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14 बरस के वनवास में चित्रकूट समेत किन 17 जगहों पर रहे अयोध्या के राजा श्रीराम

क्या आपको ये पता है कि भगवान राम सीता और लक्ष्मण अपने 14 साल के वनवास के दौरान कहां-कहां रुके थे.

 

कहां-कहां रुके राम

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 कहां-कहां रुके राम

14 वर्ष के वनवास में श्रीराम ने कई ऋषि-मुनियों से शिक्षा-विद्या ग्रहण की और तपस्या. संपूर्ण भारत को उन्होंने एक ही विचारधारा के सूत्र में बांधा. 

 

14 साल का वनवास

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14 साल का वनवास

इतिहासकारों ने 200 से ज्यादा ऐसे स्थानों का पता लगाया है जहां राम, सीता और लक्ष्मण अपने 14 साल के वनवास के दौरान ठहरे थे, जहां आज भी तत्संबंधी स्मारक स्थल मौजूद हैं. जानते हैं कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में.

 

तमसा नदी-श्रृंगवेरपुर तीर्थ

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तमसा नदी-श्रृंगवेरपुर तीर्थ

तमसा नदी अयोध्या से 20 किमी दूर है. ये वो नदी है जिसे भगवान राम ने नाव के जरिए पार की थी. इस जगह को अब सिंगरौर कहा जाता है. रामायण में भी इस जगह का उल्लेख किया गया है. 

 

कुरई गांव-प्रयाग

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कुरई गांव-प्रयाग

सिंगरौर में गंगा पार करने के बाद श्रीराम कुरई में ही रुके थे. कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी के साथ प्रयाग पहुंचे थे. जो आज  प्रयागराज के नाम से जाना जाता है.

 

चित्रकूट

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चित्रकूट

भगवान राम प्रयाग के बाद चित्रकूट पहुंचे थे. ये मंदाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ है. चित्रकूट  वही जगह है जहां भरत, श्रीराम से मिलने आए थे और उन्हें वापस आयोध्या चलने को कहा था.

 

सतना-दंडकारण्य

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सतना-दंडकारण्य

चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित अत्रि ऋषि का आश्रम था.  सतना में 'रामवन' नामक स्थान पर भी श्रीराम रुके थे. श्रीराम दंडकारण्य ने वनवास के 10 साल बिताए.

 

पंचवटी नासिक

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पंचवटी नासिक

यही वो जगह है जहां लक्ष्मण ने लंकेश रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काटी थी. राम-लक्ष्मण ने खर और दूषण के साथ युद्ध किया था. वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड में पंचवटी का मनोहर वर्णन मिलता है.

 

सर्वतीर्थ-पर्णशाला

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सर्वतीर्थ-पर्णशाला

सर्वतीर्थ नासिक क्षेत्र में आता है और ये वहीं जगह है जहां रावण ने सीता का हरण किया था. ‬जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नाम के स्थान पर हुई थी. मान्यता है कि पर्णशाला वह स्थान है, जहां से सीताजी का हरण हुआ था.

 

तुंगभद्रा-शबरी आश्रम-ऋष्यमूक पर्वत

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तुंगभद्रा-शबरी आश्रम-ऋष्यमूक पर्वत

सर्वतीर्थ और पर्णशाला के बाद श्रीराम-लक्ष्मण सीता की खोज में तुंगभद्रा तथा कावेरी नदियों के क्षेत्र में पहुंचे. रास्ते में श्रीराम पंपा नदी के पास स्थित शबरी आश्रम गए थे. जो आजकल केरल में स्थित है.

 

कोडीकरई-रामेश्वरम

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कोडीकरई-रामेश्वरम

कोडीकरई वो जगह है जहां राम की वानर सेना ने रामेश्वर की तरफ कूच किया था. रावण का वध करने से पहले रामेश्वरम में भगवान राम ने शिव जी की पूजा की थी.

 

धनुषकोडी से रामसेतु

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धनुषकोडी से रामसेतु

श्रीराम रामेश्वर से धनुषकोडी पहुंचे. यहां रामसेतू का निर्माण किया गया था. धनुषकोडी ही भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्थलीय सीमा है. नुवारा एलिया पर्वत- श्रीराम रामसेतु बनाकर श्रीलंका पहुंचे थे. 

 

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर

स्पष्ट कर दें कि यह AI द्वारा निर्मित महज काल्पनिक फोटो हैं, जिनको बॉट ने कमांड के आधार पर तैयार किया है.