धर्म के साथ व्यापार का संगम बना हुआ है महाकुंभ मेला, लोग संजो रहे हैं अपनी याद
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धर्म के साथ व्यापार का संगम बना हुआ है महाकुंभ मेला, लोग संजो रहे हैं अपनी याद

Mahakumbh Local For Vocal: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ न सिर्फ धर्म और आस्था का केंद्र बना हुआ है बल्कि कला और हस्तशिल्प को भी नई पहचान मिल रही है. व्यापारियों के लिए यह मेला किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि इस मेले में स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बाजार मिल रहा है.

धर्म के साथ व्यापार का संगम बना हुआ है महाकुंभ मेला, लोग संजो रहे हैं अपनी याद

Mahakumbh Local For Vocal: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ न सिर्फ धर्म और आस्था का केंद्र बना हुआ है बल्कि कला और हस्तशिल्प को भी नई पहचान मिल रही है. व्यापारियों के लिए यह मेला किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि इस मेले में स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बाजार मिल रहा है. इस मेले के जरिए उत्तर प्रदेश के छोटे-छोटे गांव और बाजार के बने सामान देश और विदेश तक पहुंच रहे हैं.

धर्म के साथ व्यापार का भी संगम है महाकुंभ

देखा जाए तो महाकुंभ 2025 धर्म के साथ-साथ परंपरा और व्यापार का अनूठा संगम नजर आ रहा है. यह मेला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे ‘वोकल फॉर लोकल’ का सशक्त उदहारण बनता दिख रहा है. मेले में जगह-जगह स्थानीय उत्पादों के स्टॉल लगाए गए हैं. जिसे यहां आने वाले श्रद्धालु न सिर्फ उसके बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं बल्कि उसे खरीद कर दुकानदारों की आमदनी भी बढ़ा रहे हैं.

कई जगह दिख रहे हैं ओडीओपी के स्टॉल

महाकुंभ 2025 में 'एक जिला, एक उत्पाद' यानी कि ओडीओपी प्रदर्शनी, उत्तर प्रदेश की शिल्पकला और सांस्कृतिक समृद्धि का जीवंत उदाहरण बन रहा है. ऐसे में मेला समिति भी अपनी ओर से श्रद्धालुओं से यहां के लोकर सामान को खरीदने की अपील कर रहा है.

मेला समिति कर रहा है अपील

मेला समिति की ओर से ट्विटर के जरिए भी अपील की जा रही है. लोकल सामान खरीदने को लेकर महाकुंभ के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से लिखा गया है, ''MahaKumbh2025 में 'एक जिला, एक उत्पाद' (ODOP) प्रदर्शनी, उत्तर प्रदेश की शिल्पकला और सांस्कृतिक समृद्धि का जीवंत उदाहरण है. आइए, इस अनोखी विरासत को पहचानें और लोकल को ग्लोबल बनाने के अभियान में शामिल हों!''

लोग संजो रहे हैं याद

बता दें कि मेला में किसी जिले का बना सिरका बिक रहा है तो किसी जिले का बना लकड़ी का सामान. किसी जिले में बने कांच का सामान बिक रहा है तो वहीं किसी जिले में बने माला और तमाम तरह की मूर्तियां बिक रही है. ऐसे में लोग यादों को संजोने के लिए मेला से सामान खरीद कर जा भी रहे हैं.

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