कौन हैं महाकुंभ में 13 अखाड़ों के मुखिया रवींद्र पुरी, युवावस्था में घर छोड़ बने संन्यासी, निरंजनी अखाड़े ने बदली जिंदगी
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कौन हैं महाकुंभ में 13 अखाड़ों के मुखिया रवींद्र पुरी, युवावस्था में घर छोड़ बने संन्यासी, निरंजनी अखाड़े ने बदली जिंदगी

Akhada Parishad President Mahant Ravindra Puri: प्रयागराज महाकुंभ का आज से औपचारिक आगाज हो रहा है. अखाड़ों का पहुंचना शुरू हो गया है. पीएम मोदी अखाड़ा परिषद के साधु-संतों से मुलाकात भी करेंगे.   

Ravindra Puri

Akhada Parishad President Mahant Ravindra Puri: प्रयागराज महाकुंभ 2025 में साधु संतों का आना शुरू हो गया है. महाकुंभ का आयोजन हो और अखाड़े न हों ऐसा नहीं हो सकता. मतलब जहां कुंभ वहां अखाड़े. महाकुंभ की शुरुआत 13 अखाड़ों के स्नान के साथ ही होती है. सभी 13 अखाड़े अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में आते हैं. तो आइये जानते हैं वर्तमान में अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष महंत रविंद्र पुरी दास के बारे में...   

कौन हैं अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष रविंद्र पुरी दास? 
जानकारी के मुताबिक, आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में 13 अखाड़े बनाए थे. अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद साधु संतों की सबसे बड़ी संस्‍था अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष का पद खाली हो गया था. इसके बाद सभी अखाड़ों की सहमति के बाद महंत रविंद्र पुरी दास को नया अध्‍यक्ष बनाया गया था. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नए अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी हरिद्वार के मनसा देवी ट्रस्ट के भी अध्यक्ष हैं.  

1980 में ले लिया था संन्‍यास 
जानकारी के मुताबिक, महंत रविंद्र पुरी दास ने 41 साल पहले 1980 में संन्यास ले लिया था. अखाड़ों में रविंद्र दास सबसे पहले पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी से जुड़े. सरल स्‍वभाव और अपने काम से उन्‍हें 1994 में पहली बार सचिव बनाया गया. इसके बाद उन्‍होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. निरंजनी अखाड़े के सचिव रहे महंत रामानंद पुरी से उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली थी. वही उनके गुरु थे. 

खास क्‍यों होता है अखाड़ा परिषद अध्यक्ष का पद
देशभर में कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में होता है. महाकुंभ 2025 में अखाड़ों को जमीन, टेंट, साफ-सफाई आदि जैसी सुविधाएं सरकार मुहैया कराती है. साधु-संतों और सरकार के बीच समन्वय बनाने में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. अखाड़ा परिषद अध्यक्ष सरकार और साधु-संतों के बीच सेतु का काम करता है. 

2025 में पूरा होगा अखाड़ा पर‍िषद अध्‍यक्ष पद का कार्यकाल 
अखाड़ा परिषद अध्‍यक्ष का पद पांच साल का होता है. महंत नरेंद्र गिरि को 2019 में अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था. उनका कार्यकाल 2025 तक था, नरेंद्र गिरि के निधन के बाद रविंद्र पुरी दास को नया अध्‍यक्ष चुन लिया गया. बता दें कि अखाड़ा परिषद देश में सनातक धर्म का प्रचार-प्रचार, उसकी रक्षा का काम करता है. यह काम परिषद सभी अखाड़ों को एक साथ मिलाकर करता है. अखाड़ों का उद्देश्य ही सनातन धर्म की रक्षा करना है. ऐसे में सरकार भी अखाड़ा परिषद अध्यक्ष की बात मानती है. 

 

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