Hathras Satsang Stampede: हाथरस सत्संग में अनुमान से 3 गुना भीड़ थी, मुट्ठी भर सिपाहियों और बाबा के बेलगाम वालंटियर पर भारी पड़ी बदइंतजामी
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Hathras Satsang Stampede: हाथरस सत्संग में अनुमान से 3 गुना भीड़ थी, मुट्ठी भर सिपाहियों और बाबा के बेलगाम वालंटियर पर भारी पड़ी बदइंतजामी

Hathras Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ कस्बे के फुलरई गांव में मंगलवार को आयोजित सत्संग में दर्दनाक हादसे हुआ. भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई. हादसे से कई कारण सामने आ रहे हैं.

Hathras Satsang Stampede

Hathras Stampede, हाथरस: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ कस्बे के फुलरई गांव में हुए मंगलवार को सत्संग में दर्दनाक हादसे से 121 लोगों की जान चली गई. साकार हरि बाबा का सत्संग में यह बड़ा हादसा (Hathras Updates) हो गया. भोले बाबा फिलहाल फरार बताए जार हैं, वहीं पुलिस बाबा की तलाश में लगी जुटी है. सत्संग समाप्त होने के बाद से ही जांच की कार्रवाई की जा रही है. उन सभी कारणों पर गौर किया जा रहा हैं जिन से भगदड़ मची. सुरक्षा व्यव्सथा को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं तो वहीं, आयोजन की परमिशन लेने की प्रक्रिया में लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया जा रहा है. 

सिक्योरिटी टीम व वॉलिंटियर्स
खबर है कि समागम स्थल पर पंडाल के भीतर की व्यवस्था बाबा की सिक्योरिटी टीम व वॉलिंटियर्स के हवाले ही थी. जोकि इस बड़े हादसे की बड़ी वजह मानी जा रही है. जिला प्रशासन की ओर से भी बाबा के पूर्व के कार्यक्रमों को देखते हुए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए थे.  एलआईयू यानी लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (Local intelligence unit) के पास भी इतनी भीड़ आने का इनपुट नहीं था जिसके कारण पुलिस बाहर से ही सुरक्षा व्यवस्था को संभाल रही थी. सिपाहियों की संख्या भी भीड़ के अनुपात में काफी कम थी. बताया जा रहा है कि पुलिस प्रशासन की ओर से पंडाल का जायजा भी नहीं लिया गया था. अगर पंडाल में हर तरफ एग्जिट गेट होते तो लोग आसानी से बाहर निकाल सकते थे. 

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अनुमति लेने की प्रक्रिया में लापरवाही
sजानकारी है कि आयोजन की अनुमति लेने की प्रक्रिया में लापरवाही बरती गई. दरअसल, ऐसे किसी भी आयोजन के लिए परमिशन संबंधित एसडीएम देता है. अनुमति देने से पहले पुलिस से एनओसी ली जाती है. पुलिस और लोकल इंटेलीजेंस यूनिट कार्यक्रम का स्वरूप पता करके अपनी रिपोर्ट तैयारकर देता है. अगर कोई बड़ा कार्यक्रम है तो उसमें पीडब्ल्यूडी की एनओसी लेनी पड़ती है. बिजली के लिए विद्युत सुरक्षा निदेशालय की एनओसी भी ली जाती है. इसके अलावा राजस्व की ओर से संबंधित लेखपाल की एक रिपोर्ट भी लगती है. इस तरह इन सभी विभागों की एनओसी मिलने के बाद ही संबंधित कार्यक्रम की अंतिम अनुमति दी जाती है. अब इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है जिसके अनुसार 80 हजार लोगों की अनुमति के बाद ढाई लाख लोग सत्संग में शामिल हुए.

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