क्या होता है मायरा? जिससे जुड़ी होती है 'मामा' की प्रतिष्ठा, चढ़ाएं जाते हैं करोड़ों रूपये
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क्या होता है मायरा? जिससे जुड़ी होती है 'मामा' की प्रतिष्ठा, चढ़ाएं जाते हैं करोड़ों रूपये

Rajasthan Mayara - Bhaat : राजस्थान में मायरा की रस्म अलग ही महत्त्व रखती है. मायरा यानि भात, इस रस्म में मामा अपनी भांजी या भांजे के लिए गहने कैश कपड़े जैसी कई चीजों को चढ़ाता है, 

क्या होता है मायरा? जिससे जुड़ी होती है 'मामा' की प्रतिष्ठा, चढ़ाएं जाते हैं करोड़ों रूपये

Rajasthan Mayara - Bhaat : भारत में शादी सबसे बड़ा उत्सव होता है. इसमें कई तरह की रस्में होती हैं. भारतीय शादी में मामा का अलग ही महत्त्व होता है. और बात अगर राजस्थान की शादियों की करें तो यहां शादी मामा की प्रतिष्ठा से भी जुड़ी हुई होती है. पिछले कुछ दिनों में राजस्थान के अलग अलग हिस्सों से खास कर नागौर से मायरे की कई अनोखी तस्वीरें सामने आई. जिसमें मामा करोड़ों रूपये का मायरा लेकर पहुंचे तो लोग देखते रह गई. इन मायरों ने देशभर में सुर्खियां बटोरीं. 

क्या होता है मायरा

दरअसल राजस्थान में मायरा की रस्म अलग ही महत्त्व रखती है. मायरा यानि भात, इस रस्म में मामा अपनी भांजी या भांजे के लिए गहने कैश कपड़े जैसी कई चीजों को चढ़ाता है, जिसे मायरा कहा जाता है. हर कोई अपनी हैसियत से मायरा भरता है, लेकिन नागौर में भरे जाने वाला मायरा अलग ही पहचान रखता है. नागौर में पिछले 20 दिनों में तीन अलग अलग शादियों में 13 करोड़ से ज्यादा का मायरा भरा गया. 

राजस्थान में मायरे की रस्म मामा की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ होता है. हालांकि पौराणिक मानयताओं के हिसाब से भाई अपनी बहन को उसके बच्चों की शादी में मायरे के जरिये आर्थिक मदद करता था, लेकिन कई लोगों का मानना है कि यह आज दिखावे का एक नया तरीका बनता जा रहा है. जिसके चलते कई आर्थिक रूप से कमजोर ननिहाल पक्ष पर भी सामाजिक दबाव भी बनता है. ऐसे में दिखावे के मायरे कि बजाए अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार ही मायरा भरा जाना चाहिए. 

सामाजिक तौर पर माना जाता है कि ज्यादातर महिलाएं अपने पिता की संपत्ति पर दावा नहीं करती है. ऐसे में भाइयों द्वारा मायरा के जरिये भी बहनों को एक भेंट दी जाती है. साथ ही इस तरह रस्मों से शादी के कई सालों बाद भी रिश्ता बरकरा रहता है और अगली पीढ़ी तक भी निभाया जाता है. मायरों को लेकर आज के दौर में समाज में अलग-अलग विचार है. हालांकि इसे आज भी रस्म के तौर पर बड़े ही भव्य रूप से मनाया जाता है.

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