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ताजमहल बनवाने के लिए शाहजहां ने अपनाए थे ये हथकंडे, इस हिंदू राजा की हथिया ली थी जमीन

Tajmahal History: उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में बना ताजमहल एक विश्‍व धरोहर मकबरा है. इसे मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में 17वीं सदी में बनवाया था. दुनियाभर के पर्यटक इसकी खूबसूरती के कारण इसकी तरफ खिंचे चले आते हैं. क्या आप जानते हैं कि ये भव्य मकबरा किसकी जमीन पर बना था.
 
 

विश्व धरोहरा मकबरा ताजमहल

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 विश्व धरोहरा मकबरा ताजमहल
मुगल बादशाह शाहजहां के द्वारा आगरा शहर में बनाया गया ताजमहल एक विश्व धरोहरा मकबरा है. शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में इस मकबरे को 17वीं सदी में बनवाया था.

प्रेम का प्रतीक ताजमहल

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 प्रेम का प्रतीक ताजमहल
आगरा का ताजमहल जितना खूबसूरत है उतना ही रहस्यमयी है. ताजमहल दुनिया भर में प्रेम का प्रतीक माना जाता है. क्या आपने सोचा है कि इस भव्य इमारत के निर्माण को बनाने के लिए जमीन कहां से आई.

जमीन का मालिक कौन

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जमीन का मालिक कौन
 ये सवाल आज भी इतिहासप्रेमियों के लिए उत्सुकता का विषय है. इस जमीन का असली मालिक कौन था. ताजमहल के बारे में ये सच्चाई कई लोग नहीं जानते है.  ताजमहल की जमीन को लेकर मुगलों और राजपूतों के बीच समझौते का एक अनोखा किस्सा इतिहास के पन्नों में दर्ज है.

क्या आप जानते हैं

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 क्या आप जानते हैं
आज हम आपको बताएंगे कि मुगल बादशाह शाहजहां ने किस हिदू राजा से जमीन लेकर इसे बनवाया था.

हिंदू राजा की जमीन

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हिंदू राजा की जमीन
ताजमहल की जमीन मूल रूप से एक राजा की थी,  सका नाम राजा जयसिंह था.  वह आगरा के आसपास के क्षेत्र का शासक था.

राजा जय सिंह थे मालिक

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राजा जय सिंह थे मालिक
मुगल बादशाह शाहजहाँ ने ताजमहल बनाने के लिए राजा जयसिंह से यह जमीन खरीदी थी.  लेकिन यह खरीदारी विवादित मानी जाती है, क्योंकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि शाहजहाँ ने राजा जयसिंह को मजबूर किया था कि वह अपनी जमीन उन्हें दे दे.

कछवाहा राजपूतों की जायदाद थी जमीन

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कछवाहा राजपूतों की जायदाद थी जमीन
ताजमहल की जमीन राजस्थान में आमेर के कछवाहा राजपूतों की जायदाद थी. मुगल बादशाह शाहजहां ने यह जमीन खरीदने के लिए आमेर के राजाओं को चार  हवेलियां दी थीं.

आमरे के कछवाहा राजाओं की भूमि

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आमरे के कछवाहा राजाओं की भूमि
आमरे के कछवाहा राजाओं की यह भूमि, जिसे ताजमहल के लिए चुना गया. पहले उनकी खास जायदाद थी.यह सिर्फ एक प्रेम की निशानी नहीं, बल्कि राजाओं और बादशाहों के बीच कूटनीति का भी प्रतीक है.

विशेष समझौता

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विशेष समझौता
शाहजहां ने इस भूमि को खरीदने के लिए विशेष समझौता किया था. जिसे इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जाता है.

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.