देवरिया के दबंग प्रेम यादव की आलीशान हवेली पर चलेगा बुलडोजर, तहसीलदार कोर्ट ने बताया अवैध
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देवरिया के दबंग प्रेम यादव की आलीशान हवेली पर चलेगा बुलडोजर, तहसीलदार कोर्ट ने बताया अवैध

Deoria Kand: देवरिया के फतेहपुर गांव में सामूहिक हत्याकांड की जांच जैसे- जैसे आगे बढ़ रही है, इसमें रोज नए तथ्य सामने आ रहे हैं. जांच में सामने आया है कि प्रेम यादव और उसके भाई रामजी यादव ने 1.30 करोड़ की जमीन को सिर्फ 21 लाख में अपने नाम करवा लिया है. जानें क्या है पूरा मामला...

 

Deoria Murder Case

त्रिपुरेश त्रिपाठी/ देवरिया: देवरिया के फतेहपुर गांव में सामूहिक हत्याकांड में एक नया खुलासा सामने आया है.  इस केस की जांच जैसे- जैसे आगे बढ़ रही इसमें नए- नए तथ्य सामने आ रहे हैं. जिस जमीनी विवाद को लेकर 6 लोगों की हत्या की गई, उस जमीन की सरकारी कीमत 1.30 करोड़ रुपये बताई जा रही है, लेकिन प्रेम यादव और उनके भाई राम जी यादव ने इसको सिर्फ 21 लाख में अपने नाम करवा लिया था. इस जमीन को लेकर जो दस्तावेज तैयार किए गए थे उन बैनाम दस्तावेजों के अनुसार इस जमीन की सरकारी कीमत 1.30 करोड़ रुपये हैं. इस बैनामें में देवरिया हत्याकांड के मुख्य आरोपी नवनाथ मिश्रा को गवाह बनाया गया है. योगी सरकार लगातार आरोपियों पर शिकंजा कस रही है. इस हत्याकांड  के मुख्य आरोपी प्रेमचंद की अवैध संपत्ति पर प्रशासन को बुलडोजर चलने वाला है. प्रेम यादव के मकान को प्रशासन ने अवैध घोषित कर दिया है. इस मकान को जल्द ही प्रशासन के द्वारा ढहाया जाएगा. 

बैनाम दस्तावेजों के मुताबिक यह जमीन सत्यप्रकाश के भाई ज्ञानप्रकाश दूबे के नाम पर थी. ज्ञानप्रकाश दूबे काम सिलसिले में गुजरात में रहते थे. 2014 में जब वो वापस अपने गांव आए तो उनका अपनी भाभी से साथ किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया. झगड़ा इतना बढ़ गया कि ज्ञानप्रकाश दूबे घर छोड़कर चले गए. उस समय उनको प्रेम यादव ने अपने घर में शरण दी. उस समय गांव की प्रधानी भी प्रेम यादव के घर में ही थी. 

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लेड़हा टोले में ज्ञानप्रकाश के हिस्से में 1.314 हेक्टेयर जमीन है. इतनी जमीन होने के बाद भी ज्ञानप्रकाश को को रोटी के लिए दर- दर भटकना पड़ा. प्रेम यादव ने ज्ञानप्रकाश के इस बुरे वक्त में उनका साथ दिया और उन्हें अपने घर में शरण भी दी. बुरे वक्त में सहारा देने के बदले ज्ञानप्रकाश, प्रेम यादव के नाम अपनी जमीन करने को राजी हो गए. इस जमीन को प्रेम यादव के नाम करवाने में राम जी यादव को बड़ा योगदान है. पहली बार 7 जुलाई 2014 को ये लोग बैनामी के दस्तावेज तैयार कर निबंधक कार्यालय में रजिस्ट्री करवाने पहुंचे. 

उस समय रजिस्ट्रार बाल्मिकी तिवारी थे. उन्होंने विक्रेता के बैंक खाते में जमीन की कीमत नहीं दिखा पाने पर यह बैनामी रोक दी. रजिस्ट्रार के द्वारा रजिस्ट्री रोके जाने पर प्रेम यादव ने सब तरीके अपनाए. प्रेम यादव ने जिले के सपा नेताओं पर रजिस्ट्रार पर दबाव बनाने को कहा.   लेकिन लाख दबाव के बाद भी खाते में रकम नहीं दिखने तक रजिस्ट्री की कार्रवाई पूरी नहीं की गई. थक हार कर प्रेम यादव को ज्ञानप्रकाश के खाते में 10 लाख रुपये जमा करवाने पड़े. खाते में पैसे दिखने के बाद रजिस्ट्री का कार्रवाई पूरी की गई. उसके बाद यह रकम कहां गई यह किसी को नहीं पता. 

जमीनों पर कब्जा करना और गलत दस्तावेज बना कर उनको अपने नाम करवाना प्रेमचंद यादव का पुराना काम है. इस काम की वजह से उसका नाम पूरे जनपद में फैला हुआ है. केहुनिया गांव की जमीन ही उसके लिए काल बनी. यहां की जमीन तीन भाई- ओमप्रकाश, सत्यप्रकाश और ज्ञानप्रकाश के पुत्र के नाम पर दर्ज है. यहां भी प्रेमचंद यादव ने सत्यप्रकाश दुबे के भाई ज्ञान प्रकाश से वर्ष 2014 में उसका 1 /3 हिस्सा लगभग 50 कट्ठा भूमि 11 लाख रुपये में बैनामा करवा लिया था. 

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