Sawai madhopur: बोरवेल में फसी महिला जिंदगी से हारी जंग,120 घंटे बाद निकाला गया शव
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Sawai madhopur: बोरवेल में फसी महिला जिंदगी से हारी जंग,120 घंटे बाद निकाला गया शव

Sawai madhopur news: बामनवास की ग्राम पंचायत गुडला के रामनगर बैरवा ढाणी का रेस्क्यू ऑपरेशन 120 घंटे बाद सोमवार दोपहर पूरा हुआ. एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीमों ने बोरवेल में 90 फीट से अधिक गहराई पर फंसी हुई मोना बाई बेरवा का शव बाहर निकाला.

मोना बाई बेरवा

Sawai madhopur news: बामनवास की ग्राम पंचायत गुडला के रामनगर बैरवा ढाणी का रेस्क्यू ऑपरेशन 120 घंटे बाद सोमवार दोपहर पूरा हुआ. एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीमों ने बोरवेल में 90 फीट से अधिक गहराई पर फंसी हुई मोना बाई बेरवा का शव बाहर निकाला.बोरवेल के ठीक पास बनाई गई 3 फीट व्यास वाली 95 फीट गहरी पिट में लगभग 4 फीट लंबी सुरंग 90 फीट से अधिक गहराई में बनाई गई थी.इसी सुरंग के जरिए 25 वर्षीय मोनाबाई बेरवा का शव बाहर निकाला गया.

90 फीट गहराई में चिकनी और बेहद कठोर मिट्टी
एसडीआरएफ संभाग प्रभारी नरपत सिंह ने बताया कि रामनगर का बोरवेल रेस्क्यू प्रदेश का सबसे बड़ा और चुनौती पूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन साबित हुआ. 90 फीट गहराई में चिकनी और बेहद कठोर मिट्टी आने से टनल बनाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. वहीं अंतिम स्तर पर टनल में जल रिसाव सबसे बड़ी बाधा बना. बार-बार पंप मशीनों के जरिए पानी की निकासी की गई.तब कहीं जाकर आज दोपहर रेसक्यू ऑपरेशन पूरा हुआ. अतिरिक्त जिला कलेक्टर गंगापुर सिटी हरिराम मीणा ने बताया कि प्रथम दृष्ट्या रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू होने से पहले ही महिला की मौत हो चुकी थी.लेकिन अधिकृत पुष्टि मेडिकल बोर्ड द्वारा ही की गई. 

बहरहाल पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में शव को सीएचसी बामनवास की मोर्चरी में ले जाया गया. जहां पंचनामा कर शव का पोस्टमार्टम करवाया जा रहा है. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जिला कलेक्टर गौरव सैनी बराबर मॉनिटरिंग करते नजर आए.वहीं सुरक्षा व्यवस्था को लेकर डिप्टी संतराम मौके पर तैनात रहे.एसएचओ हवा सिंह लगातार 6 दिनों तक मौके पर सुरक्षा व्यवस्था का मोर्चा संभाले रहे.कई विभागों के अधिकारी व प्रतिनिधियों की मौजूदगी में रेसक्यू ऑपरेशन एक दुखांतिका के साथ समाप्त हुआ.

डोषी गांव निवासी सुरेश बेरवा की पत्नी है
इनसाइड स्टोरी की बात करें तो 25 वर्षीय मोनाबाई बेरवा रामनगर डोषी गांव निवासी सुरेश बेरवा की पत्नी है. वह पहले एक निजी स्कूल में भी पढ़ाती थी. पति सुरेश बेरवा राजधानी दिल्ली में मजदूरी करता था. जो मंगलवार को ही गांव में आया था. मंगलवार से ही मोनाबाई बेरवा लापता थी. परिजनों के मुताबिक बुधवार को घर के पीछे ही खेत के एक कोने में बने हुए बोरवेल के पास उसकी चप्पल दिखाई दी.जिसकी सूचना उन्होंने प्रशासन को दी और प्रशासन ने मौके पर आकर रेस्क्यू कार्य शुरू किया.

लेकिन प्रकरण में सबसे हैरानी वाली बात यह है कि बोरवेल एक माह पूर्व ही खोदा गया था.लेकिन 100 फीट खुदाई के बाद पानी नहीं आने पर बोरवेल से पाइप निकालकर उसे खुला छोड़ दिया गया. जिसकी जानकारी मृतका मोनाबाई को थी. खेत के कोने में महज 12 इंच चौड़े बोरिंग में एक महिला का फिसल जाना पुलिस प्रशासन के भी गले नहीं उतर रहा है. ऐसे में मामला आत्महत्या का है या हत्या का यह पुलिस जांच का विषय बना हुआ है.

स्थानीय पुलिस सूत्रों की माने तो पीहर पक्ष द्वारा रिपोर्ट आने के बाद मामले की जांच की जाएगी. प्रकरण को प्रेम प्रसंग से भी जोड़कर देखा जा रहा है. घटनाक्रम को लेकर ग्रामीणों द्वारा विभिन्न प्रकार के कयास लगाए जा रहे हैं.ऐसे में सवाल यह उठता है की रामनगर बोरवेल प्रकरण हादसा है या कोई वारदात? हालांकि चर्चाओं और कयासो को तो पुलिस जांच के बाद ही लग सकेगा!

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