Jammu Kashmir Terror Attack News: जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के सीएम बनने के बाद से आतंकी घटनाओं में तेजी आ गई है. हर दूसरे दिन प्रदेश में कहीं न कहीं आतंकी हमले हो रहे हैं, जिसमें सेना, आम नागरिकों और प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया जा रहा है.
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Terrorist attacks in Jammu and Kashmir: जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद निर्वाचित सरकार बनने के बाद वहां आतंकी घटनाओं में तेजी आ गई है. नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने 16 अक्टूबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उसके बाद से लगातार दहशतगर्द घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. इन घटनाओं में सेना, पुलिस और आम लोगों समेत कई लोगों को जान गंवानी पड़ी है. आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी से हैरत में पड़े सीएम अब्दुल्ला तक को कहना पड़ रहा है कि मैं परेशान हूं.
श्रीनगर की संडे मार्केट में ग्रेनेड फेंका
जम्मू-कश्मीर में ताजा आतंकी हमला रविवार को हुआ, जब श्रीनगर के संडे बाजार में आतंकियों ने ग्रेनेड अटैक कर दिया. इस हमले में करीब 9 लोग घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए महाराजा हरि सिंह अस्पताल में एडमिट करवाया गया. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जब यह आतंकी हमला हुआ, तब बाजार में ठीक-ठाक भीड़ मौजूद थी और लोग शॉपिंग करने में व्यस्त थे. तभी आतंकियों ने वहां पर ग्रेनेड फेंका और भाग गए. इस हमले के बाद लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे.
'बेगुनाहों को निशाना बनाए जाने का कोई औचित्य नहीं'
इस ग्रेनेड अटैक की निंदा करते हुए सीएम अब्दुल्ला ने इसे बेहद परेशान करने वाला बताया. अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट लिखकर अब्दुल्ला ने कहा, 'श्रीनगर की संडे मार्केट में निर्दोष दुकानदारों पर ग्रेनेड हमले की खबर बेहद परेशान करने वाली है. बेगुनाहों को इस तरह निशाना बनाए जाने का कोई औचित्य नहीं बनता. सिक्योरिटी सिस्टम को जल्द-से-जल्द हमलों की इस लहर को रोकने का प्रयास करना चाहिए, जिससे लोग किसी डर के अपनी जिंदगी जी सकें.'
सीएम अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण के बाद हुए आतंकी हमले
16 अक्टूबर: आतंकियों ने शोपियां इलाके में गैर-कश्मीरी युवक की गोली मारकर हत्या कर दी. इस हमले के बाद आतंकी फरार हो गए. उन्हें दबोचने के लिए अभियान चलाया गया लेकिन आतंकियों का कुछ पता नहीं चला.
20 अक्टूबर: गांदरबल के सोनमर्ग में घात लगाए बैठे आतंकियों ने जेड-टनल प्रोजेक्ट पर काम बिहार-पंजाब के 5 मजदूरों समेत 7 लोगों की हत्या कर दी. मरने वालों में कश्मीर के डॉक्टर, MP के इंजीनियर भी शामिल रहे. इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी लश्कर के मुखौटा संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली.
24 अक्टूबर: इसी तरह बारामूला में सेना की गाड़ी पर आतंकियों ने हमला किया और फिर पलटवार होने पर जंगल में भाग गए. इस हमले में सेना के 2 जवान और 2 पोर्टर शहीद हो गए. वहीं दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में भी आतंकियों ने एक मजदूर को गोली मार दी, जिसमें वह मजदूर घायल हो गया. उसका इलाज चल रहा है.
28 अक्टूबर: आतंकियों ने अखनूर में सुरक्षाबलों पर फायरिंग की, जिसके बाद हुई मुठभेड़ में 3 टेररिस्ट मारे गए. इसी तरह एलओसी के पास दहशतगर्दों ने आर्मी एंबुलेंस पर गोली चला दी. इसके बाद वे जंगल की ओर भाग गए.
31 अक्टूबर: दहशतगर्दों ने गुरुवार सुबह पुलवामा के त्राल इलाके में एक प्रवासी मजदूर को गोली मार दी. प्रवासी मजदूर का नाम शुभम कुमार निवासी बिजनौर है. घटना का पता चलते ही सुरक्षाबलों ने उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया, जिससे उसकी जान बच गई.
2 नवंबर: कश्मीर के खानयार इलाके में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हो गई. एक घर में 2-3 आतंकियों के छिपे होने की खबर के बाद जवानों ने ऑपरेशन शुरा किया. कई घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद भी जब आतंकियों ने सरेंडर नहीं किया तो सेना ने पूरे घर को उड़ा दिया. इसमें एक आतंकी मारा गया, जबकि अभियान में शामिल 4 जवान घायल हो गए. इस दिन अनंतनाग इलाके में हुए एक एनकाउंटर में भी सुरक्षाबलों ने 2 आतंकियों को ढेर कर दिया.
अधिकारियों के माथे पर शिकन
जम्मू कश्मीर में निर्वाचित सरकार बनने के बाद आतंकी गतिविधियों में हुई इस बढ़ोतरी से अधिकारियों के माथे पर शिकन है. वे इसे बौखलाए आतंकियों की एक करतूत मान रहे हैं, जो अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद मृतप्राय हो चुके आतंकवाद में फिर से नई जान फूंकना चाहते हैं. यही वजह है कि वे इस बार नई रणनीति पर काम करते हुए आम लोगों को निशाना बना रहे हैं. वे अब ऐसी जगहों पर भी अटैक कर रहे हैं, जो पहले पर्यटकों के लिए सुरक्षित मानी जाती थी.
पकड़ में क्यों नहीं आ रहे आतंकी?
वारदात के तुरंत बाद आतंकी तुरंत जंगलों या पहाड़ों में गुम हो जा रह हैं या फिर आबादी के बीच घुल-मिल जा रहे हैं. जिसके चलते सुरक्षाबल उन्हें ट्रैक कर खात्मा नहीं कर पा रहे हैं. माना जा रहा है कि आतंकवाद की इस लहर को लहर को हाइब्रिड तरीके से अंजाम दिया जा रहा है. जिसमें आतंकी बाकी दिनों में आम लोगों की तरह जीवनयापन कर टारगेट ढूंढते हैं. इसके बाद मौका मिलते ही हमला कर फिर से आम आदमी का चोला ओढ़कर लोगो में मिल जाते हैं. जिससे उन्हें खोजना मुश्किल हो जाता है. अब ऐसे आतंकियों को ढूंढने और उनके सफाये के लिए नए सिरे से रणनीति बनाई जा रही है. उम्मीद है कि आने वाले वक्त में इसका असर दिखाई देगा.