तुर्की में खोए एक पासपोर्ट ने कैसे किया भारत में अलकायदा के पहले मॉड्यूल का भंडाफोड़, जानें सनसनीखेज कहानी
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तुर्की में खोए एक पासपोर्ट ने कैसे किया भारत में अलकायदा के पहले मॉड्यूल का भंडाफोड़, जानें सनसनीखेज कहानी

Indian Intelligence Agencies: 2014 में, एक ‘टूरिस्ट’ जिसने तुर्की में अपना पासपोर्ट खो दिया था,  ने भारत आने के लिए इस्तांबुल में भारतीय दूतावास की मदद मांगी. इसके एक साल बाद 2015 में, भारतीय खुफिया विभाग भारतीय उपमहाद्वीप  में अल कायदा के पहले मॉड्यूल (AQIS) का भंडाफोड़ करने में कामयाब रहा.

तुर्की में खोए एक पासपोर्ट ने कैसे किया भारत में अलकायदा के पहले मॉड्यूल का भंडाफोड़, जानें सनसनीखेज कहानी

2013 में गिरफ्तार होने के कुछ महीनों बाद, इंडियन मुजाहिदीन के प्रमुख यासीन भटकल ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया था कि दो भारतीय अफगानिस्तान और भारत से अल कायदा के ऑपरेशंस को संभाल रहे थे. बाद के महीनों में, तुर्की, ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने भटकल के दावे की गहराई से पड़ताल की.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक 2014 में, एक ‘टूरिस्ट’ जिसने तुर्की में अपना पासपोर्ट खो दिया था,  ने भारत आने के लिए इस्तांबुल में भारतीय दूतावास की मदद मांगी. इसके एक साल बाद 2015 में, भारतीय खुफिया विभाग भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा के पहले मॉड्यूल (AQIS) का भंडाफोड़ करने में कामयाब रहा.

‘टूरिस्ट’ मोहम्मद आसिफ को औपचारिक रूप से देश भर में छह महीने के ऑपरेशन के बाद कई अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था.

इस शुक्रवार अंजाम तक पहुंचा ऑपरेशन
इसी (10 फरवरी, 2023) शुक्रवार को,  ऑपरेशन अपने अंजाम पर पहुंच गया जब आसिफ और उसके साथ गिरफ्तार तीन अन्य, अब्दुल सामी, जफर मसूद और अब्दुल रहमान को दिल्ली की एक अदालत ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था. वहीं, सऊदी अरब से 2017 में निर्वासित जीशान अली और 2020 में निर्वासित सबील अहमद को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.

टीओआई के मुताबिक खुफिया सूत्रों ने याद किया कि कैसे आसिफ के पकड़े जाने और पूछताछ के कारण एक पूरा सिलसिला खुलता गया. उन्होंने AQIS के प्रमुख, मौलाना असीम उमर की पहचान की पुष्टि की, जिसे यह जिम्मेदारी खुद कायदा-केंद्रीय प्रमुख अयमान अल जवाहिरी ने सौंपी थी.

उमर उत्तर प्रदेश के संभल का सनाउल हक निकला, जो अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र से काम कर रहा था. एक सूत्र ने कहा, ‘वह यूपी के उन दो भारतीयों में से एक था जिनके बारे में भटकल बात कर रहा था; दूसरा आसिफ था, जो भारत से भर्ती और शिक्षा सहित संचालन संभाल रहा थे. दोनों संभल से थे.’ 2019 में, अफगानिस्तान में अमेरिकी छापे के दौरान उमर कथित तौर पर मारा गया था.

रियाज भटकल का अफगानिस्तान दौरा
आसिफ ने एजेंसियों को यह भी बताया कि कैसे इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक रियाज भटकल ने उमर से मिलने और भारत में अपने अभियान का विस्तार करने के लिए कायदा से समर्थन मांगने के लिए अफगानिस्तान का दौरा किया था. सूत्र ने कहा, ‘इस तरह यासीन को उनके बारे में पता चला.’

इसके बाद आसिफ की निशानदेही पर मॉड्यूल के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी हुई - दिल्ली से फाइनेंसर मसूद, ओडिशा से रहमान और हरियाणा के मेवात से सामी. बाद में उन्हें दिल्ली पुलिस को सौंप दिया गया.

रहमान ने पाकिस्तान का दौरा किया था और 26/11 साजिशकर्ता जकी-उर-रहमान लखवी और अन्य से मुलाकात की थी. आसिफ ने एजेंसियों को बताया कि वह और दो अन्य लोग जून 2013 में तीन महीने का ईरानी वीजा हासिल करने के बाद तेहरान जाने के लिए तीर्थयात्रा के बहाने अयोतुल्लाह खोमेनी की कब्र पर 'जियारत' अदा करने के लिए निकले थे.

ईरान और पाकिस्तान के बीच एक मस्जिद में से जाते थे आतंकी
आसिफ ने यह भी विस्तार से बताया कि कैसे एक मस्जिद जिसका प्रवेश द्वार ईरान में था, जबकि निकास पाकिस्तान के क्षेत्र में था, जिहादियों की तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. इस के बारे में बहुत कम लोगों को पता था.

पाकिस्तान सीमा पर एक बस स्टॉप से, आसिफ क्वेटा, पिशिन से गुजरते हुए अफगानिस्तान में गजनी पहुंचा. उत्तरी वजीरिस्तान में मीरनशाह में तस्करी किए जाने से पहले वे दक्षिण वजीरिस्तान में उतरा.

लगभग आठ महीने एक आतंकी शिविर में बिताने के बाद, आसिफ को भारत वापस जाने के लिए कहा गया. वह तुर्की चला गया. बिना किसी यात्रा दस्तावेज के आसिफ ने भारतीय दूतावास से भारत जान के लिए मदद मांगी और खुफिया विभाग द्वारा बिछाए गए जाल में फंस गया.

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