Shamli News: शामली का ऐतिहासिक मनहार खेड़ा किला इन दिनों विवादों में है. जहां एक ओर राजपूत समाज इसे अपने पूर्वजों की धरोहर बता रहा है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय लोकदल के विधायक अशरफ अली इसे अपनी पैतृक संपत्ति बता रहे हैं. पढ़िए पूरा मामला
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Shamli News: शामली का ऐतिहासिक मनहार खेड़ा किला इन दिनों खूब सुर्खियों में है. यह किला विवाद का केंद्र बना हुआ है. जहां इस किले को राजपूत समाज अपने पूर्वजों की धरोहर बताते हुए संरक्षित करने की मांग की है, वहीं राष्ट्रीय लोकदल के विधायक अशरफ अली इसे अपनी पैतृक संपत्ति बता रहे हैं. आपको बता दें, मौजूदा वक्त में इस किले में कई परिवार रहते हैं, जिसमें विधायक अशरफ अली खान का भी आवास शामिल है.
सीएम योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन
मनहार खेड़ा कल्याण दुर्ग समिति ने सीएम योगी को ज्ञापन भी सौंपा है. इस ज्ञापन के जरिए किले को संरक्षित करने और जलालाबाद का नाम बदलकर मनिहर खेड़ा रखने की मांग की. इसके बाद पुरातत्व विभाग ने शामली एसडीएम से किले से संबंधित दस्तावेज मंगवाए. जिसे एसडीएम हामिद हुसैन ने विभाग को भेजा है.
किले को लेकर अपना-अपना दावा
राजपूत समाज के भानु प्रताप सिंह का कहना है यह किला उनके पूर्वजों का है. उनके पास वंशावली और अन्य दस्तावेज भी मौजूद हैं. उनका दावा है कि इस किले में जलाल खान ने 1444 राजपूतों को मार दिया था, जिनकी अस्थियों का अंतिम संस्कार अब तक नहीं हुआ है. उधर, आरएलडी विधायक का दावा है कि यह किला उनके पूर्वजों का है. उनके पास सभी दस्तावेज हैं. उन्होंने कहा कि वो सीएम योगी से मिलकर मामले को संज्ञान में लाएंगे.
विवाद बढ़ने के बाद पुरातत्व विभाग ने शामली एसडीएम को किले से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद उन्हें एसडीएम सदर हामिद हुसैन ने सभी दस्तावेज सौंप दिए हैं.
हिंदू संगठनों ने भी बनाई रणनीति
रिपोर्ट्स की मानें तो 1868 में सहारनपुर कोर्ट ने अशरफ अली के पूर्वजों के किले पर मालिकाना हक के दावे को खारिज कर दिया था. फिर भी राजपूत समाज का आंदोलन जारी है. राजपूत समाज किले को संरक्षित करके अपने पूर्वजों की अस्थियों को सनातन रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करने की मांग कर रहा है. उधर, हिंदू संगठनों ने भी किले को संरक्षित करने की मांग को लेकर अपनी रणनीति बना ली है.
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