Kannauj News:शटरिंग-लिंटर से गार्डर तक...कन्नौज रेलवे स्टेशन हादसे का काला खेल, देवरिया की कंपनी और ठेकेदार को कौन बचा रहा?
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Kannauj News:शटरिंग-लिंटर से गार्डर तक...कन्नौज रेलवे स्टेशन हादसे का काला खेल, देवरिया की कंपनी और ठेकेदार को कौन बचा रहा?

Kannauj News: कन्नौज में लिंटर गिरने के मामले में तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी का गठन हुआ है. जांच टीम में मुख्य इंजीनियर प्लानिंग व डिजाइन, अपर मंडल रेल प्रबंधक और मुख्य सुरक्षा आयुक्त शामिल है. इस हादसे की मुख्य वजहें सामने आई हैं. पढ़िए पूरा मामला

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Kannauj News: कन्नौज में रेलवे स्टेशन पर शनिवार दोपहर भीषण हादसा हुआ था. नवीन स्टेशन के लिए बनाए गए ढांचे पर लिंटर डालते समय शटरिंग टूटने से लिंटर गिर गया. जिसमें 40 से ज्यादा मजदूर दब गए थे. अब इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है. इस टीम में मुख्य इंजीनियर प्लानिंग व डिजाइन, अपर मंडल रेल प्रबंधक और मुख्य सुरक्षा आयुक्त शामिल हैं.  मजदूरों की मानें तो पिछले तीन दिन से स्टेशन के भवन पर लिंटर डालने का काम चल रहा था. इस हादसे की तीन मुख्य वजहें सामने आई है.

शटरिंग टूटने से हुआ हादसा
दरअसल, कन्नौज हादसे में 40 से ज्यादा मजदूर दब गए थे. जिनमें से 26 मजदूरों को बाहर निकालकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. आठ की हालत गंभीर बताई जा रही है. इनमें से तीन घायलों को केजीएमयू लखनऊ रेफर किया गया है. लिंटर गिरते ही ठेकेदार मौके से फरार हो गया. जैसे ही हादसे की खबर शासन-प्रशासन को मिली तो मौके पर प्रशासन और रेलवे के आला अधिकारी पहुंच गए. आपको बता दें, अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 13.50 करोड़ रुपये से स्टेशन का कायाकल्प हो रहा है.

जांच में जुटी आरपीएफ
पहले चरण में यात्री प्रतीक्षालय, बुकिंग हाल व शौचालयों का निर्माण हो रहा है. इसके लिए कंक्रीट का 40 फीट ऊंचा ढांचा तैयार हो गया है. इसी पर 7500 वर्ग फीट में लिंटर डाला जा रहा था. इसका निर्माण कार्य जनपद देवरिया की आशुतोष इंटरप्राइजेज कंपनी कर रही है. इस हादसे में ठेकेदार रामविलास रॉय मौजूद था, लेकिन मौका देखकर वह भाग निकला. फिलहाल, आरपीएफ उसकी तलाश में जुटी है.

घायलों के लिए मुआवजे का ऐलान
इस हादसे में गंभीर रूप से घायल मजदूरों को 2.50 लाख रुपये और मामूली घायलों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया गया है. उधर, हादसे की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. सूचना के बाद यूपी के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण भी घटनास्थल पर पहुंचे. फिर कानपुर मंडलायुक्त के विजयेंद्र पांडयन, डीआईजी जोगिंदर कुमार भी रेलवे स्टेशन पहुंचे और घटनास्थल का निरीक्षण किया. मंत्री समेत आला अफसरों ने जिला अस्पताल पहुंचकर घायलों से पूछताछ की.  

ये हैं हादसे की तीन वजह
रिपोर्ट्स की मानें तो कार्यदायी संस्था अपने हिसाब से काम कर रही थी. कंपनी का साइट इंजीनियर और रेलवे का डिजाइन इंजीनियर लिंटर डालने के दौरान मौजूद नहीं थे. मजदूरों के पास सुरक्षा उपकरण और हेलमेट भी नहीं थे. कार्यदायी संस्था ने लिंटर डालने से पहले कमजोर शटरिंग लगाई थी. शटरिंग में लोहे के पाइप और लकड़ी का इस्तेमाल किया गया. फिर लोहे के मजबूत गर्डर नहीं लगवाए, जिससे पाइप कंक्रीट का वजन सह नहीं पाई और लिंटर गिर गया. 

क्या बोले घायल मजदूर?
घायल मजदूरों की मानें तो लिंटर की मोटाई ज्यादा थी और शटरिंग भी ठीक से नहीं लगाई गई थी. रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, निर्माण सामग्री का सैंपल लिया गया है. गुणवत्ता की जांच कराई जाएगी. एनडीआरएफ के पहुंचने से पहले मलबा हटाने के लिए नगर पालिका के 50 सफाईकर्मियों को बुलाया गया. इनके पास न तो पर्याप्त संसाधन थे और न ही ये इस काम के लिए ट्रेंड थे. फावड़ा और अन्य उपकरणों से मलबे को हटाने में काफी समय लग गया.

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