Supreme Court: 2 सीटों से चुनाव लड़ने पर रोक का मामला, SC ने खारिज की याचिका; कही ये बात
Advertisement
trendingNow11555177

Supreme Court: 2 सीटों से चुनाव लड़ने पर रोक का मामला, SC ने खारिज की याचिका; कही ये बात

Election Reforms case: इस याचिका में कहा गया था कि किसी उम्मीदवार के दोनों सीटों पर चुनाव जीतने की स्थिति में उसे एक सीट छोड़नी पड़ती है. ऐसे में होने वाले उपचुनाव सरकारी खजाने पर बोझ बनते है. वहीं ये उन मतदाताओं के साथ नाइंसाफी है जो किसी उम्मीदवार को अपना प्रतिनिधि बनाने के लिए वोट देते हैं.

सुप्रीम कोर्ट

SC on contest from two seats: चुनाव में एक व्यक्ति को सिर्फ एक ही सीट पर चुनाव लड़ने की इजाज़त होने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी.अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका में जनप्रतिनिधित्व एक्ट की धारा 33 (7) को चुनौती दी गई थी, जिसके मुताबिक  एक उम्मीदवार एक साथ दो सीट पर चुनाव लड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तरफ से दखल देने से इंकार करते हुए कहा कि ये राजनीतिक लोकतंत्र से जुड़ा नीतिगत मसला है. इस पर कोई भी फैसला लेने का अधिकार  संसद को ही है.

याचिका में क्या कहा गया था
अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया था कि किसी उम्मीदवार के दोनों सीटों पर चुनाव जीतने की स्थिति में उसे एक सीट छोड़नी पड़ती है. ऐसे में होने वाले उपचुनाव सरकारी खजाने पर बोझ बनते है. वहीं ये उन मतदाताओं के साथ नाइंसाफी है जो किसी उम्मीदवार को अपना प्रतिनिधि बनाने के लिए वोट देते हैं.

लॉ कमीशन की सिफारिश का हवाला
अश्विनी उपाध्याय की ओर से वकील गोपाल शंकर नारायणन ने कहा कि 1996 से पहले  कोई शख्स जितनी चाहे, उतनी सीटों पर चुनाव लड़ सकता था पर 1996 में संसद ने क़ानून में संसोधन कर इसे दो सीटों के लिए सीमित किया. इसके बाद चुनाव आयोग (EC) और  लॉ कमीशन सिफारिश कर चुके है कि दो सीटों की इजाज़त वाले इस  प्रावधान को हटाया जाना चाहिए.

संसद के अधिकार क्षेत्र का मसला
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह संसद का अधिकार क्षेत्र में आता है कि वो लॉ कमीशन की सिफारिश को माने या नहीं. किसी क़ानून को महज लॉ कमीशन की सिफारिश के आधार पर असंवैधानिक नहीं करार दिया जा सकता. साल 1996 में संसद ने 2 सीटों तक ही चुनाव लड़ने की इजाज़त के लिए क़ानून में संसोधन किया था. संसद अगर चाहे तो आगे फिर एक्ट में संसोधन कर सकती है.

कोर्ट के दखल का औचित्य नहीं
सुनवाई के दौरान जब वकील ने बार बार सरकारी खजाने पर पड़ने वाले बोझ का हवाला देते हुए ये वैकल्पिक मांग की कि दो सीटों से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को ज़्यादा ज़मानती राशि जमा कराने को कहा जाए, तो चीफ जस्टिस ने इससे भी इंकार करते हुए कहा कि ये राजनीतिक लोकतंत्र से जुड़ा मसला है. मसलन ये हो सकता है कि कोई राजनेता अपनी देशव्यापी छवि को साबित करने के लिए देश के अलग अलग हिस्से से चुनाव लड़ना चाहता हो. ये सब राजनैतिक मुद्दे है और आखिरकार वोटर को तय करना है कि ऐसे उम्मीदवार को जीतना है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट के अपनी ओर से इसमे दखल का इसमे औचित्य नहीं बनता.

भारत की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi - अब किसी और की ज़रूरत नहीं

Trending news