Mahakumbha 2025: कुंभनगरी में अखाड़ों की धर्मध्वजा लहराने लगी हैं तो अब शाही अंदाज में अखाड़ों की पेशवाई निकलेगी. इसकी शुरूआत जूना अखाड़े की 14 दिसंबर को निकलने वाली पेशवाई से होगा.
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Mahakumbha 2024: महाकुंभ की पहली पेशवाई 14 दिसंबर को जूना अखाड़े की है. इसमें किन्नर अखाड़ा भी शामिल होगा. काशी से साधु-संत पहुंच गए हैं. इष्टदेव और निशान की अगुवाई में ही पेशवाई निकाली जाएगी. प्रयागराज के जमुना ब्रिज स्थित अखाड़े से पेशवाई शाही अंदाज में निकलेगी. इसमें पंच परमेश्वर के अलावा गाजेबाजे के साथ हाथी, घोड़े भी होंगे. इष्टदेव दत्तात्रेय की प्रतिमा और निशान भाला गया है. इसमें शामिल होने काशी में मौजूद 13 अखाड़ों के साधु-संत भी पहुंच चुके हैं. पेशवाई जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी की अगुवाई में निकलेगी. संरक्षक हरि गिरी और अध्यक्ष महंत प्रेमगिरी महाराज व्यवस्था संभालेंगे
श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की पेशवाई (Shripanchadashnam presentation of Juna Akhara)
आज 14 दिसंबर को सुबह 11 बजे लाव लश्कर के साथ साधु संत महाकुंभ छावनी के लिए रवाना होंगे. मौज़गीरी आश्रम से त्रिवेणी मार्ग अखाड़े के शिविर के लिए जूना के संत रवाना होंगे. संत, महंत, महामंडलेश्वर, जगद्गुरु और नागा संत पेशवाई छावनी प्रवेश के आकर्षण होंगे. शाही अंदाज में रथ, बग्घी और घोड़ों पर सवार होकर पेशवाई निकलेगी. आह्वान अखाड़े की पेशवाई 22 दिसंबर को निकाली जाएगी. 10 जनवरी के पहले सभी अखाड़ों की पेशवाई हो जाएगी। इसके बाद शाही स्नान शुरू हो जाएगा.
चांदी के हौदे पर सवार होंगे अखाड़े के महामंडलेश्वर
इस पेशवाई में पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड के डीजे, बैंड भी शामिल होंगे. अखाड़े के महामंडलेश्वर चांदी के हौदे पर सवार होंगे. सबसे आगे नागा संत घोड़ों पर सवार होकर निकलेंगे.
क्या है शाही पेशवाई
कुंभ में अखाड़ों की पेशवाई बहुत खास होती है. पेशवाई यानी राजसी शानो-शौकत के साथ साधु-संतों के कुंभ में प्रवेश करना होता है. साधु-संत शाही रूप में राजा महाराजों की तरह हाथी, घोड़े और रथों से निकाली जाती है और श्रद्धालु उनका मार्ग में स्वागत व सम्मान करते हैं.श्रीशंभू पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा के श्रीमहंत बटेश्वर भारती महाराज ने बताया कि अपनी सेना और परंपराओं के साथ नगर में निकलते हैं.
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