DNA: आखिर क्या चाहते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य? ऐसे-ऐसे बयान..किसको खुश कर रहे हैं
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DNA: आखिर क्या चाहते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य? ऐसे-ऐसे बयान..किसको खुश कर रहे हैं

Swami Prasad Maurya: स्वामी प्रसाद मौर्य भले ही दलित और पिछड़ों की राजनीति करने की बात करें लेकिन सच्चाई ये है कि राजनीतिक पार्टियों को लेकर, उनकी अपनी कोई विचारधारा नहीं है. जिस पार्टी की तरफ से वो केंद्र और राज्य सरकार का विरोध करते नजर आते हैं, पहले वो उसी पार्टी में मंत्री पद पर रह चुके हैं.

DNA: आखिर क्या चाहते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य? ऐसे-ऐसे बयान..किसको खुश कर रहे हैं

Swami Prasad Maurya Statements: आम चर्चा में अक्सर ये बात होती है, कि देश में ऐसे बहुत कम नेता हैं, जिनके पास Vision है. यानी ऐसे बहुत कम नेता हैं, जिनके पास शिक्षा को बेहतर बनाने का Vision हो, देश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का Vision हो...देश को रणनीतिक रूप से ताकतवर बनाने का Vision हो, देश में समरूपता लाने का Vision हो. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आज भी हमारे देश में राजनीति की लगभग एक ही रणनीति है, धर्म की राजनीति या जाति की राजनीति. अक्सर चुनावों से पहले राजनीतिक पार्टियां भी चुनावी क्षेत्रों को धार्मिक या जातीय मतदाताओं को बांटकर देखती हैं. ज्यादातर का मकसद, खास धर्मों और जातियों के हित की बात करके, उन्हें अपने पाले में करना होता है. राजनीति चाहे स्थानीय हो...राज्य स्तर की हो या फिर राष्ट्रीय. चुनावी शतरंज में दो ही चालें होती हैं.

असल में राजनीतिक चालबाजियों के बीच मुख्य मुद्दे जैसे रोटी,कपड़ा,मकान,बिजली,पानी, हेल्थ सेक्टर की बेहतरी पर बात नहीं होती. ये मुद्दे केवल घोषणापत्र के किसी पन्ने का हिस्सा बनकर रह जाते हैं. यही वजह है कि अब देश में आपको 2024 लोकसभा चुनावों से पहले जाति और धर्म की राजनीति करते नेता नजर आएंगे, जो अलग-अलग धर्म और जातियों के मतदाताओं की घेराबंदी में जुट' गए हैं.

स्वामी प्रसाद मौर्य --- कई तरह के बयान
उदाहरण के तौर पर आज स्वामी प्रसाद मौर्य को ही ले लीजिए. स्वामी प्रसाद मौर्य, दलित और पिछड़ों की राजनीति करते हैं. हालांकि अगर आप उनसे पूछें तो सबको साथ लेकर चलने की बातें करेंगे. लेकिन उनके पास अलग-अलग मंचों पर अलग-अलग तरह का संबोधन देने की कला है. दिल्ली के जंतर-मंतर पर ऐसी ही एक सभा हो रही थी, यहां पर 'बहुजन समाज अधिकार सम्मेलन' हो रहा था. इसमें स्वामी प्रसाद मौर्य ने बहुजन समाज को आरक्षण खत्म होने का डर दिखाया और हिंदू धर्म को एक धोखा बताया. जातिगत राजनीति में मुखर स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिंदू धर्म के विरोध में पहले भी कई तरह के बयान दिए हैं, लेकिन इस बार उन्होंने हिंदू धर्म को ही धोखा बताकर, अपनी राजनीतिक एजेंडे को जाहिर कर दिया.

स्वामी प्रसाद मौर्या फिलहाल जिस राजनीतिक पार्टी में हैं, उसके मुखिया हैं अखिलेश यादव. समाजवादी पार्टी की राजनीतिक विचारधारा दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक को साधने से जुड़ी है. लेकिन पिछले कुछ समय से अखिलेश यादव, ब्रह्मणों को भी साधने की कोशिश में लगे हैं. अभी कुछ दिन पहले अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी के ब्राह्मण सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे. यहां पर अखिलेश यादव को स्वामी प्रसाद मौर्या के ब्राह्मण विरोधी और सनातन विरोधी बयानों को लेकर शिकायत की गई.

लोगों को भरोसा दिलाया था कि...
अखिलेश यादव ने लोगों को भरोसा दिलाया था कि स्वामी प्रसाद मौर्या या कोई भी समाजवादी पार्टी का नेता, जातीय या धर्म विरोधी टिप्पणियां नहीं करेगा.लेकिन लगता है कि स्वामी प्रसाद मौर्या पर अखिलेश यादव की बातों का कोई असर नहीं हुआ है. हिंदू धर्म को धोखा बताने वाली टिप्पणी पर समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव से इस पर सवाल पूछा गया. स्वामी प्रसाद मौर्य के कुछ पुराने बयानों की पहले भी शिकायत हो चुकी है. स्वामी प्रसाद मौर्या, हिंदू धर्म को लेकर कई तरह की अभद्र टिप्पणी पहले भी कर चुके हैं. जैसे

- उन्होंने रामचरितमानस पर अभद्र टिप्पणी की थी. उनके मुताबिक श्रीरामचरित मानस दलित और महिला विरोधी है.
- स्वामी प्रसाद मौर्या श्रीरामचरितमानस को प्रतिबंधित करने की मांग कर चुके हैं.
- वो हिंदू देवी देवताओं के रूप रंग को लेकर भी अभद्र टिप्पणी कर चुके हैं.
- स्वामी प्रसाद मौर्या पहले भी हिंदू धर्म को धोखा कह चुके हैं.
- उनके मुताबिक हिंदू धर्म सारी विषमता की जड़ है. हिंदू धर्म दलित, आदिवासियों और पिछड़ों को धर्म के मकड़जाल मेँ फंसाने की साजिश है.
- श्रीराम मंदिर को लेकर भी स्वामी प्रसाद अपमानजनक टिप्पणी कर चुके हैं.

'सारी विषमता का कारण...'
स्वामी प्रसाद मौर्या ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट की थी. इसमें उन्होंने ना सिर्फ धर्म बल्कि जाति विरोधी टिप्पणी भी की है. मुमकिन है कि उनकी पार्टी ने भी ये देखा होगा. इस साल 27 अगस्त को उन्होंने एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें वो एक मंच से संबोधन देते नजर आ रहे हैं. इस संबोधन में उन्होंने कहा था कि ब्राह्मणवाद की जड़ें गहरी हैं, सारी विषमता का कारण ब्राह्मणवाद है. वो ये भी कहते नजर आए कि हिंदू नाम का कोई धर्म नहीं, हिंदू धर्म धोखा है.

स्वामी प्रसाद मौर्या की राजनीति दलित और पिछड़े मतदाताओं के वोट हासिल करने से जुड़ी हुई है. जहां तक स्वामी प्रसाद मौर्या के धर्म विरोधी बयानों की बात है, तो इसे हिंदू धर्म का विरोध करके, जातीय राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कहा जा सकता है.

लंबे समय से यूपी की राजनीति में
स्वामी प्रसाद मौर्या 5 बार विधायक रह चुके हैं. वो लंबे समय से यूपी की राजनीति में हैं.
कांग्रेस छोड़कर यूपी की राजनीति का ऐसा कोई बड़ा दल नहीं है, जहां वो ना गए हों.
1991- में वो जनता दल में थे.
1996- में वो बहुजन समाज पार्टी में चले गए.
2016- में वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए
2022 में उन्होंने समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली.

मतलब ये है कि स्वामी प्रसाद मौर्य भले ही दलित और पिछड़ों की राजनीति करने की बात करें, लेकिन सच्चाई ये है कि राजनीतिक पार्टियों को लेकर, उनकी अपनी कोई विचारधारा नहीं है. जिस पार्टी की तरफ से वो केंद्र और राज्य सरकार का विरोध करते नजर आते हैं, पहले वो उसी पार्टी में मंत्री पद पर रह चुके हैं. भारत की राजनीति में मंडल कमीशन एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. मंडल कमीशन के लागू होने के बाद उत्तर भारत में बहुत सारी जातिगत पार्टियों का जन्म हुआ था. इनमें उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल, हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल जैसी पार्टियों का जन्म हुआ. इन पार्टियों की राजनीति, जातिगत पहचान पर टिकी हुई है.

एक उभरती हुई हिंदू चेतना, जातिगत और क्षेत्रीय राजनीति करने वाले पार्टियों के लिए, खतरा साबित हो सकती है. इसीलिए चाहे दक्षिण भारतीय पार्टियां हों, या फिर उत्तर भारत की जातीय राजनीति करने वाली पार्टियां, ये हिंदू धर्म को निशाने पर लेती हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य के हिंदू विरोधी बयानों का एक पक्ष ये है कि श्रीराम मंदिर का उद्घाटन नजदीक आ रहा है. श्रीराम लला का मंदिर बनना, बीजेपी का पुराना चुनावी एजेंडा रहा है. 2024 चुनाव से पहले राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होना, जातिगत राजनीति की काट साबित हो सकती है. यही वजह है कि जाति की राजनीति करने वाले नेता गण, हिंदू धर्म विरोधी बयान दे रहे हैं.

उधर श्रीराम की नगरी अयोध्या... श्रीराम मंदिर के उद्घाटन की तारीख नजदीक आ रही है... 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है... इसलिए अयोध्या में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए जबरदस्त तैयारियां की गई हैं... रामनगरी को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है... इस समय पूरी अयोध्या राममय है... खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 दिसंबर को तैयारियों का जायजा लेने अयोध्या आ रहे हैं... 30 दिसंबर को अयोध्या में भव्य आयोजन होगा... और इसी दिन प्रधानमंत्री मोदी अयोध्यावासियों को Airport और रेलवे स्टेशन की बड़ी सौगात देंगे.

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