Nagaur: भगत सिंह के जन्मस्थान और फांसी स्थल की मिट्टी लेने हजारों किमी की पैदल यात्रा पर वकील विजयराव
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Nagaur: भगत सिंह के जन्मस्थान और फांसी स्थल की मिट्टी लेने हजारों किमी की पैदल यात्रा पर वकील विजयराव

 2031 में भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव की शहादत को 100 साल पूरे हो जाएंगे. इस वक्त देश के लोग उनको याद करेंगे इसलिए उनके जन्मस्थान और शहीद स्थल जो अब पाकिस्तान में है, उस स्थान की मिट्टी देश में लाने के लिए एक वकील ने मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से पैदल यात्रा शुरू की जो आज नागौर पहुंचे हैं. राजस्थान हाई कोर्ट के वकील विजयराव हजारों किलोमीटर की यात्रा करके पाकिस्तान पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं.

 

हजारों किमी की पैदल यात्रा पर वकील विजयराव.

Nagaur: शहीदे आजम भगत सिंह का जन्म पंजाब के बंगा गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान वाले पंजाब में है. वहीं, 23 मार्च को उनको, राजगुरु और सुखदेव के साथ पाकिस्तान लाहौर में फांसी पर लटका दिया गया था. आज भी देश के युवाओं के रोल मॉडल है. राजस्थान हाईकोर्ट के वकील विजय राव ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इस महान हीरो भगत सिंह के जन्म स्थान और उनके शहीदी स्थल की मिट्टी हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा करके लाने की ठानी है. मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से शुरू हुई उनकी पैदल यात्रा में आज वे नागौर पहुंची. 

यहां से बीकानेर, गंगानगर होते हुए पंजाब के जलियांवाला बाग की मिट्टी लेंगे. जिसे अपने साथ पाकिस्तान लेकर जाएंगे. जहां पाकिस्तान के एक सामाजिक कार्यकर्ता इम्तियाज कुरैशी को जलियांवाला बाग की मिट्टी सौंपेंगे. उसके बाद शहीदे आजम भगत सिंह के जन्मस्थान बंगा और उसके बाद लाहौर सेंट्रल जेल की मिट्टी अपने साथ लेकर भारत लौटेंगे. तकरीबन ढाई महीने की इस यात्रा में वो हजारों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं. 

रास्ते में दिन ढलने पर अगर कहीं कोई आश्रय मिल जाए तो वहां रुकते हैं और अगर कोई ठिकाना नहीं मिले तो धरती की गोद में ही अपना बिछौना बना लेते हैं. विजय राव का कहना है कि देश के वीर शहीदों भगतसिंह सुखदेव और राजगुरु की फांसी को 2031 में सौ साल पूरे हो जाएंगे. उस वक्त लोगों को इस मिट्टी की कीमत पता चलेगी.

राव कहते हैं की भगत सिंह को जब अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी की सजा दी उस वक्त उनकी उम्र मात्र 23 साल थी, लेकिन उनकी देश सेवा का जो जज़्बा था. वो जज्बा हर युवा में होना चाहिए. राव का कहना है की भारत सरकार ने जिस दिन आजादी का अमृत महोत्सव मनाने को घोषणा की उस दिन मुझे महसूस हुआ कि आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जाए और उसमें शहीदों को याद नहीं किया जाए तो यह उत्सव फीका होगा.

Reporter- Hanuman Tanwar

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