DNA Analysis: भारतीय सेना को सियाचिन में लड़ने के लिए मिल गया ये घातक हथियार, क्या चीन-पाकिस्तान कर पाएंगे इस अस्त्र का मुकाबला?
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DNA Analysis: भारतीय सेना को सियाचिन में लड़ने के लिए मिल गया ये घातक हथियार, क्या चीन-पाकिस्तान कर पाएंगे इस अस्त्र का मुकाबला?

Indian Army at Siachen Glacier: चीन और पाकिस्तान के खिलाफ सियाचिन ग्लेशियर में लगातार अपनी ताकत मजबूत कर रही भारतीय सेना को रविवार को एक और घातक हथियार मिल गया. इस हथियार का मुकाबला करना इन दोनों दुश्मन देशों के लिए भी मुश्किल रहेगा. 

DNA Analysis: भारतीय सेना को सियाचिन में लड़ने के लिए मिल गया ये घातक हथियार, क्या चीन-पाकिस्तान कर पाएंगे इस अस्त्र का मुकाबला?

Satellite Phone at Siachen Glacier: सियाचिन (Siachen Glacier) करीब 19 हज़ार फीट की ऊंचाई पर मौजूद है और इतनी ऊंचाई पर लोगों को सांस लेने में भी कठिनाई होती हैं. अब वहां की बदली तस्वीर के बारे में जानकर आपको गर्व महसूस होगा. इसकी वजह ये है कि जहां ठीक से ऑक्सिजन भी नहीं मिलती, वहां भारतीय इंजीनियर्स ने इंटरनेट के सिग्नल पहुंचा दिए हैं. इंडियन आर्मी ने वहां करीब 19 हजार फीट की ऊंचाई पर एक सैटेलाइट बेस्ड सर्विस को चालू कर दिया है और बीते रविवार से ही वहां इंटरनेट सेवाएं शुरू हो चुकी हैं.

आपको जानना चाहिए कि सियाचिन बेहद दुर्गम इलाक़ा है, यानी यहां जिन्दा रहना ही अपने आप में बड़ी चुनौती है. ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि आखिर वहां इंटरनेट की केबल या सिग्नल्स कैसे पहुँचाए गए होंगे.

सियाचिन में सैटेलाइट फोन की सुविधा शुरू

हम आपको बताना चाहते हैं कि ये सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस है, यानी इसे किसी मोबाइल टावर या ऑप्टिकल फाइबर केबल की जरूरत नहीं होती. सैटेलाइट इंटरनेट में Internet Service Provider यानी ISP अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे सैटेलाइट को डेटा सिग्नल भेजता है. बाद में सैटेलाइट यही सिग्नल पृथ्वी वापस भेज देता है. जहां एक एंटीना इन सिग्नल्स को रिसीव करता है और इन्ही सिग्नल्स की मदद से हम इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाते हैं. 

पाकिस्तान-चीन दोनों पर रहती है नजर

सियाचिन (Siachen Glacier) के लिए भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है क्योंकि सियाचिन ग्लेशियर भारत-पाक सीमा के पास करीब 78 किलोमीटर के इलाक़े में फैला है. इसके एक तरफ़ पाकिस्तान है तो दूसरी तरफ़ अक्साई चिन है. 

भारतीय सेना ने 1984 में कब्जा जमाया था

वर्ष 1984 में पाकिस्तान ने इस इलाक़े में कब्जे की कोशिश की थी. जिसके बाद एक सैन्य अभियान चला कर भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) को अपने कब्जे में ले लिया था और तब से ही भारतीय सेना की स्पेशल टुकड़ी इस इलाक़े में तैनात रहती हैं. इस इलाक़े की रणनीतिक अहमियत की वजह से भारतीय सेना को इस दुर्गम क्षेत्र में हमेशा अपनी तैनाती बना कर रखनी पड़ती है.

बढ़ जाएगी भारतीय सेना की शक्ति

इस क्षेत्र में इंटरनेट न होने की वजह से सेना को मैसेज भेजने में काफी दिक्ततें होती थीं. लेकिन अब हाईस्पीड इंटरनेट मिलने के बाद वहां सेना की शक्ति भी बढ़ जाएगी और कई तरह की जानकारियों को साझा करने में भी आसानी होगी. इसके अलावा वहां तैनात जवान अपने घर परिवार और करीबियों से बात भी कर सकेंगे. 

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