Rajasthan News: बाजारों में मिट्टी के दीपक की बढ़ी डिमांड, कुम्हारों के चाक ने पकड़ी रफ्तार
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Rajasthan News: बाजारों में मिट्टी के दीपक की बढ़ी डिमांड, कुम्हारों के चाक ने पकड़ी रफ्तार

Rajasthan News: दीपावली का पर्व नजदीक आने के साथ ही राजस्थान में शहर के मुख्य बाजारों में रौनक बढ़ने लगी है. जहां बाजारों में दीपावली पर्व के लिए खरीदारी का दौर शुरू हो चुका है, तो वहीं दीपोत्सव के लिए मिट्टी के बने दीपक की डिमांड भी अब लगातार बढ़ने लगी है. 

Deepawali 2024

Rajasthan News: दीपावली का पर्व नजदीक आने के साथ ही राजस्थान में शहर के मुख्य बाजारों में रौनक बढ़ने लगी है. जहां बाजारों में दीपावली पर्व के लिए खरीदारी का दौर शुरू हो चुका है, तो वहीं दीपोत्सव के लिए मिट्टी के बने दीपक की डिमांड भी अब लगातार बढ़ने लगी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल फॉर वोकल के संदेश के बाद आमजन का रुझान एक बार फिर से मिट्टी के बने दीपक और बर्तनों की ओर बढ़ने लगा है. 

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आमजन के बढ़ते रुझान और मिट्टी के दीपक की बढ़ती डिमांड को देखते हुए कुंभकारों के चाक की रफ्तार भी बढ़ने लगी है. कुम्हारों के मोहल्ले में महिला, पुरुष और परिवार के सभी लोग मिट्टी के दीपक बनाने में दिन रात जुटे हुए हैं. हालांकि बाजार में चाइनीज लाइटिंग और रेडीमेड दीपक के चलन से कुम्हार परिवार की चिंताएं जरूर कुछ बढ़ी हैं. 

 

लेकिन सरकार के लोकल फॉर वोकल के नारे के बाद एक बार फिर से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले लोगों का रुझान वापस से अपने पुश्तैनी काम धंधे की ओर बढ़ने लगा है और कुंभकारों की चिंताएं कुछ हद तक कम होती नजर आने लगी हैं. मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुंभकारों का कहना है कि जब से चाइनीज आइटम बाजार में बिजनेस शुरू हुए हैं. तब से ही मिट्टी के बने दीपक और बर्तन सहित अन्य सामान की खरीदारी धीरे-धीरे कम होती जा रही है. 

 

पहले अधिकतर लोग होली, दीपावली सहित अन्य पर्व और मांगलिक कार्यों में मिट्टी के बने बर्तन और अन्य सामान का ही उपयोग करते थे. जिससे उनकी अच्छी खासी आमदनी हो जाती थी और परिवार का गुजर बसर भी हो जाता था. लेकिन जब से चाइनीज समान बाजार में बिकना शुरू हुआ तब से मिट्टी के बने दीपक और बर्तन सहित अन्य सामान खरीदने से लोग परहेज करने लगे. 

 

मिट्टी के बने सामान की खरीदारी कम होने और मेहनत व समय अधिक लगने के कारण नई पीढ़ी का भी रुझान धीरे-धीरे इस पुस्तैनी काम धंधे से कम होता जा रहा है. कुंभकारों का कहना है कि सरकार लोकल फॉर वोकल का नारा देकर स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की अपील तो आमजन से कर रही है. लेकिन अगर सरकार कुंभकारों के पुस्तैनी काम धंधे को बचाने के लिए समुचित सहायता मुहैया कराए. 

 

जिससे कई युवाओं को रोजगार मिलने के साथ ही कुंभकारों के पुस्तैनी व्यवसाय को भी बचाया जा सकता है. इसके साथ ही सरकार का लोकल फॉर वोकल का अभियान भी सार्थक होगा. जहां मिट्टी के बने बर्तन मांगलिक कार्य में शुभ माने जाते हैं, तो वहीं मिट्टी के बने बर्तन घरों में उपयोग लेने से परिवार के लोगों को कई बीमारियों से भी निजात मिलती है. इसके साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होते हैं.

 

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