट से राजेश वर्मा सांसद हैं. देखना होगा कि अगले चुनाव में पार्टी उन पर ही भरोसा जताती है या कोई नया उम्मीदवार मैदान में आता है. फिलहाल टिकट की रेस में कई बीजेपी नेता दावेदारी ठोक रहे हैं. सपा के दावेदारों में लहरपुर से सपा विधायक अनिल वर्मा. महमूदाबाद से पूर्व विधायक नरेंद्र वर्मा. सपा नेता प्रद्युम्न वर्मा. पूर्व सांसद कैसर जहां दावेदारी कर रही हैं. 

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सीतापुर सीट पर में मुस्लिम वोटर सबसे ज्यादा
सीतापुर लोकसभा सीट में अगर वोटरों की बात की जाए तो यहां लगभग सवा दो लाख मुस्लिम 2 लाख अनुसूचित जाति, डेढ़ लाख ब्राह्मण, 85000 क्षत्रिय एवं कुर्मी मतदाता हैं. सीतापुर जिला 5.743 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल जनसंख्या 44 लाख 83 हाजर 992 है. इनमें से 23 लाख 75 हजार 264 पुरुष और 21 लाख 8 हजार 728 महिलाएं है. यहां प्रति 1 हजार पुरुषों पर 888 महिलाएं हैं. सीतापुर की साक्षरता की बात की जाए तो यहां की औसत साक्षरता दर 61.12% है. जिसमें पुरुष साक्षरता दर 70.31 प्रतिशत है और महिला साक्षरता दर 50.67 प्रतिशत है.

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क्या है सीतापुर का इतिहास
सीतापुर सरायन नदी के किनारे बसा है. अंग्रेजों के राज में सीतापुर ब्रिटिश सेना की छावनी हुआ करता था. माना जाता है कि सीतापुर का नाम भगवान राम की पत्नी सीता जी के नाम पर पड़ा. ऐसी मान्यता है वनवास जाते समय माता-सीता भगवान राम और लक्ष्मण यहां ठहरे थे. इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने इस शहर का नाम देवी सीता के नाम पर सीतापुर रख दिया. हालांकि इस नामकरण के तर्क के पीछे का कोई पुख्ता सबूत नहीं है.

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अबुल फजल की आइना अकबरी के अनुसार अकबर के शासनकाल में सीतापुर का नाम चैत्यापुर या चितईपुर था. कौशल नरेश के पुत्र विदुदल के काल में सीतापुर मगध के  सिंगुनाग राज्य के अंदर आता था. नंद और मौर्य वंश के पतन के बाद यह क्षेत्र सुंगवंश के अंतर्गत आ गया. गोमती नदी के किनारे स्थित नैमिषारण्य वही स्थान है जहां  ऋषि वेदव्यास ने पुराणों की रचना की थी. 

(सीतापुर से राजकुमार दीक्षित की रिपोर्ट)

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