सीकर जिला मुख्यालय पर शहीद स्मारक पर रिटायर्ड सैनिकों ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित किए. साथ हीं, वीरांगनाओं का भी सम्मान किया.
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Sikar: राजस्थान के सीकर जिला मुख्यालय पर शहीद स्मारक पर रिटायर्ड सैनिकों ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित किए. साथ हीं, वीरांगनाओं का भी सम्मान किया.
रिटायर्ड सैनिकों का कहना है कि आज भी कारगिल की लड़ाई के बारे में जब याद आती है तो खून खोलता है. रिटायर्ड सैनिकों ने बताया कि कारगिल युद्ध तत्कालीन पाकिस्तानी पीएम परवेज मुशर्रफ की कायरता का परिचय है. भारत के तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेई उस समय शांति का संदेश लेकर लाहौर पहुंचे थे, लेकिन पाकिस्तानी पीएम परवेज मुशर्रफ ने इसी बीच अपनी सेना को भारत के कश्मीर की उन दुर्गम पहाड़ियों पर बनी पोस्ट पर कब्जा करने के लिए भेज दिया, जो उस समय खाली थी.
जब इस बात का पता भारतीय सेना को लगा तो 25 मई को इस युद्ध की शुरुआत हुई, जिसमें न जाने देश के कितने ही सपूत शहीद हो गए. युद्ध में जहां भारतीय सैनिकों ने न केवल पाकिस्तानी सेना को धूल चटाई बल्कि उनके शवों का भी सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया. पाकिस्तानी सेना को लेकर जाने के लिए भी तैयार नहीं थी.
रिटायर्ड सैनिक ने बताया कि उस दौरान में श्रीलंका में था. ऐसे वहां हुए शहीदों को अंतिम संस्कार वहीं पर किया जाता था, लेकिन तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने कारगिल युद्ध के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों के अंतिम संस्कार उनके घर पर करने के लिए सरकारी खर्च दिया.
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साथ हीं, उन परिवारों को एक करोड रुपये का आर्थिक पैकेज और सरकारी नौकरी भी दी है. युद्ध में मरने के बाद जब पाकिस्तानी सैनिक वापस पाकिस्तान नहीं पहुंचे तो पाकिस्तानी पीएम परवेज मुशर्रफ को भी यह मानना पड़ा कि पाकिस्तानी सेना भारत गई थी.
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