कौन हैं भीष्म शंकर तिवारी, अखिलेश ने बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे पर क्यों खेला दांव
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कौन हैं भीष्म शंकर तिवारी, अखिलेश ने बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे पर क्यों खेला दांव

Who is Bhishma Shankar Tiwari: पूर्वांचल के ब्राह्मणों में हरिशंकर तिवारी बड़ा नाम है. हरिशंकर तिवारी यूपी सरकार में पूर्व मंत्री व कद्दावर नेता रहे. हरिशंकर तिवारी का गोरखपुर से सटे संतकबीरनगर की राजनीति में दिलचस्‍पी थी.

Kushal Tiwari

Samajwadi Party Candidate List : समाजवादी पार्टी ने रविवार (14 अप्रैल) को यूपी के 7 लोकसभा सीटों पर प्रत्‍याशियों के नामों की घोषणा कर दी. इसमें जौनपुर, डुमरियागंज, संतकबीरनगर, सलेमपुर, मछलीशहर और श्रावस्‍ती लोकसभा सीट शामिल है. डुमरियागंज से चौंकाने वाला नाम सामने आया है. सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी के बेटे भीष्म शंकर तिवारी पर दांव खेला है. 

हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल के कद्दावर नेता 
पूर्वांचल के ब्राह्मणों में हरिशंकर तिवारी बड़ा नाम है. हरिशंकर तिवारी यूपी सरकार में पूर्व मंत्री व कद्दावर नेता रहे. हरिशंकर तिवारी का गोरखपुर से सटे संतकबीरनगर की राजनीति में दिलचस्‍पी थी. हरिशंकर तिवारी ने अपने बेटे विनय शंकर तिवारी को चिल्‍लूपार विधानसभा की विरासत दी. वहीं, बड़े बेटे भीष्‍म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी को संतकबीरनगर लोकसभा की विरासत सौंपी. हरिशंकर तिवारी के बेटे भीष्‍म शंकर उर्फ कुशल तिवारी का लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर काफी समय से चर्चा हो रही है.

कौन हैं कुशल तिवारी?
संतकबीरनगर लोकसभा सीट से भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी सांसद रह चुके हैं. 2009 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में बसपा के भीष्म शंकर उर्फ कौशल ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शरद त्रिपाठी को 29,496 मतों के अंतर से हरा दिया था. भीष्म शंकर को इस चुनाव में 26.35 फीसदी यानी 2,11,043 मत हासिल हुए थे और उन्होंने 3.68 फीसदी के अंतर से यह जीत हासिल की थी. वहीं, साल 2014 के चुनाव में बीजेपी के शरद त्रिपाठी ने पिछली हार का बदला लेते हुए भीष्म शंकर को हराकर संसद में प्रवेश किया. 

धोखाधड़ी के मामले में ईडी ने की थी छापेमारी 
बता दें कि पिछले दिनों पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के घर तिवारी हाता पर ईडी ने छापेमारी की थी. 750 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में ईडी ने हरिशंकर तिवारी के घर पर छापेमारी की थी. धोखाधड़ी का मामला 2012 से 2016 के बीच का है. ईडी ने लखनऊ, गोरखपुर, नोएडा, अहमदाबाद और गुरुग्राम में 10 ठिकानों में एक साथ छापेमारी की थी. 

 

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