Sawan Shivratri 2023: नीलकंठ मंदिर में उमड़ रहा है शिवभक्तों का सैलाब, लाखों भक्त कर रहे हैं जलाभिषेक
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Sawan Shivratri 2023: नीलकंठ मंदिर में उमड़ रहा है शिवभक्तों का सैलाब, लाखों भक्त कर रहे हैं जलाभिषेक

Rishikesh Sawan 2023: श्रावण मास शिव भक्तों के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण समय होता है. इस महीने भक्त कांवड़ यात्रा करते हैं और शिव को जलाभिषेक करते हैं. आज सावन माह की चतुर्दशी को नीलकंठ महादेव को जलाभिषेक किया जा रहा है. लाखों भक्त नीलकंठ मंदिर में पहुंच रहे हैं. 

 

sawan 2023

Sawan Shivratri 2023: सावन के महीने में लाखों शिव भक्त भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ यात्रा करते हैं. आज श्रावण  मास की शिवरात्रि है. भोले के भक्त अलग अलग शिव मंदिरों में पहुंचकर शिव का जलाभिषेक कर रहे हैं. हरिद्वार, ऋषिकेश में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है. बाबा के भक्त यहां से गंगा जल भरकर नीलकंठ मंदिर पहुँच रहे हैं. भारी बारिश और बिगड़ते मौसम में भी भक्तों का उत्साह जरा भी कम नहीं हुआ है. भोले के जयकारे चारों तरफ गूँज रहे हैं. 

नीलकंठ मंदिर ऋषिकेश से 32  किलोमीटर दूर है. इस पूरे मार्ग पर पौड़ी जिला प्रशासन ने मोर्चा संभाला हुआ है. कल रात से ही भक्त कतारों में मंदिर की ओर जा रहे हैं. दुपहिया वाहनों के कारण इस मार्ग के सभी पार्किंग स्थल फुल हो चुके हैं. यात्रा काल शुरू होने से लेकर अब तक लगभग 35 लाख श्रद्धालु मंदिर पहुँच चुके हैं और नीलकंठ भगवान को जल अभिषेक कर रहे हैं. 

नीलकंठ मंदिर में जलाभिषेक का महत्त्व - नीलकंठ मंदिर के बारे में मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब विष निकला था तो इसी स्थान पर भगवान शिव शंकर ने विषपान किया था. विषपान के बाद  शिवजी का गला नीले रंग का हो गया था, इसलिए भगवन शिव को नीलकंठ नाम दिया गया, इस मंदिर में भोले बाबा को जल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. लाखों भक्त कतारों में खड़े होकर अपनी बारी का इन्तजार करते हैं और पवित्र गंगा जल से शिवजी का अभिषेक करते हैं. मान्यता है कि सावन सोमवार के दिन नीलकंठ महादेव के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

उत्तराखंड में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है. इस मंदिर की बनावट और शैली बहुत ही खूबसूरत है. यह मंदिर पहाड़ों की श्रंखला के बीच एक ऊंची छोटी पर बना हुआ है. चारधाम यात्रा, सावन माह और कुम्भ के समय भगवान नीलकंठ के दर्शन के लिए लम्बी कतारें लगती हैं.  साथ ही यह मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. मणिकूट पर्वत पर स्थित महादेव का यह पवित्र मंदिर मधुमती और पंकजा नदी के संगम पर स्थित पर स्थित है.

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