Ram Setu Adam's Bridge Map: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने राम सेतु का सबसे विस्तृत नक्शा तैयार किया है. इस प्राचीन पुल को एडम्स ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है.
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Ram Setu Map: भारतीय वैज्ञानिकों ने राम सेतु (Adam’s Bridge) का सबसे डीटेल्ड मैप तैयार किया है. अमेरिकी सैटेलाइट के डेटा की मदद से बना यह मैप ट्रेन किसी बोगी/डिब्बे जितना बड़ा है. इस मैप के अनुसार, 29 किलोमीटर लंबे राम सेतु की ऊंचाई समुद्र तल से 8 मीटर है. यह मैप भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने बनाया है. ISRO वैज्ञानिकों की स्टडी 'साइंटिफिक रिपोर्ट्स' जर्नल में छपी है.
राम सेतु या एडम्स ब्रिज, भारत के रामेश्वरम द्वीप के दक्षिण-पूर्वी बिंदु धनुषकोडी से लेकर श्रीलंका के मन्नार द्वीप के तलाईमन्नार के उत्तर-पश्चिमी छोर तक फैला हुआ है. यह चूना पत्थर की एक चेन से बना रिज है, जिसका कुछ हिस्सा पानी के ऊपर दिखाई देता है. राम सेतु में कोई चट्टान या पेड़-पौधे नहीं हैं. महाकाव्य 'रामायण' में राम सेतु वह पुल है जिसे भगवान राम की वानर सेना ने लंका तक पहुंचने के लिए बनाया था.
राम सेतु (Adam's Bridge) के बारे में क्या-क्या पता चला?
1. राम सेतु का 99.98 प्रतिशत हिस्सा उथले और अति उथले पानी में डूबा हुआ है. इस वजह से जहाजों के जरिए इसका सर्वे संभव नहीं है. वैज्ञानिकों ने पुल के नीचे 11 संकरी नालियों को देखा, जिनकी गहराई 2-3 मीटर के बीच थी. ये मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य के बीच पानी के प्रवाह को सुगम बनाती थीं.
2. स्टडी के लेखकों के अनुसार, 'हमारी रिसर्च के नतीजे इस बात की पुष्टि करते हैं कि एडम्स ब्रिज, धनुषकोडी और तलाईमन्नार द्वीप का एक सबमरीन विस्तार है. एडम्स ब्रिज की क्रेस्ट लाइन पर, दोनों तरफ लगभग 1.5 किलोमीटर का हिस्सा बेहद उथले पानी के भीतर अचानक गहराई के साथ काफी उतार-चढ़ाव वाला है.'
3. स्टडी में कहा गया है, 'रिसर्च में एडम्स ब्रिज के आयतन की गणना की गई, जिससे लगभग 1 km^3 की वैल्यू हासिल हुई. दिलचस्प बात यह है कि इस आयतन का केवल 0.02 प्रतिशत ही औसत समुद्र तल से ऊपर है, और सामान्य तौर पर, ऑप्टिकल सैटेलाइट इमेजरी में भी यही दिखाई देता है - कुल मिलाकर, एडम्स ब्रिज का लगभग 99.98 प्रतिशत हिस्सा उथले और बहुत उथले पानी में डूबा हुआ है.'
4. तमाम भूवैज्ञानिक सबूत बताते हैं कि भारत और श्रीलंका की उत्पत्ति एक दूसरे से बेहद करीब से जुड़ी हुई है. दोनों ही प्राचीन गोंडवाना महाद्वीप का हिस्सा थे. गोंडवाना लगभग 35-55 मिलियन वर्ष पहले, टेथिस सागर में उत्तर की ओर बढ़ता हुआ लॉरेशिया नामक महाद्वीप से टकराया और अभी वाली जगह पर आ गया. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस तरह की टेक्टोनिक गतिविधियों और हिमनदों के पिघलने से होने वाले समुद्री जलस्तर में उतार-चढ़ाव की वजह से भूमि पुल का निर्माण हो सकता है.
कैसे तैयार किया गया राम सेतु का सबसे बड़ा मैप
ISRO के जोधपुर और हैदराबाद नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर्स ने यह मैप बनाने के लिए NASA के ICESat-2 सैटेलाइट की मदद ली. इस सैटेलाइट पर एक लेजर आल्टीमीटर लगा है जो फोटॉन यानी प्रकाश कणों को पानी के भीतर जाने देता है, इससे समुद्र के उथले इलाकों में मौजूद किसी ढांचे की ऊंचाई का पता चल जाता है. राम सेतु (एडम्स ब्रिज) के लिए, अक्टूबर 2018 से अक्टूबर 2023 तक के डेटा का इस्तेमाल किया गया. भारतीय रिसर्चर्स ने जलमग्न रिज की पूरी लंबाई का 10 मीटर रेजोल्यूशन वाला मैप तैयार किया.