Hawa Mahal Vidhan Sabha Seat : असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा के गढ़ रहे हवामहल सीट से जमील खान को प्रत्याशी बनाया है. यहां से मंत्री महेश जोशी विधायक हैं जानें इस सीट के सियासी और जातीय समीकरण.
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Hawa Mahal Vidhan Sabha Seat : राजस्थान विधानसभा चुनाव के मुहाने की ओर जा रहा है, लिहाजा ऐसे में सियासी जोड़-तोड़ और दांव पेंच तेज होते जा रहे हैं, इसी बीच राजस्थान की प्रमुख पार्टियां भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियां भी सक्रिय हो गई है, इन्हीं में से एक असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM है, जिसकी निगाहें राजस्थान की मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर है. इन्हीं में से एक जयपुर की हवा महल सीट है, जिसमें इस बार कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.
जयपुर दौरे के दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने जयपुर के रामलीला मैदान में जनसभा को संबोधित किया और पार्टी की ओर से हवामहल सीट के प्रत्याशी का भी ऐलान कर दिया. AIMIM की ओर से जमील खान हवामहल सीट से पार्टी के प्रत्याशी होंगे. साथ ही ओवैसी ने दूसरे विधानसभा क्षेत्रों में भी जल्द ही प्रत्याशी उतारने की घोषणा की है.
हवामहल सीट का इतिहास अगर पिछले 20 सालों का देखा जाए तो यहां एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा जीती आई है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में महेश जोशी ने बीजेपी के सुरेंद्र पारीक 9 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी, महेश जोशी मौजूदा वक्त में गहलोत कैबिनेट में मंत्री हैं. महेश जोशी को 2018 के विधानसभा चुनाव में 85 हजार से ज्यादा वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंदी महेश पारीक को क्षेत्र 76 हजार वोट मिले थे.
सबसे दिलचस्प मुकाबला साल 2008 में देखने को मिला था, जिसमें कांग्रेस के ब्रजकिशोर शर्मा ने 580 वोटों से चुनाव जीता था और बाद में गहलोत सरकार में मंत्री भी बने. उन्होंने भाजपा की मंजू शर्मा को हराया था. ब्रजकिशोर शर्मा के खाते में 44926 जबकि मंजू शर्मा के खाते में सिर्फ 44346 वोट पड़े थे.
इस सीट के नाम एक रिकॉर्ड भी दर्ज है, यहां से भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे भंवर लाल शर्मा 6 बार विधायक चुने गए. 1977 में भंवर लाल शर्मा पहली बार कांग्रेस के रामेश्वर प्रसाद महेश्वरी को हराकर विधायक बने और साल 1998 तक लगाता 6 बार विधायक चुने गए. इस दौरान कांग्रेस की ओर से उनके खिलाफ महेश जोशी, बनवारी लाल गुप्ता, ऋषभ शाह जैसे नेताओं ने चुनाव लड़ा, लेकिन उनके आगे टिक नहीं पाए. इस दौरान भंवर लाल शर्मा जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, स्वायत्त शासन, नगरीय विकास आवासन और खेल मंत्री भी रहे. साथी इस दौरान वो भाजपा के 1989 प्रदेश अध्यक्ष भी बने.
हवामहल विधानसभा सीट को मुस्लिम बाहुल्य सीट माना जाता है. यहां पर तकरीबन 90 हजार से ज्यादा मुस्लिम मतदाता है. इस सीट पर आज तक कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीता है, लेकिन यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता रहते और व्यवसाय करते हैं.
कुल मिलाकर हवामहल सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आखिर हवामहल की जनता किसे जताती है और विधानसभा में अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजती है.
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