Jaipur News: कांग्रेस पार्टी में धरातल पर टिकट की रायशुमारी का दौर पूरा हो चुका है. प्रदेश चुनाव समिति के सदस्यों ने जिलों में दावेदारों से संवाद किया और उनकी जीत के दमखम को परखने की कोशिश की.
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Jaipur: कांग्रेस पार्टी में धरातल पर टिकट की रायशुमारी का दौर पूरा हो चुका है. प्रदेश चुनाव समिति के सदस्यों ने जिलों में दावेदारों से संवाद किया और उनकी जीत के दमखम को परखने की कोशिश की. इस दौरान कई दावेदारों के समर्थक आपस में उलझते हुए भी नजर आए, तो कई जगह लोग पुरानों को खारिज और नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने की पैरवी करते भी दिखे.
टिकट हासिल करने की कवायद चल रही है. इस कवायद में कायदे और लिहाज भी ताक पर रखे जा रहे हैं. कांग्रेस में जमीनी स्तर पर हुई रायशुमारी में ऐसा नजारा दिखा. कहीं स्थानीय दावेदार का समर्थन तो कहीं बाहरी का विरोध. कहीं तकरार, तो कहीं तकरीर.
जयपुर देहात के कांग्रेस कार्यालय में उमड़ी भारिब भीड़ एक बारी तो समर्थकों की दिखी, लेकिन यह वास्तव में भारी तादाद में जुटे दावेदारों की भीड़ थी. सरकार रिपीट होने की आस में इस बार दावेदारों ने कांग्रेस में टिकट के आवेदनों का नया रिकॉर्ड कायम कर दिया है. जयपुर देहात की 11 विधानसभा सीटों के लिए 400 से ज्यादा ने आवेदन किए हैं. अकेली चोमू सीट से ही 119 सदस्यों ने दावेदारी ठोकी है. पार्टी के लिए दावेदारों की ही भीड़ अब मुसीबत भी बनती दिख रही है. लेकिन नेता कहते हैं कि यह दावेदारी तो शुभ संकेत है और सरकार आने की आहट इसी से दिख रही है.
समर्थकों ने की नारेबीजी
कहीं पर समर्थन में नारेबाजी हो रही है तो कहीं विरोध के सुर भी दिखाई पड़ रहे हैं. कुछ जगह तो जमे नेता भी स्थापित होना चाहते हैं लेकिन उनकी राह में स्थानीय बनाम बाहरी के नाम पर बाधा भी खड़ी की जा रही है. पूर्व मंत्री डॉ हरी सिंह के पुत्र और फुलेरा से प्रत्याशी रहे विद्याधर चौधरी के साथ भी कुछ ऐसा ही दिखा.
उधर कई दावेदार ऐसे भी हैं जो अपने मौजूदा विधायक की तारीफ तो करते हैं लेकिन फिर भी उनके सामने टिकट मांग रहे हैं. झोटवाड़ा से टिकट की दावेदारी जताने वाले मुकेश वर्मा कहते हैं, कि लालचंद कटारिया जयपुर ग्रामीण के सर्वमान्य नेता हैं. लेकिन साथ ही वे कहते हैं कि अगर कटारिया चुनाव नहीं लड़ने की मंशा रखते हैं तो मुकेश वर्मा झोटवाड़ा से अपनी जीत का दावा करते हुए टिकट पर हक जाता रहे हैं.
नेताओं को आया पसीना
कांग्रेस की टिकट के लिए तैयार किये गए दावेदारी के नए फॉर्मूले ने नेताओं की पेशानी पर पसीने ला दिए हैं. उभरते दावेदार कई जगह वरिष्ठ नेताओं की खीर में बाहरी डालने की कोशिश करते दिखे हैं. जो कल तक साथ खड़े रहकर नारे लगाते थे, आज वह टिकट लेने के लिए उनके बराबर खड़े दिख रहे हैं. लेकिन राजनीति का मिजाज ही कुछ ऐसा है. इस बात की कोई गारंटी नहीं की जो आज साथ है वो कल भी साथ होगा. हां उसकी संभावना जरूर है कि आज साथ देने वाला कल चुनौती जरूर दे सकता है.
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