राजस्थान के सवाई माधोपुर में बेमौसम बारिश-ओलावृष्टि अब बर्बादी का पर्याय बनती जा रही है. लगातार तीन दिनों से हो रही बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की बची-खुची उम्मीदें भी खत्म सी हो गई हैं.
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Bamanwas, Sawai Madhopur News: बेमौसम बारिश-ओलावृष्टि अब बर्बादी का पर्याय बनती जा रही है. लगातार तीन दिनों से हो रही बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की बची-खुची उम्मीदें भी खत्म सी हो गई हैं.
उपखंड क्षेत्र बौंली के हिंदूपुरा पंचायत इलाके में विगत रात 5 मिनट तक ओलावृष्टि हुई. चने से लेकर अंगूर तक के आकार के ओले गिरे. आलम यह था कि खेतों में ओलों की चादर बिछ गई. कल तक जो किसान खेतों में कटी हुई फसलों को देखकर उत्साहित था, महज 5 मिनट की ओलावृष्टि ने उत्साह को निराशा में बदल दिया.
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गेहूं की फसलें खेतों में आड़ी पड़ गई. 2 दिनों में हुई 40 एमएम बारिश के बाद कई खेतों में जलभराव की स्थिति देखी गई. जिन किसानों ने गेहूं की फसलें काट ली, उनकी कटी हुई फसलें पानी पर तैरती हुई नजर आई. हिंदूपुरा सरपंच और सरपंच संघ अध्यक्ष नरेंद्र महावर ने पंचायत क्षेत्र में हुई ओलावृष्टि की सूचना स्थानीय प्रशासन को दी. सरपंच संघ अध्यक्ष महावर ने बताया कि क्षेत्र में कहीं 5 मिनट तो कहीं 7 मिनट भारी ओलावृष्टि हुई है. 95 फ़ीसदी तक का नुकसान में बताया जा रहा है.
चना और गेहूं की फसलों में सर्वाधिक नुकसान
भाजपा मंडल अध्यक्ष लोकेश शर्मा सहित कई जनप्रतिनिधि किसानों का दर्द बांटने पहुंचे. क्षेत्र का अन्नदाता बर्बाद हुई फसलों में बची-खुची उम्मीदें टटोलता नजर आया. धरती पुत्रों के मुताबिक क्षेत्र में सरसों की फसलें कट चुकी हैं. वहीं गेहूं की फसलें पक चुकी हैं. चने की फसलें भी कटने के कगार पर हैं. ऐसे में चना और गेहूं की फसलों में सर्वाधिक नुकसान माना जा रहा है.
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उचित मुआवजा दिए जाने की मांग
धरती पुत्रों ने फसलों की गिरदावरी करवाकर उचित मुआवजा दिए जाने की मांग की है. गौरतलब है कि इस वर्ष अच्छी बारिश के बाद बंपर पैदावार की उम्मीद थी और खेतों में लहलहाती फसलों को देखकर क्षेत्र का धरतीपुत्र अत्यंत प्रसन्न था लेकिन विगत 3 दिनों में इंद्रदेव का रौद्र रूप फसलों का काल साबित होता जान पड़ा. स्थानीय जनप्रतिनिधियों व आमजन के उद्गारों में अब केवल मुआवजा ही उम्मीद की किरण दिखाई दे रहा है.
समय का यह फलसफा शायद यही बयां कर रहा है कि जो अन्नदाता वर्ष भर मेहनत करके करोड़ों लोगों के घरों तक अनाज पहुंचाता है. आज उसी किसान के परिवार की भूख मिटाना न केवल सरकार और प्रशासन की अपितु हर एक वर्ग की जिम्मेदारी है.