Magh Mela 2023: आज माघ मेले का पहला स्नान पर्व है. भोर से ही श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं. पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही कल्पवास शुरू हो रहा है. मेला प्रशासन ने स्नान पर्व को लेकर सभी तैयारियां पूरी होने का दावा किया है.
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मो.गुफरान/प्रयागराज: तीर्थराज प्रयागराज (Prayagraj) के संगम तट (Sangam) पर पवित्र माघ मेले (Magh Mela 2023) का आगाज हो चुका है. पौष पूर्णिमा (Paush Purnima 2023) के स्नान पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. ब्रह्म मुहूर्त से ही घाटों पर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. मेला क्षेत्र में बनाए गए सभी 14 स्नान घाटों पर श्रद्धालुओं का हुजूम देखने को मिल रहा है. 44 दिनों तक चलने वाले माघ मेले में इस बार खास इंतजाम किए गए हैं.
मौनी महराज ने बताया संगम स्नान का महत्व
अमेठी से प्रयागराज माघ मेले में कल्पवास के लिए आए मौनी महराज के मुताबिक, पौष पूर्णिमा पर संगम स्नान का विशेष महत्व है. इस बार पौष पूर्णिमा पर्व पर इंद्र योग, ब्रह्म योग के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का मिलन हो रहा है, जिसके चलते त्रिवेणी संगम तट पर स्नान के साथ साथ दान का महत्व बेहद फलदायी हो गया है. स्नान के समय संकल्प लेने वालों की मनोकामनाएं पूरी होंगी. स्नानार्थियों की सुरक्षा के लिहाज से घाटों पर डीप बैरिकेडिंग की गई है. साथ ही जल पुलिस के अलावा प्रशिक्षित गोताखोरों को स्नान घाट पर तैनात किया गया है. जिससे कोई श्रद्धालु स्नान के समय गहरे पानी में ना जा सके.
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700 हेक्टेयर में बसाया गया तंबुओं का शहर
पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही आज से संगम तट पर तंबुओं में रहकर एक महीने तक चलने वाले कल्पवास का भी आगाज हो रहा है. 44 दिनों तक चलने वाले माघ मेले में साधु-संतों और कल्पवासियों के साथ ही श्रद्धालुओं के लिए इस बार ख़ास इंतजाम किए गए हैं. मेला क्षेत्र को छः सेक्टर में बांटा गया है. तंबुओं के शहर को करीब 700 हेक्टेयर में बसाया गया है. नागवासुकी मंदिर से लेकर नैनी के अरेल क्षेत्र तक मेले का विस्तार किया गया है. मेले में चकर्ड प्लेट के जरिए डेढ़ सौ किलोमीटर की सड़क बनाई गई है. गंगा की बीच धारा में श्रद्धालुओं के आवागमन को सुविधाजनक बनाने के लिए पांच पांटून पुल बनाए गए हैं.
माघ मेला क्षेत्र में लगाई गईं एलईडी स्क्रीन
कल्पवासियों के ठहरने के लिए जहां टेंट में जरूरी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं, तो वहीं अरैल क्षेत्र में इस बार हाईटेक टेंट सिटी भी बसाई गई है. टेंट सिटी में लग्जरी होटल जैसी सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी. इन सबके बीच इस बार के माघ मेले में धर्म और अध्यात्म की कुछ खास तस्वीरें मेले को और भी आकर्षक बनाएंगी. मेला क्षेत्र के सभी सेक्टर में एलईडी स्क्रीन के जरिए माघ मेले के पौराणिक महत्व को प्रदर्शित किया जाएगा. एलईडी स्क्रीन के जरिए साधु संत माघ मेले के साथ ही कल्पवास के महत्व की महिमा का बखान भी करते हुए नज़र आएंगे.
कल्पवासियों के लिए किए गए चिकित्सकीय व्यवस्था
डेढ़ लाख एलईडी बल्ब से पूरा मेला रात में दूधिया रोशनी से जगमगा रहा है. शास्त्री ब्रिज पर लगाई गई फसाड लाइट रात में लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. खास बात यह है कि मेले को ओडीएफ फ्री बनाने के लिए भी जरूरी तैयारियां की गईं हैं. मेला क्षेत्र में स्वच्छता का खास इंतजाम किया गया है. बड़ी संख्या में स्वच्छता कर्मियों की तैनाती की गई है. कोविड के संभावित खतरे को देखते हुए मेला क्षेत्र में चिकित्सकीय व्यवस्था भी की गई है. मेला क्षेत्र में अस्थाई तौर पर हॉस्पिटल का निर्माण किया गया है. अस्थाई हॉस्पिटल में डॉक्टर्स और प्रशिक्षित नर्स के स्टॉफ को तैनात किया गया है. साथ ही जरूरी दवाओं का भी इंतजाम किया गया है.
सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम, करीब 6 हजार पुलिस कर्मियों की हुई तैनाती
माघ मेले में सुरक्षा को लेकर भी बेहद चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं. पूरे मेला क्षेत्र में 13 पुलिस थानों के साथ ही 36 पुलिस चौकियों का निर्माण किया गया है. इन पुलिस थानों और चौकियों में पुलिसकर्मियों की तैनाती भी कर दी गई है. मेले में करीब छः हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. सिविल पुलिस के अलावा मेले में सीआरपीएफ, आरएएफ और एटीएस के कमांडो की तैनाती भी की जाएगी. इसके साथ साथ आईबी और एलआईयू की टीमें भी मेला क्षेत्र में भ्रमण पर रहेंगी. मेले की निगरानी सीसीसीटीवी कैमरे के साथ साथ ड्रोन कैमरे से भी की जा रही है. घाटों पर जल पुलिस के साथ ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी तैनात है. सादी वर्दी में महिला पुलिसकर्मियों को भी स्नान घाट पर तैनात किया गया है. मेले में तैनात किए गए सभी पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है. मेले में आने वाले श्रद्धालुओं से पुलिस को मित्र की भूमिका रहने के लिए बकायदा प्रशिक्षित किया गया है.
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