Sri lanka crisis ground report: श्रीलंका में भूख से बिलखते लोग, सड़कों पर हर तरफ प्रदर्शनकारी, ग्राउंड जीरो पर Zee News ने क्या देखा
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Sri lanka crisis ground report: श्रीलंका में भूख से बिलखते लोग, सड़कों पर हर तरफ प्रदर्शनकारी, ग्राउंड जीरो पर Zee News ने क्या देखा

Sri lanka crisis ground report: श्रीलंका इस वक्त अपने इतिहास के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है और इस दर्द की सच्ची तस्वीरें दिखाने के लिए Zee News के दो जांबाज ग्राउंड जीरो पर तैनात थे. हमारे संवाददाता विशाल पांडे और कैमरामैन एस जयदीप ने मुश्किल हालात में भी बहादुरी के साथ रिपोर्टिंग की और दुनिया को श्रीलंका के मौजूदा हालात के बारे में दिखाया. पढ़िए हमारे रिपोर्टर की आपबीती.

Sri lanka crisis ground report: श्रीलंका में भूख से बिलखते लोग, सड़कों पर हर तरफ प्रदर्शनकारी, ग्राउंड जीरो पर Zee News ने क्या देखा

Sri lanka crisis ground report: नमस्कार! मैं विशाल पाण्डेय, जी न्यूज़ का संवाददाता हूं. आज मैं आपको अपनी श्रीलंका कवरेज की आपबीती और आंखों देखी स्थिति के बारे में बताऊंगा. 9 जुलाई की दोपहर मैं दिल्ली में था और सोशल मीडिया की खबरों से पता चला कि श्रीलंका में हालात खराब हो रहे हैं. मेरे संपादक रजनीश सर ने कहा कि तुरंत श्रीलंका रवाना होना है. मैंने जल्दी जल्दी बैग पैक कर यात्रा की जरूरी प्रक्रियाएं पूरी कर लीं और कैमरामैन एस जयदीप के साथ शाम 6:40 की फ्लाइट पकड़ने दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंच गया. किसी तरह ऐन वक्त पर कोलंबो की फ्लाइट में सवार होकर श्रीलंका के लिए रवाना हो गया.

एयरपोर्ट से निकलते ही ऐसा था मंजर

9 जुलाई की रात तकरीबन 10 बजे हम कोलंबो एयरपोर्ट पहुंचे और इमीग्रेशन कराने के बाद जैसे ही बाहर निकले तो हालात देखकर चौंक गए. क्योंकि बाहर निकलते-निकलते और भी ज्यादा वक्त बीत चुका था और हमें कोई भी टैक्सी कोलंबो शहर के लिए नहीं मिल पा रही थी. कोलंबो के Bandaranaike इंटरनेशनल एयरपोर्ट से राष्ट्रपति सचिवालय की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है. इस दूरी को हम पैदल भी नहीं तय कर सकते थे, क्योंकि हमारे पास कैमरा यूनिट, ट्राई पॉड, 2 सामान के बैग और कंधे पर लैपटॉप का बैग था. हमने कई टैक्सी एजेंट से बातचीत की लेकिन कोई भी रात में कोलंबो शहर जाने को तैयार नहीं था. इसका सबसे बड़ा कारण था कि उनके पास पर्याप्त डीजल और पेट्रोल उपलब्ध नहीं था.

एयरपोर्ट के बाहर इंतजार करते करते हमने अपने एक स्थानीय सूत्र अजय जी को फ़ोन किया. उन्हें पूरी स्थिति बताई और उन्होंने कहा कि आप टैक्सी के लिए कोशिश करते रहिए और हम भी यहां से किसी टैक्सी वाले से बातचीत करते हैं. लगभग 1 घंटे तक इंतज़ार करने के बाद मेरे पास अजय जी का फ़ोन आया और कहा कि वो एक टैक्सी लेकर एयरपोर्ट आ रहे हैं. हमने इंतज़ार किया और वो एक लंबी सी 10 सीटों वाली कार लेकर एयरपोर्ट पहुंचे. हमने उनसे किराया पूछा कि एयरपोर्ट से राष्ट्रपति सचिवालय के पास होटल तक जाने का कितना पैसा देना होगा. उन्होंने बताया कि बहुत मुश्किल से 40 हजार रुपये (SLR) में ड्राइवर तैयार हुआ है. हमारे सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं था. हम उस गाड़ी में बैठे और कोलंबो शहर के लिए रवाना हो गए.

कीमतों में आया जबरदस्त उछाल 

कोलंबो इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 2 किलोमीटर दूर ही पहुंचे थे कि श्रीलंका की बदहाली और अंधकारमय भविष्य की तस्वीर दिखने लगी. एयरपोर्ट और शहर को जोड़ने वाले मुख्य एक्सप्रेस वे पर एक भी लाइट नहीं जल रही थी. चारों तरफ़ अंधेरा था और सिर्फ़ गाड़ी की हेडलाइट की रोशनी से हमें आगे बढ़ना था. लगभग 1 घंटे में हम रात 2 बजे के आसपास होटल पहुंचते हैं और अपना सामान कमरे में रखकर तुरंत राष्ट्रपति सचिवालय के लिए निकल जाते हैं. रात 2:15 बजे अपने होटल से पैदल निकलकर हम राष्ट्रपति सचिवालय पहुंचते हैं तो हमने देखा कि पूरे सचिवालय पर प्रदर्शनकारियों का क़ब्ज़ा हो चुका है. मैंने अपने कैमरामैन एस जयदीप के साथ जल्दी से एक ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की और वापस होटल चले गए.

10 जुलाई की सुबह भी हमारे सामने टैक्सी का बड़ा संकट था. हमने कई जगह पर बातचीत की लेकिन टैक्सी नहीं मिल पा रही थी. ऑटो वाले एक किलोमीटर का ही 1000-2000 रुपये मांग रहे थे. होटल वालों से पूछा कि कोई टैक्सी करा दीजिए तो उन्होंने भी हाथखड़े कर दिए कि डीजल और पेट्रोल की कमी के कारण हम टैक्सी मुहैया नहीं करा पाएंगे. फिर मैंने अपने स्थानीय सूत्र अजय जी को फ़ोन किया. उनसे निवेदन किया कि किसी भी तरह एक टैक्सी का इंतजाम करा दें, जो भी किराया होगा वो हम देने को तैयार हैं. अंततः उन्होंने एक टैक्सी बुक की, जो प्रतिदिन 8 घंटे के लिए 35 हजार रुपये पर तैयार हुआ. हमारे सामने कोई विकल्प नहीं था, हमने ये टैक्सी बुक कर ली. ड्राइवर जयश्री हमारे होटल पर पहुंच गए. हमने उनसे प्रधानमंत्री के घर पर जाने के लिए कहा. ड्राइवर अंग्रेज़ी नहीं समझते थे, बहुत मुश्किल से उन्हें लोकेशन समझाया.

प्रधानमंत्री आवास पर जमकर प्रदर्शन

हम सुबह प्रधानमंत्री के सरकारी निवास Temple Tree पर पहुंचे. प्रधानमंत्री के घर की दीवारें प्रदर्शनकारियों ने तोड़ दी थीं. बैरेकेडिंग भी चारों तरफ़ से तोड़ कर श्रीलंका की जनता प्रधानमंत्री के सरकारी आवास पर क़ब्ज़ा कर चुकी थी. प्रधानमंत्री के घर में प्रदर्शनकारी सेल्फ़ी ले रहे थे और फ़ोटो खिंचवा रहे थे. राजपक्षे परिवार के खिलाफ लगातार नारेबाज़ी भी कर रहे थे. इसी बीच हमें कोलंबो पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी मिले. उन्होंने हमसे कहा कि Come with me, we will see you the current situation of ground. हम पुलिस अधिकारी की गाड़ी के पीछे पीछे चल दिए. हम 10 मिनट में श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निज़ी आवास पर पहुंचे. जहां उनका पूरा घर प्रदर्शनकारियों ने जला दिया था और सुबह भी हम धुएं की लपटें देख पा रहे थे. प्रधानमंत्री के घर के बाहर भारी पुलिस फ़ोर्स तैनात थी लेकिन उसके बावजूद भी 2-4 प्रदर्शनकारी यहां पहुंच गए और सरकार के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी करने लगे. हमने इस जगह से जल्दी जल्दी रिपोर्ट किया और फिर राष्ट्रपति सचिवालय के लिए रवाना हो गए.

मैं अपने कैमरामैन एस जयदीप के साथ तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के सरकारी आवास पर पहुंचा. रास्ते में हर तरह गोटबाया के खिलाफ नारेबाज़ी हो रही थी और दीवारों पर राजपक्षे परिवार के खिलाफ नारे लिखे हुए थे. जब हम राष्ट्रपति के घर के मुख्य दरवाज़े पर पहुंचे तो हज़ारों लोगों की भीड़ घर के अंदर देखी और घर के बाहर भी हज़ारों की संख्या में लोग मौजूद थे. Go Gota Home के नारों के साथ भीड़ घर के अंदर ज़बरदस्त नारेबाज़ी कर रही थी. राष्ट्रपति के घर में हर कोई घुसकर सेल्फ़ी ले रहा था, राष्ट्रपति के सोफों पर आराम फ़रमा रहा था और राष्ट्रपति के बेडरूम में चैन की नींद प्रदर्शनकारी सो रहे थे. प्रदर्शनकारियों ने कुछ स्थानों पर तोड़फोड़ भी की थी लेकिन राष्ट्रपति के घर में सबसे ज़्यादा भीड़ जिम और स्वीमिंग पूल में दिखाई दे रही थी. स्वीमिंग पूल में लोग नहा रहे थे और जिम में बच्चे, युवा और बुजुर्ग एक्सरसाइज़ कर रहे थे. यहां पर हमें कई हिन्दी बोलने वाले प्रदर्शनकारी भी मिल गए.

एक बेबस मां का दर्द...

लेकिन राष्ट्रपति के घर में एक मां के दर्द को मैं अभी तक नहीं भूल पाया हूं. Zee News की माइक आईडी और कैमरा देखकर वो मां हमारे पास आई और सीधे बोलना शुरू कर दिया. वो अंग्रेज़ी में बातचीत कर रही थीं. उन्होंने कहा कि ‘मेरे बच्चे भूखे हैं, वो मुझसे खाना मांग रहे हैं लेकिन मैं उन्हें खाना नहीं दे पा रही हूं. वो मुझसे दूध मांग रहे हैं लेकिन हमारे पास दूध भी ख़त्म है. पिछले 2 महीने से घर में रसोई गैस नहीं है, हम क्या करें’ ? वो मां बहुत ग़ुस्से में यह सब कुछ बताते हुए अचानक से भावुक हो गई और फिर हाथ जोड़कर कहा कि सरकार हमारी मदद करे. इस मां के दर्द को सुनकर और देखकर मुझे अंदाज़ा हुआ कि आख़िरकार जनता को सड़कों पर उतरने पर क्यों मजबूर होना पड़ा ? बहरहाल हम आगे बढ़ते हैं और देर रात तक कोलंबो के अलग-अलग इलाक़ों से ग्राउंड रिपोर्ट दिखाते रहते हैं.

10 जुलाई की रात काम ख़त्म करने के बाद हमारे सामने सबसे बड़ा संकट खाने का था. मैं पूरी तरह से शाकाहारी हूं और हमारे कैमरामैन Non Veg भी खा लेते हैं. मैंने कुछ शाकाहारी रेस्टोरेन्ट गूगल पर सर्च किए और गूगल मैप के सहारे वहां तक पहुँचा लेकिन वे सभी बंद थे. मजबूरन हमें अपने होटल वापस आना पड़ा और फिर होटल में शाकाहारी भोजन में सिर्फ रोटी और सांभर मौजूद था. मैंने रोटी और सांभर ऑर्डर किया लेकिन जब रोटी आई तो उसे देखकर ही खाने का मन नहीं हो पाया क्योंकि रोटी दोनों तरफ़ से कच्ची थी. 10 जुलाई की रात किसी तरह से जो आया था वो खाकर हम सो गए क्योंकि श्रीलंका के इस बदहाल हालात में हमारे पास कोई अन्य विकल्प मौजूद नहीं था.

खाने और पेट्रोल की भारी किल्लत

11 जुलाई की सुबह हम फिर राष्ट्रपति के घर पहुंचते हैं और यहां की भीड़ तो कल से भी ज़्यादा दिखाई देती है. राष्ट्रपति के घर की सुरंग को देखने के लिए लाखों की भीड़ पहुंच चुकी थी और लगभग 8 किलोमीटर लंबी लाइन बाहर सड़कों पर लग गई थी. भीड़ इतनी ज़्यादा थी कि लोग पहले पहुंचने के लिये आपस में बहस भी करने लगे थे. इस भीड़ में लोग छोटे-छोटे बच्चों के साथ पहुंचे थे. भीड़ में घुसकर किसी तरह से हम भी सुरंग तक पहुंचे और रिपोर्ट तैयार की. सुरंग में सीढ़ियों के नीचे जाकर एक दरवाज़ा था जो कि बंद कर दिया गया था. इस दरवाज़े के पीछे क्या है, यह किसी को नहीं पता. हम बाहर आए और फिर अपने रिपोर्टिंग करने के बाद हम लंच के लिए फिर शाकाहारी रेस्टोरेंट ढूंढने लगे. एक शाकाहारी रेस्टोरेन्ट मिला और हम पहुंचे लेकिन वहां की भी स्थिति अच्छी नहीं थी. हमें एक रोटी लगभग 1000 रुपये की मिली और अन्य रेट भी बहुत महंगे हो गए थे. यहां भी रोटियां कच्ची ही थीं लेकिन चावल ने हमारा काम चला दिया. मैं और मेरे कैमरामैन ने खाना खाया और फिर स्टोरी करने निकल पड़े.

हम कुछ पेट्रोल पंप के बाहर पहुंचे. इसमें से श्रीलंका के कई पेट्रोल पंप बंद मिले. सिर्फ IOC Lanka के पेट्रोल पंप खुले थे और इस भारतीय ब्रांड के पेट्रोल पंप के बाहर डीज़ल-पेट्रोल की लगभग 10 किलोमीटर लंबी लाइन लगी थी. हमने लोगों से बातचीत की, क़तार में खड़ी श्रीलंका की जनता ने बताया कि डीज़ल-पेट्रोल के लिए वो इस लंबी लाइन में पिछले 7 दिनों से खड़े हैं लेकिन अब तक पेट्रोल-डीज़ल नहीं मिल पाया है. वो IOC पंप के बाहर इसलिए इतने दिनों से खड़े हैं क्योंकि सिर्फ़ भारतीय ब्रांड के पंपों पर ही डीज़ल-पेट्रोल उपलब्ध हो पा रहा है. लंबी लाइनें देखकर मुझे लगा कि आख़िरकार कितने बड़े संकट और दुख से श्रीलंका की आम जनता गुज़र रही है.

डेरा डाले हुए दिखे प्रदर्शनकारी

यहां से थोड़ी ही दूरी पर हम एक मोहल्ले में पहुंचे जहां पर 4 किलोमीटर लंबी लाइन रसोई गैस के लिए लगी हुई थी. यहां पर मौजूद लोगों ने बताया कि उन्हें पिछले 2 महीने से रसोई गैस नहीं मिल पाई है और लकड़ी के सहारे सिर्फ़ 1 टाइम ही खाना पका पा रहे हैं. बच्चों का चेहरे दिखाते हुए एक पिता ने कहा कि हम लाचार और मजबूर हैं, हम अपने बच्चों को समय पर खाना नहीं दे पा रहे हैं. हमारी सरकार फ़रार है और हम परेशान हैं. यही आलम श्रीलंका के हर हिस्से का था. श्रीलंका में महंगाई का आलम यह था कि एक पानी की बोतल हमें 450 रुपये मिली. वहीं जब में मई, 2022 में कोलंबो आया था तो यही एक अदद पानी की बोतल का रेट मात्र 90-120 रुपये थे. लेकिन मात्र 2 महीने ही रेट ने आसमान छू लिए.

12 जुलाई को हम एक बार फिर राष्ट्रपति सचिवालय पहुंचे और यहां पर आंदोलन के केन्द्र चले गए. यहां एक बड़ी टेंट सिटी बस चुकी है. यहीं से कुछ युवा छोटे छोटे टेंटों से पूरे आंदोलन को पिछले कई महीनों से चला रहे थे. सरकार विरोधी आंदोलन का कंट्रोल रूम भी यहीं पर बना रखा था. इसी इलाक़े में राष्ट्रपति सचिवालय के पास प्रदर्शनकारी खेती भी करने लगे थे और पिछले 4 महीनों से इसी जगह पर रह रहे थे. इस आंदोलन में हिंदी गानों का बड़ा प्रचलन दिखा, टेंट सिटी में रह रहे अधिकतर लोग हिंदी गाने सुन और गुनगुना रहे थे. हिंदी गाना गाने वाले एक सिंगर ने बताया कि श्रीलंका के लोग हिंदी फ़िल्में और गाने बहुत पसंद करते हैं.

पूर्व सैनिकों ने बयां की अपनी कहानी

इसी टेंट सिटी में घूमत घूमते हमें कुछ रिटायर्ड आर्मी मैन दिखे. ये सभी दिव्यांग थे और पिछले 90 दिनों से श्रीलंका की सरकार के विरोध में इस आंदोलन में शामिल हैं. मैं इनके पास पहुंचा और इनसे बातचीत की. ये सभी श्रीलंका की आर्मी से रिटायर जवान थे. इन्होंने देश की रक्षा के लिए जाफना में ड्यूटी के दौरान अपने अंगों तक की क़ुर्बानी दे दी. ये सभी गृहयुद्ध के समय जाफना में तैनात थे. इनका दर्द आज इतना ज़्यादा है कि देश के लिए ये बिना अपनी परवाह किए सड़कों पर आ गए. आर्टिफिशियल अंगों के सहारे ये आंदोलन को लीड कर रहे थे और इनकी सिर्फ़ एक ही मांग थी कि राजपक्षे सरकार जानी चाहिए, एक नई सरकार का गठन हो.

कोलंबो के अलग अलग हिस्सों से ग्राउंड रिपोर्ट करने के बाद लंच के लिए हमने एक बार फिर शाकाहारी रेस्टोरेन्ट की तलाश शुरू की. हमारे WION चैनल की कोलंबो की रिपोर्टर दासुनी ने एक रेस्टोरेन्ट शनमुगस की जानकारी दी और हम वहां पहुँच गए. इस जगह पर पहुंचकर आख़िरकार हमें भारतीय शाकाहारी खाना मिल ही गया. लंच करने के बाद हम एक बार फिर ग्राउंड ज़ीरो से अलग अलग तस्वीरें क़ैद करने पहुंच गए. रात में एक जगह पर हमें बिल्कुल अंधेरा दिखा, क्योंकि कोलंबो के कई इलाक़ों में पिछले 4-5 घंटों से बिजली कटौती थी. इस अंधेरे से खूब चिल्लाने की आवाज़ें आ रही थीं. ऐसा लगा कि शायद कुछ लोग लड़ रहे हैं. मैंने अपने कैमरामैन एस जयदीप को तुरंत कैमरा रेडी रखने के लिए कहा और हम उस अंधेरे में पहुंच गए. हमने देखा कि रसोई गैस के लिए रात 10:30 बजे अंधेरे में लोगों की लंबी लाइन लगी है. इस लाइन में बच्चे, बूढ़े और महिलाएं हर कोई दिखाई दे रहा था. हमने लोगों से बातचीत करनी शुरू की और जब अंतिम में पहुंचे तो देखा कि एक ट्रक पर लगभग 1000 सिलेंडर लदे होंगे और पुलिस की भारी तैनाती के बीच गैस बांटी जा रही है. लेकिन लोगों ने बताया कि यहां पर रसोई गैस ब्लैक भी की जा रही है, जिस कारण से हम हंगामा कर रहे हैं. लोगों का कहना था कि जिस रसोई गैस का रेट 4,910 रुपये है, उसका हमसे 6000 रुपये तक चार्ज किया जा रहा है. यहां भी लोग बहुत परेशान और हताश दिखे. इन तस्वीरों से मैं पूरी तरह समझ गया था कि श्रीलंका की जनता बहुत बड़े संकट के दौर से गुजर रही है.

आंसू गैस के गोले झेलने की चुनौती

13 जुलाई को गोटबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा देने का ऐलान किया था. लेकिन बिना इस्तीफ़ा दिए राजपक्षे सेना के विमान से मालदीव भाग गए. फिर क्या लोगों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. श्रीलंका की जनता ने सुबह 10 बजे तक राजपक्षे के इस्तीफ़े का इंतज़ार किया लेकिन जब इस्तीफ़ा नहीं आया तो प्रधानमंत्री रानिल के कार्यालय पर धावा बोल दिया. हम भी श्रीलंका के प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर पहुंच गए और LIVE Ground Reporting करने लगे. पुलिस और सेना ने प्रधानमंत्री कार्यालय को चारों तरफ़ से घेर लिया था. प्रदर्शनकारियों को समझा कर कुछ पुलिस अधिकारियों ने पीएम कार्यालय से दूर भेजा. लेकिन देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर लाखों की संख्या में प्रदर्शनकारी पहुंच गए. श्रीलंका की जनता प्रधानमंत्री कार्यालय के दरवाज़ों और दीवारों पर चढ़ने लगी. अब यहां से जनता और सेना के बीच संघर्ष शुरू होती है. सेना ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए लेकिन जनता पीछे नहीं हट रही थी. आंसू गैस के गोले बहुत ख़तरनाक थे, इसके धुएं से सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था और आंखों में बहुत ज़्यादा जलन हो रही थी. यह घटनाक्रम पूरे 3 घंटे तक चलता रहा. लेकिन जनता पीछे नहीं हटी. इस दौरान मेरे कैमरामैन एस जयदीप ने बहुत बहादुरी का परिचय दिखाया और लगातार मेरे साथ ग्राउंड ज़ीरो से LIVE Reporting करते रहे. 

इस बीच स्थिति ऐसी भी आ गई कि हमें कुछ मिनट के लिए कुछ दिखाई नहीं दिया क्योंकि एक के बाद एक कई आंसू गैस के गोले सेना छोड़ रही थी और जिसकी वजह से आंखों और शरीर में बहुत जलन हो रही थी. हम दोनों अपने ऊपर लगातार पानी डाल रहे थे ताकि कुछ राहत मिले. लेकिन एक वक्त ऐसा आया कि हमारे कैमरामैन एस जयदीप ने कहा कि पाण्डेयजी मुझे पकड़िए, मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है. मेरी आंखों में भी बहुत ज़्यादा जलन थी और हमने एक दूसरे को पकड़ लिया और धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहे. लेकिन हम एक एक तस्वीर ग्राउंड ज़ीरो से अपने दर्शकों तक पहुंचाते रहे. जैसे ही हम थोड़ा आगे बढ़े तो देखा कि एक मां अपने छोटे से बच्चे के साथ बहुत रो रही थी. क्योंकि उसका बच्चा आंसू गैस के गोले के धुएं को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था. उस बच्चे के ऊपर हमने पानी डाला और उसे किनारे ले जाने की कोशिश की. उस महिला ने हमसे बातचीत में कहा कि ये सरकार अब नहीं रहेगी और इस सरकार को हर हाल में जाना ही होगा. इसी बीच प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर कई एंबुलेंस पहुंचने लगीं और घायलों कोअस्पताल पहुंचाया जाने लगा.

पिकनिक स्पॉट बने सरकारी दफ्तर

मैंने अपनी गाड़ी बुलाई और कैमरामैन एस जयदीप को गाड़ी में बैठाया और सिर बाहर कर उनके ऊपर खूब पानी डाला. तब जाकर उन्होंने कुछ राहत महसूस की. इस घटनाक्रम के थोड़ी ही देर में श्रीलंका की सेना को पीछे हटना पड़ा और जनता ने प्रधानमंत्री कार्यालयपर भी क़ब्ज़ा कर लिया. प्रधानमंत्री कार्यालय पर क़ब्ज़ा करने के बाद एक कपल कार्यालय की छत पर खड़े होकर किस करने लगे तोकुछ लोग Victory Sign दिखाने लगे. प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रदर्शनकारी डांस कर रहे थे और गाने गा रहे थे. प्रधानमंत्री कार्यालय के अंदर हम भी घुसे और वहां से ग्राउंड रिपोर्ट की. ग्राउंड रिपोर्ट करने के बाद हम श्रीलंका की संसद भवन के लिए रवाना हो गए.

श्रीलंका की संसद भवन के बाहर भी हज़ारों की भीड़ इकट्ठा थी. भीड़ संसद भवन के अंदर भी घुसने का प्रयास कर रही थी. संसद भवन की सड़क पर चारों तरफ़ अंधेरा था और एक भी लाइट नहीं जल रही थी. प्रदर्शनकारी लगातार आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे और 2 बैरिकेडिंग को तोड़ कर संसद की तरफ़ कूच कर चुके थे. लेकिन उन्हें इसके आगे सेना ने रोक दिया. श्रीलंका की सेना ने लगातार आँसूगैस के गोले छोड़े और प्रदर्शनकारियों को भगाने की कोशिश की. यहां भी कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे. सुबह आंसू गैस के गोलों का सामना करने के बाद दोबारा आगे बढ़ने में हम थोड़ा डर रहे थे लेकिन हम उस पॉइंट तक पहुंचे जहां पर सेना और जनता आमने-सामने थी. ग्राउंड ज़ीरो से LIVE रिपोर्ट की और रात 9 बजे DNA शो के लिए संसद भवन के बाहर से ही LIVE करना था. हम रात 9 बजे DNA शो के लाइव की तैयारी कर ही रहे थे कि इतने में प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों में तोड़फोड़ शुरू कर दी. प्रदर्शनकारी हमारी गाड़ी के पास भी आ गए और उस पर भी कई डंडे मारे, किसी तरह से हमने उन्हें समझाया कि हम मीडिया से हैं तो उन्होंने हमें वहां से तुरंत निकलने के लिए कहा. हमने अपनी यूनिट बंद की और वहां से सीधे अपने होटल के लिए रवाना हो गए और वहां पहुंचकर DNA का लाइव किया. 13 जुलाई की रात भी बीत चुकी थी लेकिन अब तक गोटबाया राजपक्षे ने इस्तीफ़ा नहीं दिया था.

गोयबाया के इस्तीफा का जश्न

14 जुलाई की सुबह कोलंबो की तस्वीर थोड़ी बदली सी नज़र आ रही थी. यह बदलाव अचानक कैसे आया, यह किसी को नहीं पता. प्रदर्शनकारियों ने रात में ही राष्ट्रपति के घर, सचिवालय और प्रधानमंत्री के घर से क़ब्ज़ा छोड़ दिया. इन सभी संस्थानों पर श्रीलंका के पुलिस प्रशासन का एक बार फिर से क़ब्ज़ा हो गया. आंदोलन के केन्द्र पर भी बहुत कम भीड़ नज़र आ रही थी. शायद सेना ने जनता से अपील की थी कि क़ानून व्यवस्था बनाने में उनकी मदद करें. इसीलिए जनता ने इन जगहों को फिर से ख़ाली कर दिया. इसी बीच ख़बर आई कि गोटबाया राजपक्षे मालदीव से सिंगापुर के लिए रवाना हो गए हैं और देर रात सिंगापुर से गोटबाया राजपक्षे ने अपना इस्तीफ़ा श्रीलंका के स्पीकर के पास भेज दिया. रात में क़रीब 8 बजे के आसपास गोटबाया राजपक्षे ने अपना इस्तीफ़ा भेजा, उस वक्त हम राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर ही खड़े थे. प्रदर्शनकारियों को जैसे ही इस्तीफ़े की जानकारी मिली उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर जमकर आतिशबाजी होने लगी और प्रदर्शनकारी जीत का जश्न मनाने लगे.

15 जुलाई को गोटबाया राजपक्षे का इस्तीफ़ा स्पीकर के द्वारा सार्वजनिक किया जाता है और रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बना दिया जाता है. इसी बीच हमारे दफ़्तर से फ़ोन आता है कि अब दिल्ली वापस आ जाओ. हम तुरंत दिल्ली वापसी की तैयारी करते हैं और दिल्ली की डायरेक्ट फ़्लाइट ना होने की वजह से इस आप बीती को लिखते-लिखते हम कोलंबो से बेंगलुरु एयरपोर्ट पहुंच जाते हैं. आगे का विश्लेषण फिर कभी…

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