Mahakumbh 2025: नागा साधु अमृत स्‍नान से पहले क्‍यों पूरे शरीर पर लगाते हैं भस्‍म?इन सन्यासियों का रहस्य करता है हैरान
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2600528

Mahakumbh 2025: नागा साधु अमृत स्‍नान से पहले क्‍यों पूरे शरीर पर लगाते हैं भस्‍म?इन सन्यासियों का रहस्य करता है हैरान

Naga Sadhu rituals In Prayagraj Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का महाआयोजन किया गया है.जहां पर मुख्य आकर्षण अखाड़ों के नागा संन्यासी बने रहते हैं. जिनको लेकर एक बड़ा सवाल ये होता है कि स्नान के लिए निकले नागा साधु आखिर क्यों स्नान से पहले पूरे शरीर पर भस्म मलते हैं.

maha kumbh 2025

Naga Sadhu In Prayagraj Mahakumbh 2025: देश-विदेश से इस समय हुजूम के हुजूम लोग उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ की तीर्थयात्रा पर निकले हैं. महाकुंभ की हर बात निराली है, लेकिन मुख्य आकर्षण का केंद्र यहां के अखाड़ों के वो नागा संन्यासी है जिनकी एक एक अंदाज अद्भुत है. 12 साल के इंतजार के बाद प्रयागराज में महाकुंभ का मेला लगता है. यहां अमृत स्नान किए जाते हैं, लोग पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगाते हैं लेकिन जब नगा साधुओं के स्नान की बात आती है तो यह बिल्कुल अलग तरह की प्रक्रिया लगती है. नागा साधुओं का स्नान साधारण जन की तरह नहीं होता है. 

माता-पिता और खुद का पिंड दान
नागा साधु स्नान से पहले पूरे शरीर पर भस्म लगाते हैं. ये साधु जब स्नान के लिए निकलते हैं तो उससे पहले पूरे शरीर पर भभूत मलते हैं. जब कई कई नागा साधु गंगा तट पर एक साथ अमृत स्नान के लिए पहुंचते हैं तो उनका उत्साह देखते बनता है. एक बच्चे की भांति उन्मुक्त भाव से ये साधु उछलते कूदते हैं. इससे पता चलता है कि मां गंगा नागा साधुओं के लिए साक्षात उनकी मां की तरह हैं. माता-पिता और खुद का पिंड दान करने वाले संन्यासी मां गंगा को साक्षात अपनी माता मानते हैं और अथाह श्रद्धा रखते हैं. 

भस्मी स्नान क्यों 
स्नान से पहले भस्म पूरे शरीर पर मलने के पीछे भी मां गंगा के लिए श्रद्धा भाव ही है. ये नागा संन्यासी इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि तन की मैल से मां गंगा का आंचल न मैला हो जाए, इसके लिए अमृत स्नान से पहले नागा संन्यासी अपनी छावनी में स्नान करते हैं और तन की मैल दूर करते हैं या यूं कहें कि खुद को शुद्ध करते हैं ताकि अमृत स्नान पर गंगा स्नान करते समय मां गंगा न मैली हो. जूना, आह्वान, निरंजनी से लेकर आनंद, महानिर्वाणी, अटल अखाड़े के नागा साधु शिविर में पहले स्नान करते हैं, फिर अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे बैठकर शरीर पर भस्म लगाते हैं इसे भस्मी स्नान कहा जात है. 

जीवाणु का खात्मा
स्नान से पूर्व भस्मी स्नान के पीछे का नागा साधुओं का मकसद भी मां गंगा को स्वच्छ रखना होता है लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण भी है. जो भस्म नागा शरीर पर मलते हैं उसमें ऐसे ऐसे केमिकल मौजूद होते हैं जो खराब वैक्टीरिया के साथ ही जीवाणु का भी खात्मा करते हैं. संतों का ऐसा दावा है कि अमृत स्नान के बीओडी यानी बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड भी 10 फीसदी तक बढ़ता है. 
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

और पढ़ें- Ganga Sagar Mela 2025: महाकुंभ की हर तरफ चर्चा, देश में पवित्र स्नान के लिए गंगा के किनारे लगा है एक और मेला 

Trending news