Supreme Court: जनवरी 2022 में BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. इसमें यह भी मांग की गई है कि चुनाव आयोग को चुनाव से पहले मुफ्त योजनाओं का वादा करने वाली पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए.
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Promising Pre-Election Freebies To Voters: चुनाव से पहले में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सुविधाओं देने का वादा करने के ट्रेंड पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज (14 फरवरी) को सुनवाई करेगा. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से चुनावी घोषणापत्रों पर नजर रखने के लिए कमेटी के गठन की मांग की गई है. वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी, DMK, YSR कांग्रेस जैसी पार्टियों ने मुफ्त सुविधाओं के बचाव में अर्जी दायर की है.
जनवरी 2022 में BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. अपनी याचिका में उपाध्याय ने चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों के वोटर्स से फ्रीबीज या मुफ्त उपहार के वादों पर रोक लगाने की अपील की. इसमें मांग की गई है कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए.
राजनीतिक दलों के बीच बहस का मुद्दा
बता दें चुनाव से पहले जनता से मुफ्त योजनाओं के वादे करने को लेकर राजीनीतिक दलों के बीच पर बहस जारी है. पीएम नरेंद्र मोदी कई अवसरों पर कथित रेवड़ी कल्चर की आलोचना कर चुके हैं. पिछले साल अप्रैल में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के कार्यकर्ताओं और मतदाताओं से संवाद करते हुए उन्होंने विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि रेवड़ी कल्चर (मुफ्त में चीजों के देने के वादे) से मुक्त होना पड़ेगा.’
पीएम ने कहा, ‘मुफ्त की रेवड़ी की राजनीति की वजह से कई राज्य बेतहाशा खर्च अपनी दलगत भलाई के लिए कर रहे हैं. राज्य डूबते चले जा रहे हैं और आने वाली पीढ़ियों का भी ये खा जा रहे हैं. देश ऐसे नहीं चलता, सरकार ऐसे नहीं चलती. कुछ तात्कालिक चुनौतियों से निपटने के लिए देश के गरीब परिवारों को हर संभव सहायता दी जा रही है और ये सरकार का दायित्व है. कोरोना के समय हमें जरूरत लगी तो हमने मुफ्त वैक्सीन दिया देश को… क्योंकि जान बचानी थी. मुफ्त राशन देने की जरूरत पड़ी तो दिया गया क्योंकि देश में कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहना चाहिए. लेकिन देश को आगे बढ़ाना है तो हमें इस रेवड़ी कल्चर से मुक्त होना ही पड़ेगा.’