Uttarakhand Loksabha Election 2024: पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपनी सरकार में साथी रहे और मित्र दिनेश अग्रवाल के कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने को लेकर भावुक करने वाली पोस्ट की. हरीश रावत ने इस पोस्ट में दिनेश अग्रवाल को अपने एहसानों की याद दिलाई. जानें क्यों हरीश रावत ने क्यों कहा कि "कुछ तो रही होंगी मजबूरियां, कोई यूं ही बेवफा नहीं होता"?...
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Dehradun: उत्तराखंड में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है. शनिवार 6 अप्रैल 2024 को कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने रविवार 7 अप्रैल 2024 को अपने कई समर्थकों के साथ भाजपा जॉइन कर ली है. कांग्रेस की सरकार नें कैबिनेट मंत्रि रहे दिनेश अग्रवाल हरीश रावत के काफी करीबी माने जाते रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दिनेश अग्रवाल के कांग्रेस छोड़ने पर अपने फेसबुक पर एक भावुक करने वाला पोस्ट किया है.
हरीश रावत ने अपनी इस पोस्ट में लिखा है कि मुझे पता चला है कि दिनेश अग्रवाल जी ने कांग्रेस की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है. मैं समझ सकता हूं कि उनकी अपनी कुछ मजबूरियां रही होंगी, नहीं तो इतने वर्षों के कांग्रेस के जुड़ाव को वह इतने चुनौतीपूर्ण मौके पर नहीं छोड़ते. पार्टी ने उनको 7 बार विधानसभा के लिए उम्मीदवार बनाया, मेयर के लिए भी उनको उम्मीदवार बनाया. कांग्रेस के ही कई साथियों के आरोपों को एक तरफ रखकर पार्टी ने मेरे विशेष आग्रह पर 2012 में उनको मंत्री भी दिया.
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इससे आगे हरीश रावत लिखते हैं कि मैं यह कहूं कि 2012 में मेरे राजनीतिक संघर्ष का दिनेश अग्रवाल को ही सबसे ज्यादा लाभ मिला है. हरीश रावत ने अपनी इस पोस्ट में लिखा कि उस समय जब हमको पता चला कि भाजपा के नेताओं से उनकी बातचीत चल रही है तो मैं उनके आवास पर मिलने गया.मेरे कहने पर प्रीतम सिंह जी भी उनसे मिलने गए. पार्टी के नेता उस वक्त उनसे मिलने गए थे. मैंने ही धर्मपुर क्षेत्र के पार्षद गणों, पूर्व पार्षद गणों की भावनाओं को देखते हुए धर्मपुर क्षेत्र में 10 दिन कांग्रेस कार्यालय खोलने के निर्णय को खत्म किया था.
अपनी इस फेसबुक पोस्ट में हरीश रावत ने आगे लिखा कि मैं कांग्रेस पार्टी की धन्यवाद देना चाहूंगा कि भाजपा के नेताओं के उनकी घर पर हुई बैठक की जानकारी के बावजूद भी पार्टी ने दिनेश अग्रवाल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की. दिनेश अग्रवाल जी आप पार्टी के साथ अपने इतने लंबे रिश्ते को तोड़कर जहां जा रहे हैं, आपका मान-सम्मान वहां सुरक्षित रहे, और बढ़े, यह हम सबकी कामना है. मैं फिर कहना चाहूंगा "कुछ तो रही होंगी मजबूरियां, कोई यूं ही बेवफा नहीं होता" और मुझे उनकी मजबूरियों का कुछ-कुछ एहसास है, कुछ-कुछ आभास है. हां भाजपा को इस बात की बधाई है कि वह हमारे नेतागणों की मजबूरी का फायदा उठाने का कोई मौका चूकना नहीं चाहते हैं.
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