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Russia betrayed India: भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है. इस बड़ी उपलब्धि के साथ भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जिनके सुरक्षा खेमे में एक से अधिक विमानवाहक पोत हैं. और तो और आईएनएस विक्रांत ने भारत को ऐसी मजबूती दी है जिसकी कल्पना करना भी दुश्मन देशों के लिए बहुत दूर की बात है. भारत उन शक्तिशाली देशों की लिस्ट में भी शामिल हो चुका है जो इतने बड़े जहाज को स्वदेशी रूप से बनाने का माद्दा रखते हैं. लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए भारत को दुश्मनों के साथ-साथ दोस्तों का भी धोखा झेलना पड़ा है.
रूस ने चीन की वजह से भारत को कहा- 'ना'
आईएनएस विक्रांत से जुड़ा यह कड़वा सच कम ही लोगों को पता है. आईएनएस विक्रांत के निर्माण के लिए स्टील की डील रूस से होनी थी. लेकिन रूस ने भारत को स्टील बेचने से साफ मना कर दिया था. जो कि भारत के लिए कहीं न कहीं सही भी साबित हुआ. रूस के इनकार के बाद भारत के वैज्ञानिकों ने आईएनएस विक्रांत के लिए स्वदेशी उन्नत स्टील का खुद निर्माण किया. रूस के इस इनकार से साफ जाहिर है कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में कोई किसी का सगा नहीं है. आशंका यह भी जताई गई कि उस समय रूस ने चीन के दबाव में आकर भारत को स्टील देने से इनकार किया. अगर रूस से डील तय हो गई होती तो आईएनएस विक्रांत और पहले भारतीय बेड़े में शामिल हो सकता था.
ऐसे सामने आई रूस की दगाबाजी
रूस ने 2005 में ही आईएनएस विक्रांत के लिए स्टील देने से इनकार कर दिया था. इस बात का खुलासा कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मधु नायर ने किया है. 'द वीक' को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि रूस ने 2005 में हमें स्टील देने से मना कर दिया था. जिसके बाद भारत ने खुद उस स्टील को तैयार करने की ठान ली. आईएनएस विक्रांत में इस्तेमाल हुए स्टील को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने तैयार किया है. नायर ने आईएनएस विक्रांत के निर्माण में इस्तेमाल हुए स्टील के बारे में बताया कि यह उन्नत और अधिक शक्तिशाली बेहतरीन स्टील है.
Shaping a Dream Building a Nation
Designed by #IndianNavy constructed by @cslcochin, a shining beacon of #AatmaNirbharBharat, #IACVikrant is all set to be commissioned into the #IndianNavy.#INSVikrant#LegendisBack@PMOIndia @DefenceMinIndia @shipmin_india @SpokespersonMoD pic.twitter.com/RVweCActMW
— SpokespersonNavy (@indiannavy) September 2, 2022
आईएनएस विक्रांत की खासियत
-आईएनएस विक्रांत की लागत 20,000 करोड़ रुपये है.
-यह 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है.
-इसका कुल वजन 45,000 टन से अधिक है.
-इसमें 15 डेक हैं जिनमें एक मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, एक पूल, एक किचन और महिलाओं के लिए विशेष केबिन हैं.
-इसमें 8 विशाल बिजली के जनरेटर हैं और ये हर दिन चार लाख लीटर पानी पैदा कर सकते हैं.
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