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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अल्पसंख्यकों की पहचान से जुड़ी याचिका पर केंद्र सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है. इस याचिका में राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग की गई है, साथ ही याचिका में दावा किया गया है कि 10 राज्यों में हिंदू (Hindu) आबादी अल्पसंख्यक है.
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बैंच ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 मई की तारीख तय की. साथ ही भारत सरकार से अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर अपना पक्ष रखने को कहा है.
शुरुआत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बैंच से यह कहते हुए दो हफ्ते का समय मांगा था कि उन्होंने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से दायर हलफनामे पर गौर नहीं फरमाया है. हलफनामे में मंत्रालय ने शीर्ष अदालत से कहा है कि राज्य सरकारें संबंधित राज्य में हिंदुओं सहित किसी भी धार्मिक या भाषाई समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित कर सकती हैं.
सॉलिसिटर जनरल की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए बैंच ने कहा, 'जवाब अखबारों में नजर आता प्रतीत होता है.' इस पर मेहता ने कहा, 'कुछ जनहित याचिकाओं के मामले में दलीलें कानून अधिकारियों के सामने आने से पहले ही मीडिया तक पहुंच जाती हैं.'
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सुप्रीम कोर्ट ने मेहता की इस दलील पर गौर किया कि उन्हें केंद्र का पक्ष रखने के लिए समय चाहिए और मामले की सुनवाई दस मई तक टाल दी. बैंच ने कहा, 'सॉलिसिटर जनरल कहते हैं कि वह अपना पक्ष रिकॉर्ड पर नहीं रख सकते, क्योंकि उन्होंने हलफनामे को स्टडी नहीं किया है, भले ही वह अखबारों में छप चुका हो.'
अदालत ने कहा, 'सॉलिसिटर जनरल ने चार सप्ताह का समय मांगा है. हम केंद्र को चार हफ्ते का समय देते हैं. इसके दो सप्ताह बाद जवाब दाखिल किया जाएगा.'
बीजेपी नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) की याचिका में कहा गया है कि देश के 10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, लेकिन वहां हिंदुओं की जगह स्थानीय बहुसंख्यक समुदायों को ही अल्पसंख्यकों से जुड़ी योजनाओं का फायदा दिया जा रहा है.
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